Wednesday, March 19, 2025
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केरल में उर्स पर निकला हमास आतंकियों के समर्थन में जुलूस, हाथियों पर लगाए गए थे पोस्टर: वामपंथी सरकार के मंत्री और कॉन्ग्रेस नेता भी हुए शामिल

केरल में उर्स के मौके पर हमास-हिजबुल्लाह जैसे इंटरनेशनल आतंकी संगठनों के नेताओं की तस्वीरों का बाकायदा जुलूस निकाला गया, वो भी हाथियों पर सवार होकर।

केरल की वामपंथी सरकार पर इस्लामिक कट्टरपंथ को बढ़ावा देने के आरोप लगते रहे हैं। इस बीच, पलक्कड़ में एक सालाना उर्स के मौके पर हमास-हिजबुल्लाह जैसे इंटरनेशनल आतंकी संगठनों के नेताओं की तस्वीरों का बाकायदा जुलूस निकाला गया, वो भी हाथियों पर सवार होकर। जुलूस में इन आतंकियों के समर्थन में नारे लगाए गए।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के पलक्कड़ जिले के त्रिथला में रविवार (16 फरवरी 2025) की शाम हजारों लोगों की भीड़ के बीच एक जुलूस निकाला गया। इस जुलूस में युवाओं ने हाथियों पर चढ़कर आतंकवादी कमांडरों याह्या सिनवार, इस्माइल हानिया और हसन नसरल्लाह के पोस्टर लहराए। इन तीनों को ही इजरायल ढेर कर चुका है।

इस आयोजन में कॉन्ग्रेस नेता वी.टी. बालाराम और केरल की वामपंथी सरकार के मंत्री और CPIM नेता एम.बी. राजेश की मौजूदगी को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है। आयोजकों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोपों के चलते यह मुद्दा सोशल मीडिया पर गर्माया हुआ है।

बीजेपी ने इस घटना को लेकर कॉन्ग्रेस और वामपंथी दलों पर जमकर निशाना साधा है। पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने इस घटना को ‘चौंकाने वाला’ बताते हुए कहा कि केरल में इस्लामी कट्टरता को खुलेआम बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्होंने माँग की है कि इस मामले में आयोजकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और जाँच की जाए कि इस तरह की घटनाओं के पीछे कौन लोग हैं।

इस पूरे विवाद के बीच कॉन्ग्रेस नेता वी.टी. बालाराम ने एक फेसबुक पोस्ट में कहा कि त्रिथला उर्स किसी मजहबी आयोजन से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह एक सार्वजनिक सांस्कृतिक उत्सव है जिसमें हर समुदाय के लोग शामिल होते हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एक वर्ग इस घटना को सांप्रदायिक रंग देकर मुसलमानों और केरल की छवि खराब करने की कोशिश कर रहा है। हालाँकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि हमास के नेताओं के पोस्टर लगाना एक अलग मुद्दा है, लेकिन साथ ही बीजेपी पर इस मामले को ‘सांप्रदायिक एजेंडा’ के तहत तूल देने का आरोप लगाया।

केरल में पहले भी हुए हैं ऐसे विवाद

यह पहली बार नहीं है जब केरल में इस तरह की गतिविधियाँ देखी गई हैं। 2024 में केरल विश्वविद्यालय के एक युवा महोत्सव का नाम ‘इंतिफ़ादा’ रखने पर विवाद हुआ था क्योंकि यह नाम हमास और फिलिस्तीन-इजरायल संघर्ष से जुड़ा हुआ था। बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन को इस नाम को बदलना पड़ा।

यही नहीं, 2023 में, मलप्पुरम में जमात-ए-इस्लामी की युवा शाखा ‘सॉलिडेरिटी यूथ मूवमेंट’ के एक कार्यक्रम में हमास के पूर्व नेता खालिद मशाल ने वर्चुअल माध्यम से भाषण दिया था। इस दौरान ‘हिंदुत्व को खत्म करो’ और ‘जियोनिज्म को खत्म करो’ जैसे भड़काऊ नारे भी लगाए गए थे।

बीजेपी ने की जाँच की माँग, पुलिस ने साधी चुप्पी

बीजेपी ने इस मामले में पुलिस से तत्काल कार्रवाई की माँग की है। पार्टी का कहना है कि केरल में लगातार इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा देने वाली घटनाएँ हो रही हैं और सरकार इस पर आँखें मूँदे बैठी है।

हालाँकि, स्थानीय पुलिस का कहना है कि अब तक इस घटना को लेकर कोई औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है, इसलिए किसी के खिलाफ कोई मामला दर्ज नहीं किया गया है। लेकिन बढ़ते विवाद को देखते हुए प्रशासन इस पर नजर बनाए हुए है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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