Monday, May 6, 2024
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हाथरस कांड में CBI जाँच तेज: अलीगढ़ JNMC के डॉ. मो अजीमुद्दीन और डॉ. उबेद इम्तियाज टर्मिनेट, रेप सैंपल पर दी थी राय

दोनों डॉक्टर हाथरस की कथित गैंगरेप पीड़िता के इलाज व उसकी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने में शामिल थे। एक डॉक्टर ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए थे। कहा था कि घटना के 11 दिन बाद रेप की पुष्टि नहीं हो सकती है। यदि शुरुआत में पुलिस ने जाँच कराई होती तो पुष्टि हो सकती थी।

उत्तर प्रदेश के हाथरस हत्याकांड की सीबीआई जाँच अपनी रफ्तार के साथ जारी है। लेकिन इसी बीच, अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काम कर रहे दो डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर दिया गया है। हाथरस रेप पीड़िता को दिल्ली शिफ्ट किए जाने से पहले उसकी इसी अस्पताल में इलाज हुई थी।

हाथरस कांड की जाँच कर रही सीबीआई टीम ने एक दिन पहले अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के जेएन मेडिकल कॉलेज में उन डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ से पूछताछ की थी, जिन्होंने पीड़िता का इलाज किया था। अब एएमयू के वाइस चांसलर ने कड़ा एक्शन लेते हुए लीव वैकेंसी पर कार्यरत जेएन मेडिकल कॉलेज के सीएमओ डॉ. मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक और डॉक्टर उबेद इम्तियाज उल हक को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर​ दिया है।

ट्रॉमा सेंटर और इमरजेंसी के कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर इंचार्ज डॉ. एसएएच जैदी की तरफ से जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि संबंधित दोनों डॉक्टर किसी भी प्रकार की अपनी ड्यूटी को आगे परफॉर्म न करें।

बता दें कि दोनों डॉक्टर हाथरस की कथित गैंगरेप पीड़िता के इलाज व उसकी मेडिकल रिपोर्ट तैयार करने में शामिल थे। एक डॉक्टर ने विधि विज्ञान प्रयोगशाला की रिपोर्ट पर भी सवाल उठाए थे। कहा था कि घटना के 11 दिन बाद रेप की पुष्टि नहीं हो सकती है। यदि शुरुआत में पुलिस ने जाँच कराई होती तो पुष्टि हो सकती थी। हालाँकि, बाद में उन्होंने इसे अपना निजी विचार बताया था।

पद से हटाए गए डॉक्टरों ने वीसी के इस एक्शन को लेकर रोष जताया है। उनका कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने अपनी सेवाएँ दीं। इसके बाद भी उनके संबंध में सहानुभूति से विचार नहीं किया गया। 

डॉक्टर मोहम्मद अजीमुद्दीन मलिक ने कहा, ”अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत 6 डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने पर हमें ड्यूटी पर बुलाया गया था। उस भयंकर दौर में कोई भी ड्यूटी करना नहीं चाहता था। तब हमने यहाँ ड्यूटी की। इसी दौरान ढाई माह बाद हाथरस कांड हुआ। जिसमें हमने मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं दिया। किसी मीडिया कर्मी ने यदि कॉल पर एफएसएल संबंधित कोई ओपिनियन पूछी तो दे दी गई। वह हम डॉक्टर की हैसियत से दे सकते हैं।”

डॉक्टर उबेद इम्तियाज उल हक ने कहा, ”कल सीबीआई भी आई थी। लेकिन हमसे सीबीआई टीम की कोई डायरेक्ट बात नहीं हुई। वहीं आज हमको सीएमओ मेडिकल इंचार्ज डॉक्टर एसएएच जैदी द्वारा लिखित रूप से अवगत कराया गया है। आज से हम दोनों डॉक्टरों की सेवाएँ समाप्त की जाती है।”

उन्होंने कहा, “हम अन्य स्थान से नौकरी छोड़ कर आए और यहाँ आकर कोविड-19 काल मैं ड्यूटी जॉइन करके अपनी सेवाएँ दी। जब यहाँ कोई सेवा देने को तैयार नहीं था। किस कारण से हमारी सेवाएँ समाप्त की गई हैं यह हमें बताया जाए। हमारी स्वतंत्रता की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। हमने भी वीसी साहब को पत्र लिखा है और वह हमारे भविष्य के हित में सोचेंगे। यह हमें उनसे उम्मीद है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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