कर्नाटक के उडुपी में स्थित पीयू कॉलेज में हिजाब पहनकर क्लास में बैठने की जिद्द करने वाली मुस्लिम लड़कियों के लिए कॉलेज ने एक निर्णय लिया है। इस निर्णय के अनुसार, हिजाब पहनने वाली ल़ड़कियों को कॉलेज प्रशासन की ओर से एक अलग कमरा दिया जाएगा जहाँ वह बैठ सकेंगी। लेकिन क्लास में एंट्री उन्हें तभी मिलेगी जब वह अपने हिजाब को उतारेंगी और तय यूनिफॉर्म में क्लास अटेंड करेंगी।
पीयू कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी के प्रवक्ता मोहनदास शिनॉय ने मीडियाकर्मियों को बताया कि 135 साल पुराना ये कॉलेज अब एक बेवजह के विवाद के कारण और बदनाम नहीं हो सकता। जो मुस्लिम लड़कियाँ हिजाब पहनकर क्लास में बैठने के लिए बाहर प्रदर्शन कर रही हैं उन्हें एक अलग कमरा दिया जाएगा। मगर क्लासरूम में एंट्री उन्हें तभी मिलेगी जब वो अपने हेडस्कॉर्फ उतारकर घुसेंगी।
कमेटी प्रवक्ता शिनॉय ने अभिभावकों से इस दौरान अपील की कि वो लोग अपने दायित्वों का पालन करते हुए कॉलेज प्रशासन का समर्थन करें और छात्र भी कॉलेज द्वारा निर्धारित किए गए यूनिफॉर्म कोड का पालन करें।
गौरतलब है कि कर्नाटक के उडुपी में स्थित कॉलेज में शुरू हुए हिजाब विवाद के बाद से पीयू कॉलेज लगातार चर्चा में बना हुआ है। कल तो वहाँ से पुलिस ने दो संदिग्धों को भी गिरफ्तार किया था। इनकी पहचान रज्जाब और हाजी अब्दुल मजीद बताई गई थी। पुलिस ने इन दोनों के पास के हथियार बरामद किए थे। वहीं तीन अन्य संदिग्धों की तलाश जारी है।
कर्नाटक में हिजाब विवाद
बता दें कि कर्नाटक के उडुपी के स्कूल से शुरू हुआ हिजाब विवाद पूरे कर्नाटक में फैल गया है। 3 फरवरी की सुबह कर्नाटक के उडुपी जिले के कुंडापुर के भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी 20 से अधिक छात्राओं को कॉलेज में प्रवेश करने से रोक दिया गया था। पीयू कॉलेज का यह मामला सबसे पहले 2 जनवरी 2022 को सामने आया था, जब 6 मुस्लिम छात्राएँ क्लासरूम के भीतर हिजाब पहनने पर अड़ गई थीं।
कर्नाटक के हिजाब विवाद से पहले उसी जगह मुस्लिमों ने हिंदुओं का किया था बहिष्कार
अजीब बात ये है कि इस घटना से दो माह पहले ही उडुपी में मुस्लिमों ने हिंदुओं का बहिष्कार किया था। इसके पीछे गोहत्या का विरोध करना मुख्य कारण था। रिपोर्टों के अनुसार, 1 अक्टूबर 2021 को हिंदू जागरण मंच द्वारा तालुक के गंगोली में मवेशी चोरी और गोहत्या के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किया गया था। प्रदर्शन में मछुआरे, मछली विक्रेता और महिलाओं सहित हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद क्षेत्र में रहने वाले मुस्लिमों ने गंगोली बाजार में हिंदुओं से मछली खरीद का बहिष्कार किया था और कुछ माह बाद कॉलेज से जुड़ा ये विवाद हो गया। अब कॉलेज में हिजाब पहनने की माँग करने वाली लड़कियों के विरोध में हिंदू लड़कियाँ भी भगवा स्कॉर्फ पहनकर स्कूल में आती दिखाई दीं। उन्होंने सवाल किया कि जब हिजाब पहना जा सकता है तो फिर भगवा स्कॉर्फ क्यों नहीं।
भले ही इस विरोध प्रदर्शन को ‘हिजाब’ के नाम पर किया जा रहा हो, लेकिन मुस्लिम छात्राओं को बुर्का में शैक्षणिक संस्थानों में घुसते हुए और प्रदर्शन करते हुए देखा जा सकता है। इससे साफ़ है कि ये सिर्फ गले और सिर को ढँकने वाले हिजाब नहीं, बल्कि पूरे शरीर में पहने जाने वाले बुर्का को लेकर है। हिजाब सिर ढँकने के लिए होता है, जबकि बुर्का सर से लेकर पाँव। कई इस्लामी मुल्कों में शरिया के हिसाब से बुर्का अनिवार्य है। कर्नाटक में चल रहे प्रदर्शन को मीडिया/एक्टिविस्ट्स भले इसे हिजाब से जोड़ें, ये बुर्का के लिए हो रहा है।