Wednesday, October 16, 2024
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जहाँ पढ़ने वाले सारे बच्चे बनना चाहते हैं मुल्ले-मौलवी, वहाँ 196 गैर-मुस्लिम छात्रों को भी दी जा रही दीनी तालीम: उत्तराखंड के मदरसों का हाल देख बिफरा NCPCR

प्रियंक ने संविधान का हवाला देते हुए आगे कहा कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति के बिना किसी दूसरे मजहब की शिक्षा नहीं दी जा सकती।

उत्तराखंड के मदरसों में गैर-इस्लामी बच्चों को इस्लामी तालीम दिए जाने का खुलासा हुआ है। इन बच्चों की संख्या 196 बताई गई है। कुछ मदरसों का गठजोड़ सरकारी स्कूलों के साथ भी पाया गया है। तमाम सरकारी मानकों पर खरे नहीं मिले। राज्य के इन मदरसों में भारत के कई प्रदेशों के छात्रों का एडमिशन पाया गया। ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग’ (NCPCR) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोमवार (13 मई, 2024) को इन मदरसों का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने दिल्ली जा कर शिक्षा विभाग को नोटिस जारी करने का भी एलान किया है।

NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सोमवार को उत्तराखंड में पुलिस सहित कई अन्य विभागों से बैठक के बाद मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि देहरादून में ही 3 ऐसे मदरसे चिह्नित हुए हैं जहाँ राज्य के बाहर रहने वाले कई छात्रों को भर्ती करवाया गया है। प्रियंक के अनुसार इन बच्चों को बुनियादी शिक्षा के अधिकार से वंचित किया गया है। बाहरी छात्रों में बिहार और उत्तर प्रदेश के बच्चे बताए जा रहे हैं। एक मदरसे में तो बच्चों से बाकायदा फीस वसूली जा रही थी। इस मदरसे ने अपना गठजोड़ एक स्थानीय स्कूल के साथ बताया।

स्कूल से मदरसों का गठजोड़ प्रियंक कानूनगो ने शिक्षा विभाग की गड़बड़ी मानते हुए इसके पीछे भ्रष्टाचार की आशंका जताई है। प्रियंक ने बताया कि निरीक्षण के दौरान बच्चों की आँखों में डॉक्टर, इंजीनियर या पुलिस अधिकारी बनने के सपने नहीं थे। ये सभी बच्चे मुफ़्ती, मौलवी, काजी और कारी बनना चाह रहे थे। NCPCR अध्यक्ष ने बताया कि उन्होंने मीटिंग एक दौरान ही इस बावत कार्रवाई के आदेश दिए हैं। साथ ही दिल्ली पहुँच कर संबंधित विभागों को नोटिस भी जारी की जाएगी।

प्रियंक कानूनगो ने आगे बताया कि उत्तराखंड में कई ऐसे मदरसे भी चल रहे हैं जो सरकार द्वारा बनाए गए मानकों पर खरे नहीं उतरते। उदहारण के तौर पर उन्होंने देहरादून के 3 उन मदरसों का नाम लिया जहाँ वो स्वयं औचक निरीक्षण के लिए गए थे। उन्होंने आगे कहा कि सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूलों में उन्हें हिन्दू बच्चों को पढ़ाने की भी जानकारी मिली है। NCPCR को कुछ समय पहले उत्तराखंड के मदरसों में 749 गैर इस्लामी बच्चों के पढ़ने की जानकारी मिली थी। ताजा आँकड़ों के मुताबिक, अभी भी 196 गैर-इस्लामी बच्चे मान्यता प्राप्त मदरसों में पढ़ रहे हैं।

प्रियंक ने संविधान का हवाला देते हुए आगे कहा कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति के बिना किसी दूसरे मजहब की शिक्षा नहीं दी जा सकती। हिन्दू बच्चों को मदरसों में पढ़ाए जाने को प्रियंक ने एक आपराधिक साजिश माना है। इस अपराध में उन्होंने राज्य के शिक्षा व अल्पसंख्यक विभाग को बराबर का जिम्मेदार माना है। अल्पसंख्यक विभाग ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग को बताया कि मदरसों की मैपिंग में कई जिलों के जिलाधिकारी (DM) सहयोग नहीं कर रहे।

अब NCPCR उत्तराखंड के तमाम जिलाधिकारियों को नोटिस जारी करेगा। नोटिस में उन सभी से स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा। ‘X’ हैंडल पर प्रियंक ने अपने निरीक्षण के वीडियो शेयर करते हुए लिखा, “आज देहरादून, उत्तराखंड में अवैध अनमैप्ड मदरसों का निरीक्षण किया मदरसा वली उल्लाह दहलवी व मदरसा दारूल उलूम में उत्तर प्रदेश व बिहार के गरीब बच्चों को ला कर रखा गया है। बच्चों के रहने के लिए बुनियादी सुविधाओं की भयंकर कमी है।”

प्रियंक कानूनगो ने आगे लिखा, “जहाँ बच्चे सोते हैं वहीं खाना बनता है। जहाँ दीनी तालीम दी जाती है वहीं लोग नमाज़ भी पढ़ने आते हैं। इसीलिए, बच्चों के खाने व सोने की दिनचर्या बेतरतीब है। किसी भी बच्चे को स्कूल नहीं भेजा जा रहा है। सभी बच्चे केवल मौलवी और मुफ़्ती ही बनना चाहते हैं। यहाँ के कारी/मौलवी के खुद के बच्चे स्कूलों में पढ़ने जाते हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारी इन मदरसों के अस्तित्व से अनभिज्ञ हैं, आवश्यक कार्यवाही हेतु राज्य सरकारों को नोटिस जारी कर रहे हैं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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