नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध के नाम पर जामिया विश्वविद्यालय में हिंसा भड़काने वाले छात्रों पर हुई पुलिस कार्रवाई के खिलाफ IIT कानपुर में 17 दिसंबर को हुए प्रदर्शन के मामले ने अब तूल पकड़ लिया है। जहाँ संस्थान के कई प्रोफेसरों ने कुछ दिन पहले शिकायत की थी कि 17 दिसंबर को हुए प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने अपना विरोध जताने के लिए पाकिस्तानी शायर फैज अहमद की नज्म ‘हम देखेंगे, लाजिम है हम भी देखेंगे…’ गाई। इन लोगों ने आरोप लगाया कि यह हिंदू और राष्ट्र विरोधी है। अब IIT कानपुर में इस पर एक उच्चस्तरीय जाँच कमिटी गठित की गई है। कमिटी इस बात की जाँच कर रही है कि जिस दिन यह नज्म IIT कैंपस में गाया गया, क्या उसके दौरान विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन किया गया। कमिटी यह भी देखेगी कि इस नज्म के गाने के बाद सोशल मीडिया पर जो पोस्ट इसके संबंध में डाले गए, वो भड़काऊ थे या नहीं। कमिटी 15 दिन के भीतर रिपोर्ट आईआईटी निदेशक को देगी।
नज्म के बोल इस तरह हैं– “लाजिम है कि हम भी देखेंगे, जब अर्ज-ए-खुदा के काबे से, सब बुत उठाए जाएँगे, हम अहल-ए-वफा मरदूद-ए-हरम, मसनद पे बिठाए जाएँगे। सब ताज उछाले जाएँगे, सब तख्त गिराए जाएँगे। बस नाम रहेगा अल्लाह का। हम देखेंगे।”
A faculty at IIT Kanpur has submitted this video and a complaint to director, alleging anti-India & communal statements made at a recent event held in ‘solidarity with Jamia’ & that event held without permission.
— Swati Goel Sharma (@swati_gs) December 21, 2019
“When All Idols Will Be Removed…
Only Allah’s Name Will Remain” pic.twitter.com/fbmNFwVBiw
इस नज्म को फैज ने 1979 में सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के संदर्भ में और पाकिस्तान में सैन्य शासन के विरोध में लिखी थी। जिसके बाद फैज अपने क्रांतिकारी विचारों के कारण कई सालों तक जेल में रहे थे।
गौरतलब है कि जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों का प्रदर्शन उग्र होने के बाद पुलिस को लाठियाँ चलानी पड़ी थी। जिसके बाद पुलिस कार्रवाई की निंदा करने के लिए कई संस्थानों में छात्रों ने विरोध किया। इस कड़ी में आईआईटी कानपुर के छात्रों ने भी प्रदर्शन की अनुमति आईआईटी प्रशासन से माँगी। हालाँकि शहर में धारा-144 लागू होने के कारण उस समय प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी, लेकिन फिर भी उन्होने शांति मार्च निकालकर अपना विरोध जताया।
इसी बीच कुछ छात्रों ने वहाँ राष्ट्र और हिंदू विरोधी भाषणबाजी की। साथ ही पाकिस्तानी शायर फैज अहमद की नज्म गाई। कुछ छात्रों ने इसका तब विरोध भी किया था। जिससे छात्रों के बीच तनाव हो गया और एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुई।
बता दें कि इस मामले में संस्थान के फैकल्टी सदस्य डॉ वाशी शर्मा समेत 16 फैकल्टी सदस्यों और छात्रों ने शिकायत दर्ज की। शिकायत में स्पष्ट लिखा है कि इस नज्म के कुछ बोल ऐसे हैं, जो हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुँचा सकते हैं।
शिक़ायतकर्ता डॉ वाशी शर्मा ने IIT प्रशासन से “नफ़रत फैलाने वाली भीड़ के ख़िलाफ तत्काल अनुशासनात्मक और क़ानूनी कार्रवाई” करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजकों और मास्टरमाइंड की पहचान की जानी चाहिए और उन्हें तुरंत निष्कासित कर दिया जाना चाहिए।
संस्थान के डिप्यूटी डॉरेक्शन मनिंदर अग्रवाल के अनुसार, इस मामले में 6 सदस्यों की कमिटी को गठित किया गया है। जिसका नेतृत्व वे खुद कर रहे हैं, ताकि मामले में जाँच की जा सके। कुछ छात्रों से पूछताछ की जा रही है, जबकि अन्य कुछ छात्रों से तब पूछताछ की जाएगी, जब वे छुट्टियों से आएँगे।
डिप्यूटी डॉयरेक्टर के अनुसार, इस कविता के शब्दों को लेकर सोशल मीडिया पर भी द्वंद्व जारी है। कुछ इसके समर्थन में हैं और कुछ इसके विरोध में।
आईआईटी निदेशक प्रोफेसर अभय करंदीकर के मुताबिक जाँच कमिटी से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी गई है। अगर छात्र दोषी पाए गए, तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उनका संस्थान से निष्कासन तक किया जा सकता है। बता दें कि नज्म के बोलों के अलावा संस्थान में इस बारे में भी जाँच की जा रही है कि बिना अनुमति 17 दिसंबर को छात्रों ने शांति मार्च कैसे निकाल लिया।
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