Friday, March 29, 2024
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दिवाली पर देश में खतरा बन छाया ‘सितरंग’, बंगाल और ओडिशा में अलर्ट जारी: बिहार-झारखंड में भी होगा असर, बंगाल की खाड़ी से बढ़ रहा चक्रवात

साल 1970 में आए साइक्लोन का नाम भारत ने भोला रखा था। यह अब तक के सबसे खतरनाक चक्रवातों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान 3 लाख से 5 लाख लोगों की मौत हुई थी। बता दें कि जिन चक्रवातों की गति 65 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है, सिर्फ उन्हीं का नामकरण किया जाता है।

मौसम विभाग ने चक्रवात सितरंग के कारण अगले 12 घंटों में बंगाल, ओडिशा सहित कई राज्यों में भारी बारिश हो सकती है। इसके साथ ही तेज आँधी और तूफान आ सकता है। चक्रवाती तूफान के कारण धन-जन की होने वाली हानि को देखते हुए अलर्ट जारी किया गया है।

इस दौरान 60-70 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएँ चल सकती हैं। साल 2018 में बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवाती तूफान ‘तितली’ के बाद यह पहला तूफान है। इसलिए ओडिशा, बंगाल और आंध्र प्रदेश के तटीय इलाकों को विशेष रूप से सतर्क रहने के लिए कहा गया है।

पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी में बना दबाव उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ गया है। दबाव का केंद्र पोर्ट ब्लेयर से लगभग 580 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम, सागर द्वीप से 700 किलोमीटर दक्षिण में और बारिसल (बांग्लादेश) से 830 किलोमीटर दक्षिण में था।

इसके कारण बंगाल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, असम, मेघालय और त्रिपुरा में भारी बारिश के साथ तेज हवाएँ चलने की आशंका जाहिर की गई है। IMD ने मछुआरों को सलाह दी है कि वे मध्य बंगाल की खाड़ी के गहरे समुद्र क्षेत्र में न जाएँ।

IMD ने कहा है, “साइक्लोन सितरंग का केंद्र निम्न दबाव वाले क्षेत्र बंगाल की पूर्व-मध्य खाड़ी से सटे दक्षिण-पूर्व में है। यह 23 अक्टूबर की सुबह तक पूर्व-मध्य और इससे सटे बंगाल की दक्षिण-पूर्वी खाड़ी पर बड़ा असर डाल सकता है। 24 अक्टूबर की सुबह तक सितरंग के धीरे-धीरे उत्तर-पूर्व की ओर बढ़ने और बंगाल की मध्य खाड़ी के ऊपर एक चक्रवाती तूफान में तेज होने की संभावना है।”

क्या होता है चक्रवात

साइक्लोन शब्द ग्रीक भाषा के साइक्लोस (Cyclos) से बना है। इसका अर्थ होता है साँप की कुंडली। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में ट्रॉपिकल साइक्लोन (उष्णकटिबंधीय आँधी) समुद्र में कुंडली मारे साँप की तरह दिखाई देते हैं। 62 किमी/घंटे तक वाले ट्रॉपिकल स्टॉर्म कहलाते हैं। यदि हवा की रफ्तार 120 किमी/घंटे पहुँच जाती है तो ये चक्रवात बन जाते हैं।

चक्रवात समुद्र में कम दबाव के बाद बनते हैं और गर्म होकर ऊपर उठते हुए गोलाकार घुमते हुए एक घेरा बनाते हुए आगे बढ़ते हैं। जब ये चक्रवात जमीन पर पहुँचते हैं तो अपने तेज हवाओं के साथ भारी बारिश लेकर आते हैं। चक्रवात के रास्ते में आने वाले पेड़-पौधे, जीव-जंतु और घरों तक को तबाही का सामना करना पड़ता है।

स्टॉर्म को साइक्लोन, हरिकेन और टाइफून एक ही होते हैं और इन्हें ट्रॉपिकल साइक्लोन भी कहा जाता है। अटलांटिक और उत्तर-पश्चिम महासागरों में बनने वाले साइक्लोन हरिकेन कहलाते हैं। उत्तर-पश्चिम प्रशांत महासागर के साइक्लोन को टाइफून कहा जाता है।

दक्षिण प्रशांत महासागर और हिंद महासागर में उठने वाले तूफान साइक्लोन कहलाते हैं। इसी वजह से भारत के आसपास के इलाकों में आने वाले समुद्री तूफान साइक्लोन कहलाते हैं। वहीं, समुद्र के बजाय धरती पर बनने वाले चक्रवात को टॉरनेडो कहा जाता है और यह सबसे ज्यादा अमेरिका में आते हैं।

कैसे रखे जाते हैं नाम

दुनिया भर में साइक्लोन के नाम 18वीं सदी तक कैथोलिक संतों के नाम पर रखने का रिवाज। था। उसके बाद 19वीं सदी में महिलाओं के नाम पर भी इसके नाम रखे जाने लगे। इसके बाद 1979 से साइक्लोन के नाम में पुरुषों के नाम को भी जोड़ा गया।

साल 2000 से विश्व मौसम संगठन (WMO) और यूनाइटेड नेशंस इकोनॉमिक एंड सोशल कमीशन फॉर द एशिया पैसिफिक (ESCAP) ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र के तूफानों के नामकरण का एक तरीका निकाला। साइक्लोन के नाम रखने का काम दुनिया भर में मौजूद 6 रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स (RSMCS) और 5 ट्रॉपिकल साइक्लोन वॉर्निंग सेंटर्स (TCWCS) करते हैं।

6 रीजनल स्पेशलाइज्ड मेट्रोलॉजिकल सेंटर्स (RSMCS) में भारतीय मौसम विभाग (IMD) भी शामिल है। IMD इस रीजन के बंगाली की खाड़ी और हिंद महासागर में आने वाले चक्रवात से संबंधित एडवायजरी 13 देशों को जारी करता है।

हिंद महासागर के इलाके में आने वाले चक्रवात के नामकरण को लेकर साल 2004 में बने फॉर्मूले के तहत इलाकों में आने वाले साइक्लोन के नाम रखने के फॉर्मूले पर 2004 में सहमति बनी थी। इसके तहत हर साल साइक्लोन के नाम वर्णानुक्रम के तहत आने वाले देश तय करेंगे। एक नाम का दोबारा इस्तेमाल कम से कम 6 साल बाद ही हो सकता है।

आने वाले साइक्लोन का नाम सितरंग थाईलैंड ने तय किया है। इसके बाद UAE और उसके बाद यमन करेगा। इस रीजनल में जो 13 देश शामिल हैं, उनके नाम हैं- भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका थाईलैंड, ईरान, कतर, सऊदी अरब, यूएई और यमन।

साल 1970 में आए साइक्लोन का नाम भारत ने भोला रखा था। यह अब तक के सबसे खतरनाक चक्रवातों में से एक माना जाता है। कहा जाता है कि इस दौरान 3 लाख से 5 लाख लोगों की मौत हुई थी। बता दें कि जिन चक्रवातों की गति 65 किलोमीटर प्रति घंटा से अधिक होती है, सिर्फ उन्हीं का नामकरण किया जाता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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