Sunday, April 28, 2024
Homeदेश-समाजक्या बम विस्फोट में हुई मौत हत्या है या गैर इरादतन मानव संहार? :...

क्या बम विस्फोट में हुई मौत हत्या है या गैर इरादतन मानव संहार? : सिविल जज की परीक्षा में पूछे गए सवालों में उलझी उत्तराखंड HC, ऐसे निकाला हल

याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में आए तीन अन्य सवालों पर भी आपत्ति जताई है। इस मामले में आखिरकार कोर्ट ने आयोग को सवालों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

उत्तराखंड हाईकोर्ट को राज्य न्यायिक सेवा सिविल जज के प्रारंभिक परीक्षा में पूछे गए सवाल पर डाली गई याचिका पर सुनवाई करते वक्त खासी मुश्किल का सामना करना पड़ा। दरअसल, परीक्षा में एक ऐसा सवाल था जिसके जवाब ने विवादास्पद रूप ले लिया था। इसी पर हाई कोर्ट सुनवाई कर रही थी।

न्यायिक सेवा की परीक्षा में पूछा गया था- ‘A’ ने एक मेडिकल स्टोर में बम रखा और बम विस्फोट होने से पहले लोगों को बाहर निकलने के लिए तीन मिनट का वक्त दिया। आर्थराइटिस से पीड़ित एक मरीज ‘B’ वहाँ से निकलने में सफल नहीं हो सका और मारा गया। क्या इसके लिए A के तहत मामला दर्ज किया जाएगा? ये सवाल पूछा गया था। इसके लिए चार विकल्प ए, बी, सी और डी दिए गए थे।

इसके लिए परीक्षा में शामिल हुए अधिकतर आवेदकों ने विकल्प ‘ए’ (आईपीसी की धारा 302 के तहत – हत्या) का चयन किया, लेकिन आयोग के मुताबिक, सही उत्तर ‘डी’ था (आईपीसी की धारा 304 ए – गैर इरादतन हत्या/ मानव संहार)।” ये परीक्षा उत्तराखंड लोक सेवा आयोग (यूकेपीएससी) ने आयोजित की थी और इसके नतीजे इस साल मई में घोषित किए गए थे।

बता दें कि इस सवाल पर डाली गई याचिका की सुनवाई उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विपिन सांघी और जस्टिस राकेश थपलियाल की बेंच कर रही थी। बेंच ने इस मामले की सुनवाई 13 सितंबर को की थी, लेकिन इसे लेकर ब्योरा इसी हफ्ते साझा किया गया। इस मामले में आखिरकार कोर्ट ने आयोग को सवालों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

‘गैर इरादतन तो आईपीसी की धारा 302 नहीं’

टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक, यूकेपीएससी ने कोर्ट में तर्क दिया कि ”हत्या का इरादा न होने से ये मामला आईपीसी की धारा 302 से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह लापरवाही की वजह से मौत से जुड़ा मामला है।” इस मामले पर उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा, “हमारे लिए यह कहना काफी है कि सब्जेक्ट एक्सपर्ट ने मोहम्मद रफीक के मामले में 2021 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा किया है। अदालत विषय के एक्सपर्ट की राय से इतर कोई भी राय देने से परहेज करती है।”

गौरतलब है कि मोहम्मद रफीक मामले में मध्य प्रदेश में एक पुलिस अधिकारी को एक तेज रफ्तार ट्रक ने कुचल दिया जब उसने इस पर चढ़ने की कोशिश की और ड्राइवर रफीक ने उसे धक्का देकर गिरा दिया। हालाँकि इस बीच इस याचिका ने कानूनी हलकों में इस बात पर बहस छेड़ दी कि क्या किसी आतंकवादी कृत्य को ‘हत्या’ के बजाय ‘लापरवाही की वजह से मौत’ के तौर पर देखा जा सकता है?

हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकील, अवतार सिंह रावत से जब उनकी इस मामले में राय के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “यह स्पष्ट रूप से लापरवाही का मामला नहीं है क्योंकि कृत्य ही स्वयं इरादे को दर्शाता है और ‘ए’ अपने काम के नतीजों को जानता था।” उन्होंने कहा, “बिना किसी संदेह के, यह मामला आईपीसी की धारा 302 हत्या के दायरे में आता है।”

तीन अन्य सवालों पर भी थी आपत्ति

याचिकाकर्ताओं ने परीक्षा में आए तीन अन्य सवालों पर भी आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा, “दो सवालों में याचिकाकर्ता ने सही विकल्प चुना था, जबकि विषय के एक्सपर्ट गलत विकल्प पर अड़े थे।” दोनों पक्षों के दिए गए तथ्यों की समीक्षा करने के बाद, अदालत ने कहा, “हमारा विचार है कि एक्सपर्ट ने इसका इस्तेमाल बगैर ध्यान दिए किया है।” कोर्ट ने आयोग को दोनों सवालों पर पुनर्विचार करने का निर्देश दिया।

तीसरे सवाल के संबंध में, हाई कोर्ट ने कहा, “इसे पूरी तरह से संवेदनहीन तरीके से तैयार किया गया था।” अदालत ने कहा कि हमें यह देखकर दुख होता है कि सवाल को तैयार करने में जल्दबाजी की गई है।

कोर्ट ने परीक्षा में उत्तरदाताओं को ध्यान में रखते हुए इस सवाल को हटाने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि इस आधार पर ही चयन की पूरी प्रक्रिया चार हफ्ते के अंदर खत्म की जानी चाहिए। इसके साथ ही एक नई मेरिट लिस्ट तैयार की जानी चाहिए जिसके आधार पर चयन प्रक्रिया जारी रहनी चाहिए।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

IIT से इंजीनियरिंग, स्विटरजरलैंड से MBA, ‘जागृति’ से युवाओं को बना रहे उद्यमी… BJP ने देवरिया में यूँ ही नहीं शशांक मणि त्रिपाठी को...

RC कुशवाहा की कंपनी महिलाओं के लिए सैनिटरी नैपकिंस बनाती है। उन्होंने बताया कि इस कारोबार की स्थापना और इसे आगे बढ़ाने में उन्हें शशांक मणि त्रिपाठी की खासी मदद मिली है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe