नागरिकता संशोधन कानून (CAB) से भारतीयों का कोई लेना देना नहीं है। बावजूद इसके जामिया मिलिया इस्लामिया में शुक्रवार को हिंसक प्रदर्शन हुआ और मजहबी नारे लगाए गए। जामिया प्रशासन के एक बयान से इस घटना के पीछे गहरी साजिश होने के संकेत मिले हैं। प्रशासन का कहना है कि विरोध-प्रदर्शन में बाहरी लोग घुस आए थे जिसके कारण हिंसक हो गया।
ऐसे में यह सवाल उठता है कि वे कौन लोग हैं जो बाहर से आकर जामिया के छात्रों के प्रदर्शन में शामिल हुए थे? प्रदर्शन को हिंसक बनाने के पीछे किनका हाथ है? किनके इशारे पर उन्मादी नारे लगे? उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सिटी के आसपास के इलाकों में समुदाय विशेष के लोगों की घनी आबादी है।
रविवार (15 दिसंबर) को जामिया के जनसम्पर्क अधिकारी अहमद अज़ीम ने कहा, “विश्वविद्यालय परिसर में न तो प्रदर्शन हुआ और न ही यह विरोध जामिया का था। बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने इसमें भाग लिया। हमने छात्रों के साथ बातचीत की, अब वे शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं।”
Jamia Millia Islamia (JMI) administration has clarified that a large number of locals participated in the protest and it was not held in the varsity campus
— ANI Digital (@ani_digital) December 15, 2019
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इससे पहले शनिवार को विश्वविद्यालय ने कहा था, “सभी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया गया है। शीतकालीन अवकाश 16 दिसंबर, 2019 से 5 जनवरी, 2020 तक घोषित किया गया है। विश्वविद्यालय 6 जनवरी 2020 को खुलेगा।”
जामिया में शुक्रवार को हुए प्रदर्शन में 12 से अधिक लोग घायल हो गए थे। प्रदर्शनकारियों ने पुलिसकर्मियों पर पथराव किया था। छात्रों ने कैंपस और बाहर सड़क पर फजर (सुबह की पहली नमाज) की नमाज के बाद 8 से 10 बजे के बीच सेमेस्टर परीक्षाएँ लेने पहुँचे शिक्षकों को विभागों से बाहर निकाल ताला लगा दिया था। लेकिन, प्रशासन का दावा है कि इन प्रदर्शनकारियों में छात्रों की संख्या बेहद कम थी। ज्यादातर बाहरी थे।
प्रदर्शन के कुछ वीडियो सामने आए थे। इसमें छात्र ‘अल्लाहु अकबर‘ और ‘नारा-ए-तकबीर’ के नारे लगाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं। “तेरा मेरा रिश्ता क्या- ला इलाहा इल्लल्लाह, ये शहर जगमगाएगा- नूर-ए-इलाहा से”, जैसे भी नारे लगे थे। अमूमन ऐसे नारे कश्मीर में पाकिस्तान के समर्थन में आतंकी लगाते सुनाई पड़ते रहे हैं।
छात्रों की हिंसक भीड़ पुलिस को उकसाते और गाली दे रही थी। स्थिति को नियंत्रित करने और भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को आँसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा था।
जामिया में मजहबी नारे ‘नारा-ए-तकबीर’, ‘ला इलाहा इल्लल्लाह’ क्यों लग रहे? विरोध तो सरकार का है न?
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