Sunday, October 6, 2024
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श्रीनगर में कश्मीरी पंडित को निशाना बनाना चाहते थे आतंकी, गलती से मारा गया इब्राहिम खान

“मेरे पास एक XUV गाड़ी है। मुझे दोपहर करीब 3 बजे पुलिस ने फोन कर बताया था कि मुझे निशाना बनाया जा सकता है। इसलिए, मैं अपनी छोटी गाड़ी में घर से निकल गया।”

जम्मू-कश्मीर इस्लामी आतंकियों सोमवार (8 नवंबर 2021) को श्रीनगर के पुराने शहर इलाके में कश्मीरी सेल्समैन मोहम्मद इब्राहिम खान (45) की गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस पर अब उसके परिवार वालों ने दावा किया है कि आतंकियों ने गलती से उसकी हत्या कर दी थी। असल में वो बोहरी कदल में जिस कश्मीरी पंडित की दुकान में काम करता था आंतकी उसे मारना चाहते थे।

आतंकियों ने उसके सीने और पेट में गोली मारी थी, जिसके बाद इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।

पीड़ित के परिवारवालों ने दावा किया है कि गलती से इब्राहिम को गोली मारी गई थी। इस मामले में पत्रकार आदित्य राज कौल ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें मृतक के परिवार के सदस्यों को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि दुकानदार काफी दूर था इसलिए आतंकियों ने उनके बेटे इब्राहिम खान को ही दुकान का मालिक समझ लिया और गलती से उसकी हत्या कर दी।

‘मैं कश्मीर नहीं छोड़ूँगा’

न्यूज 18 की रिपोर्ट के मुताबिक, दुकान के मालिक डॉ संदीप मावा को इस बात की जानकारी थी कि आतंकी उन्हें निशाना बना सकते हैं और इसको लेकर पुलिस ने उन्हें पहले से ही आगाह कर दिया था। डॉ मावा ने खुलासा किया, “मेरे पास एक XUV गाड़ी है। मुझे दोपहर करीब 3 बजे पुलिस ने फोन कर बताया था कि मुझे निशाना बनाया जा सकता है। इसलिए, मैं अपनी छोटी गाड़ी में घर से निकल गया।”

गलत पहचान का मामला बताते हुए मावा ने कहा, “इब्राहिम (खान) रात करीब 8 बजे दुकान से मेरी एक्सयूवी लेकर निकले थे। आतंकी वहाँ अँधेरे में घात लगाए हुए था। उसने सोचा कि गाड़ी में मैं हूँ और इब्राहिम खान के सीने में चार गोलियाँ मार दी।” खुद को इसके लिए दोषी मानते हुए मावा ने कहा, “मुझे नहीं पता कि उसके परिवार का सामना कैसे करना है। ऐसा लगता है जैसे मैं ही उनकी मौत के लिए जिम्मेदार हूँ।”

जान जाने के खतरों के बीच मावा ने स्पष्ट किया है कि वो आतंकियों के डर से कश्मीर नहीं छोड़ेंगे। मावा ने कहा, “मैं कश्मीर नहीं छोड़ूँगा और बंदूक के डर से चुप नहीं होऊँगा।” 1990 के दशक में मावा के पिता को भी आतंकियों ने गोली मार दी थी।

मावा ने कहा, “मेरे पिता दिल्ली में हैं। मैं अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ श्रीनगर में हूँ। ताजा घटना के बाद वे काफी डरे हुए हैं, लेकिन मैं उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा हूँ।”

1990 के दशक में मावा के पिता को आतंकवादियों ने गोली मार दी थी, जिसके बाद उनका परिवार जम्मू और दिल्ली में बस गया था। हालाँकि, उन्होंने 2019 में अपने परिवार के साथ कश्मीर लौटने का फैसला किया था।

‘बाप-बेटे हैं असली निशाना’

इस हत्या की जिम्मेदारी आतंकी संगठन मुस्लिम जनबाज फोर्स ने ली थी। बिना साइन किए हुए एक पत्र में आतंकियों ने स्वीकार किया था कि पिता-पुत्र (संदीप मावा और उनके पिता रोशन लाल मावा) असली लक्ष्य थे, क्योंकि वे ‘भारतीय एजेंसियों’ के लिए काम कर रहे हैं।

पत्र में मावा फैमिली के लिए कहा गया है, “वे गैर-स्थानीय लोगों को कश्मीर लाने में शामिल थे।”

दिवाली के बाद दूसरी हत्या

दिवाली के बाद घाटी में आतंकियों ने दूसरी हत्या की वारदात को अंजाम दिया है। खान की हत्या से एक दिन पहले भी आतंकवादियों ने बटामालू इलाके में 29 वर्षीय पुलिस कॉन्स्टेबल तौसीफ अहमद वानी की हत्या कर दी थी।

इस्लामिक आतंकवादियों द्वारा 10 हिंदू नागरिकों की हत्या के बाद से श्रीनगर में अक्टूबर से हाई अलर्ट पर है। केंद्र ने घाटी में अतिरिक्त 5,000 अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया है।

श्रीनगर में कैंडल लाइट प्रदर्शन

इस बीच श्रीनगर नगर निगम के पार्षदों ने मंगलवार को घाटी में नागरिकों की हालिया हत्याओं के विरोध में मोमबत्ती जलाकर विरोध प्रदर्शन किया था।

उल्लेखनीय है कि यह प्रदर्शन श्रीनगर के लाल चौक पर विरोध प्रदर्शन किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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