Saturday, April 27, 2024
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झारखंड: 34वें राष्ट्रीय खेल में चैंपियन रही सैकड़ों मेडल विजेता विमला मुंडा ‘हड़िया’ बेचने को मजबूर, बेबसी ने किया कराटे से दूर

आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण विमला जैसी नेशनल प्लेयर आज हड़िया (राइस बियर) बेच कर अपना और अपने परिवार का ख्याल रख रही हैं। विमला का हड़िया बेचना अब विवशता है। कराटे की प्रैक्टिस पर भी असर पड़ रहा है। माँ दूसरे के खेतों में काम करती हैं। पिता फिजिकली फिट नहीं हैं।

सोशल मीडिया पर राँची की एक जाँबाज खिलाड़ी की वीडियो तेजी से वायरल हो रही है। वीडियो में एक तरफ जहाँ आप खिलाड़ी के सैकड़ों मेडल और सर्टिफिकेट देख खुश हो जाएँगे, वहीं दूसरी ओर उसकी गरीबी और लाचारी देखकर आपका दिल भर आएगा। बता दें झारखंड की राजधानी राँची के कांके में एक ऐसी प्रतिभा रहती है, जो कराटे में सिर्फ ब्लैक बेल्ट ही नहीं बल्कि नेशनल गोल्ड मेडलिस्ट भी है। लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि प्रतिभा की धनी यह खिलाड़ी मजबूरी और बेबसी में जिंदगी गुजार रही है।

आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण विमला जैसी नेशनल प्लेयर आज हड़िया (राइस बियर) बेच कर अपना और अपने परिवार का ख्याल रख रही हैं। विमला का हड़िया बेचना अब विवशता है। कराटे की प्रैक्टिस पर भी असर पड़ रहा है। माँ दूसरे के खेतों में काम करती हैं। पिता फिजिकली फिट नहीं हैं।

वायरल वीडियो में आप विमला मुंडा के संघर्ष को देख सकते है। वीडियो अपनी व्यथा बताते हुए खिलाड़ी ने कहा, “सरकार ने खिलाड़ियों के प्रति कोई ध्यान नहीं दिया। चाहे कोई भी खेल हो। हम लोग को तो कुछ भी पता नहीं था हम बस खेल में मग्न थे। हमनें सोचा हम लोग स्पोर्ट्स में है, खेलेंगे तो आगे कुछ होगा, सरकार हमें नौकरी देगी। अब हम आदिवासी है तो खेतीबाड़ी के साथ हम हड़िया भी बेचते है। उसी के जरिए हम कंपीटिशन में जाते है। ऐसे में बहुत दिक्कत होती है।”

वहीं विमला की माँ ने बताया की विमला को पढ़ाने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ी है। कुछ नहीं हुआ तो आजीविका चलाने के लिए हड़िया बेचना मजबूरी है।

विमला मुंडा वैसे तो साल 2008 से ही टूर्नामेंट खेल रही हैं। इसी साल डिस्ट्रिक्ट लेवल पर इन्होंने मेडल अपने नाम किया था। इसके बाद 2009 में ओडिशा में भी पदक विजेता रही। 34वें नेशनल गेम्स में विमला ने सिल्वर मेडल जीत कर राज्य का मान बढ़ाया तो वहीं अक्षय कुमार इंटरनेशनल कराटे चैम्पियनशिप में इन्होंने दो गोल्ड मेडल जीत कर अपना और अपने राज्य का नाम रौशन किया।

इस तरह के सैकड़ों मेडल विमला ने अपने नाम किए हैं। विमला अपने मेडल और सर्टिफिकेट देखकर भावुक हो जाती हैं। कहती हैं पहले पूरे दिन सिर्फ अपने मेडल और सर्टिफिकेट को ही निहारती रहती थी.. लेकिन जैसे सच्चाई से सामना होता गया मैंने अपने सभी मेडल और सर्टिफिकेट बक्से में रख दिए हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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