Sunday, November 17, 2024
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JNU की जिस प्रेसिडेंट का रात में फूटा माथा, दिन में वो खुद नक़ाबपोश हमलावरों के साथ थीं – Video Viral

JNUSU की प्रेसिडेंट एक तरफ़ तो पूरे प्रकरण के लिए ABVP को दोषी ठहराने में जुटी रहीं, वहीं दूसरी तरफ़ उनकी पोल इस बात पर खुल जाती है कि अगर ऐसा है तो फिर वो ख़ुद मास्क लगाए गुंडों के साथ दिन के उजाले में क्या कर रही थीं?

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) अभी चर्चा में है। वहाँ कैंपस में नकाबपोशों के द्वारा हिंसा की गई है। आरोप-प्रत्यारोप वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों एक-दूसरे पर लगा रहे हैं। हिंसा छोटी-मोटी नहीं बल्कि भयानक स्तर की – यह आप वहाँ से आए वीडियो और फोटो देखकर समझ सकते हैं। इसी हिंसा का शिकार JNUSU (जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन) की अध्यक्ष आइशी घोष भी हुईं। उनका सर फटा, खून से लथपथ उनका चेहरा वायरल हुआ। चूँकि आइशी घोष वामपंथ से हैं, तो जाहिर सी बात है कि आरोप दक्षिणपंथी ABVP पर लगाया गया। खबरें भी बनीं, वायरल भी हुई।

यह पूरा प्रकरण कल यानी 5 जनवरी को देर रात हुआ। लेकिन सुबह होते-होते यानी 6 जनवरी को JNU में हिंसा किसने की, हिंसा को कौन प्रभावित कर रहा था – इसका दूसरा पहलू भी सामने आ गया। जो आरोप ABVP पर लगा कर उसे गुंडा तत्व बताया जा रहा था, दो वीडियो ने इस आरोप की हवा निकाल दी। लेकिन वीडियो में दिख रहे उजाले और मास्क पहने लड़के-लड़कियों को समझने के लिए आपको 5 जनवरी को हुई हिंसा से दो दिन पहले हुए घटनाक्रम को समझना होगा।

JNU में हिंसा की शुरुआत होती है 3 जनवरी से। लेकिन यह मेनस्ट्रीम मीडिया में खबर बनकर आती नहीं है। आती भी है तो छिटपुट घटना के तौर पर। दरअसल उस दिन छात्रों के एक नक़ाबपोश ग्रुप ने दोपहर के क़रीब 1 बजे सूचना प्रणाली केंद्र में जबरन घुसकर लाइट बंद कर दी थी, पूरे टेक्निकल स्टाफ़ को बाहर खदेड़ दिया था और सर्वर बंद कर दिया। ये सब इसलिए किया गया था ताकि जो छात्र (पढ़ने वाले, आंदोलन से जिनका दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं) अपने सेमेस्टर एग्जाम के लिए रजिस्ट्रेशन करवा रहे थे, उनको रोका जाए, उन्हें जबरन अपने आंदोलन से जोड़ा जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन को यह दिखाया जाए कि सभी छात्र आंदोलन में एकसाथ हैं। वामपंथी छात्रसंघ का यह हंगामा सफल भी हुआ और छात्रों का रजिस्ट्रेशन प्रोसेस उस दिन बुरी तरह से प्रभावित हो गया, उसे बंद करना पड़ा।

इस खबर को आप डिटल में यहाँ पढ़ सकते हैं : JNU में नक़ाबपोश छात्रों ने लाइट बंद कर किया हंगामा: टेक्निकल स्टाफ को किया बाहर, रजिस्ट्रेशन में डाला व्यवधान

4 जनवरी को माहौल गर्म था लेकिन कुछ हुआ नहीं। फिर 5 जनवरी को क्यों भड़क गई बात? इसके पीछे वजह टेक्निकल है। 5 जनवरी यानी रविवार को रजिस्ट्रेशन का आखिरी दिन था। एबीवीपी से जुड़े छात्रों के अलावा भी जो पढ़ाई-लिखाई का प्रक्रिया से जुड़े रहना चाहते थे, वो रजिस्ट्रेशन के लिए गए थे। मगर लेफ्ट विंग के छात्रों ने सर्वर रूम को लॉक कर दिया और वाई-फाई काट दिया। जिसकी वजह से उनका रजिस्ट्रेशन नहीं हो पाया। बात इतने पर भी खत्म नहीं हुई। ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन में आ रही समस्या को देखते हुए कुछ छात्र-छात्राएँ मैनुअल रजिस्ट्रेशन करवा रहे थे। अब वामपंथियों को लगने लगा कि आंदोलन उनके हाथ से फिसलता जा रहा है। अगर छात्र ही उनके साथ नहीं होंगे तो फिर काहे की छात्र राजनीति! बस उन्होंने मैनुअल रजिस्ट्रेशन करवा रहे छात्र-छात्राओं के साथ मारपीट शुरू कर दी। और यह सब हुआ दिन के उजाले में। जबकि नेशनल मीडिया में JNU बवाल की खबर आती है शाम से। वीडियो, फोटो शेयर किए जाते हैं रात वाले।

आइशी घोष (बाएँ लाल घेरे में, दाएँ घायल)

रात में जितना भी बवाल होता है, जितनों को चोट लगती है – सबका आरोप ABVP के ऊपर मढ़ दिया जाता है। PM मोदी से लेकर अमित शाह तक को आतंकवादी बता दिया जाता है। और खुद JNUSU प्रेसिडेंट के सर फटी तस्वीर से नैरेटिव फिट भी बैठ रहा था वामपंथियों का… लेकिन ट्विस्ट आता है सोशल मीडिया के जरिए 6 जनवरी को – 2 वीडियो के जरिए। दोनों दिन के उजाले वाले वीडियो। एक में भीड़ द्वारा छात्र-छात्राओं को पीटा जाना, दूसरे में मास्क पहने या मुँह ढँकी भीड़ के साथ खुद JNUSU प्रेसिडेंट का होना। JNU प्रशासन ने भी जो बयान जारी किया, उसमें भी कहा गया कि विरोध-प्रदर्शन कर रहे छात्रों द्वारा नए सेमेस्टर के लिए पंजीकरण कराने गए छात्रों को रोकने की कोशिश की गई, उनके साथ मारपीट की गई।

लेकिन, सोशल मीडिया के युग में सच्चाई अधिक दिनों तक छिप नहीं पाती। ऐसा ही कुछ इस मामले में भी हुआ। दरअसल, ट्विटर पर अभिजीत अय्यर मित्रा ने एक वीडियो क्लिप शेयर की, जो सूर्यास्त के पहले शाम 5:37 बजे की है। इस क्लिप में आइशी को ख़ुद उन्हीं नक़ाबपोश छात्रों के समूह के साथ देखा गया। इस वीडियो में देखा जा सकता है कि वो न सिर्फ़ उन नक़ाबपोशों के साथ थीं बल्कि वो उन छात्रों को डायरेक्शन भी दे रही थीं।

वामपंथियों की करतूत का पर्दाफ़ाश करते इस इसी वीडियो को फ़िल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने भी शेयर किया और लिखा कि ख़ुद वामपंथी गिरोह रजिस्ट्रेशन करने देना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने छात्रों के साथ मारपीट की, वाई-फाई कनेक्शन काट दिया और फिर वापस अपने हॉस्टल में आ गए।

ग़ौर करने वाली बात यह है कि JNUSU की प्रेसिडेंट एक तरफ़ तो पूरे प्रकरण के लिए ABVP को दोषी ठहराने में जुटी रहीं, वहीं दूसरी तरफ़ उनकी पोल इस बात पर खुल जाती है कि अगर ऐसा है तो फिर वो ख़ुद मास्क लगाए गुंडों के साथ क्या कर रही थीं?

सच तो यह है कि JNU में यह सब एक ऐसी साज़िश के तहत किया गया जिसका मक़सद ABVP को बदनाम कर उसे हिंसात्मक दिखाना है और लोगों के बीच भाजपा के छात्र संगठन के लिए ज़हर घोलना है। छात्रों को रजिस्ट्रेशन न करने देने की धमकी और विश्वविद्यालय में उत्पात मचाने के पीछे एक सोची-समझी चाल थी, जिसके पासे ख़ुद वामपंथियों ने ही फेंके थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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