अवैध धर्मान्तरण को रोकने के लिए कर्नाटक में सीएम बासवाराज बोम्मई की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार की ‘धर्मान्तरण विरोधी अधिनियम’ का विरोध शुरू हो गया। इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों का हनन बताकर दुष्प्रचार करने का प्रयास किया जा रहा है। बेंगलुरु के आर्कबिशप रेवरेंड पीटर मचाडो ने भी सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई को पत्र भी लिखा है।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीटर मचाडो ने सीएम को लिखे पत्र में धर्मान्तरण रोकने के लिए लाए जा रहे बिल को भेदभावपूर्ण और मनमाना करार दिया है। उनका मानना है कि इस बिल के कानून का रूप लेने से न केवल अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन होगा, बल्कि राज्य में शांति और एकता को नुकसान पहुँचेगा। इससे अराजकता की स्थिति पैदा होगी। उन्होंने मौजूदा कानूनों के रहते नए कानून बनाए जाने को गैर-जरूरी बताया है। इसके साथ ही मचाडो ने दावा किया है कि कर्नाटक का पूरा ईसाई समुदाय एक स्वर में इस कानून का विरोध कर रहा है।
पत्र में पीटर मचाडो ने संविधान के आर्टिकल 25, 26 का हवाला दिया। उन्होंने कहा, “संविधान के अनुच्छेद 25 में धर्म की स्वतंत्रता और स्वतंत्र पेशे का विधान है और अनुच्छेद 26 के तहत सभी धर्मों को स्वतंत्रतापूर्वक अपने धार्मिक मामलों की देखरेख करने का अधिकार दिया गया है।” इसके अलावा, आर्क बिशप ने राज्य सरकार द्वारा राज्य में गैर-सरकारी ईसाई मिशनरियों व चर्चों का सर्वे कराने के फैसले का भी विरोध किया है। मचाडो का कहना है कि जनगणना के दौरान जब सरकार एक बार डाटा कलेक्ट कर चुकी है तो दोबारा ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इससे पहले 26 अक्टूबर 2021 में आर्कबिशप ने ऐलान किया था कि वो सरकार द्वारा लाए जाने वाले धर्मान्तरण विरोधी विधेयक का विरोध करेंगे। उन्होंने कहा था कि ऐसे कानूनों से केवल साम्प्रदायिक सद्भाव बिगड़ेंगे। गौरतलब है कि राज्य सरकार आगामी विधानसभा सत्र में इस विधेयक को पेश करने जा रही है।