कर्नाटक के बीदर में हिंदू एक बार फिर इकोसिस्टम की दोगलई के शिकार हुए हैं। 9 लोगों पर एफआईआर हुई है। चार की गिरफ्तारी भी हो गई है। इन पर महमूद गेवान मदरसा और मस्जिद में ताला तोड़कर प्रवेश करने तथा पूजा करने का आरोप है। पुलिस का कहना है कि मस्जिद में प्रवेश करने के लिए ताला नहीं तोड़ा गया। साथ ही बताया है कि निजाम के जमाने से ही यहाँ दशहरा पूजा की परिपाटी रही है। फिर सवाल उठता है कि 9 लोगों पर एफआईआर क्यों हुई? उनकी गिरफ्तारी किस अपराध में की जा रही है?
इस सवाल का जवाब वह इस्लामी प्रलाप है, जिससे हिंदू पीड़ित हैं। जब किसी मंदिर के द्वार नमाज और इफ्तार के लिए खोले जाते हैं, जब कुछ विधर्मी मंदिर में घुस नमाज पढ़ते हैं, जब विधर्मी छेड़छाड़ की नीयत से हिंदुओं के धार्मिक आयोजनों में घुसपैठ करते हैं, तो इकोसिस्टम के लिए यह गंगा-जमुनी तहजीब हो जाता है। उसे इसमें हिंदू-मुस्लिम एकता दिखती है। भारत की विविधता से उसका साक्षात्कार होता है। शिवलिंग का अपमान उसे अभिव्यक्ति की आजादी लगता है, लेकिन इसके जवाब में उनके ही मजहबी पुस्तकों का उल्लेख कर टिप्पणी करना ईशनिंदा हो जाता है। उनके लिए नारा ए तकबीर अधिकार है, लेकिन जय श्रीराम उन्माद का परिचायक है। जब हिंदू घुसपैठ करने वाले विधर्मियों के खिलाफ बोलता है तो वह भगवा गुंडई हो जाता है। जब वह सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार पूजा करता है तो वह मस्जिद और मुस्लिमों पर हमला हो जाता है। कर्नाटक के बीदर में नौ लोगों पर एफआईआर इकोसिस्टम की इसी दोगली मानसिकता से निकला है।
Karnataka | Bidar police booked nine people for allegedly trespassing into Mahmud Gawan madrasa, a heritage site & performing puja during Dasara festivities yesterday; Members of Muslim community staged a protest
— ANI (@ANI) October 7, 2022
The situation is under control: Additional SP Mahesh Meghannavar pic.twitter.com/8Gw68IpRrg
बीदर की मस्जिद में पूजा क्यों?
बीदर के गेवान मदरसा और मस्जिद में हिंदुओं की पूजा का वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने कार्रवाई की है। यह घटना दशहरा के दिन 6 अक्टूबर 2022 को हुई थी। मुस्लिमों का आरोप है कि हिंदुओं ने कथित तौर पर मस्जिद के ताले तोड़े और ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाए। मुस्लिमों ने चेताया है कि आरोपितों की गिरफ्तारी नहीं होने पर वे जुमे पर प्रदर्शन (अमूमन इसकी आड़ में इस्लामवादी हिंसा करते हैं) करेंगे। रिपोर्टों के अनुसार पुलिस ने चार हिंदुओं को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य की तलाश की जा रही है।
जिस घटना को लेकर मुस्लिम कार्रवाई का दबाव बना रहे हैं, उसके बारे में पुलिस अधीक्षक डी किशोर बाबू ने बताया, “दशहरा पूजा की ये परिपाटी निजाम के दौर से चली आ रही है। मस्जिद परिसर में एक मीनार है। अमूमन 2-4 लोग इस जगह पर जाकर पूजा करते रहे हैं। इस बार यह संख्या ज्यादा थी। ताला तोड़कर कोई भी अवैध तरीके से मस्जिद में दाखिल नहीं हुआ है। हमने एफआईआर दर्ज कर ली है और आरोपितों की गिरफ्तारी की जा रही है।”
गुलबर्गा के पुलिस महनिरीक्षक ने भी कहा है कि हर साल विजयादशमी के मौके पर मस्जिद के पास हिंदू पूजा करते रहे हैं। यह कोई नई परंपरा नहीं है। कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र का भी कहना है कि विजयादशमी पर यहाँ सालों से पूजा होती रही है।
लेकिन इस घटना को इस तरह से पेश किया जा रहा है जैसे हिंदुओं ने मस्जिद में जबरन पूजा की एक नई परिपाटी शुरू करने का काम किया है। जाहिर है इसका मकसद मुस्लिमों को पीड़ित दिखाना है। यही कारण है कि जब पुलिस इस पूजा को पुरानी परिपाटी बता रही है, एआईएमआईएम के मुखिया सांसद असदुद्दीन ओवैसी जैसे सोशल मीडिया में इसे मस्जिद और मुस्लिमों पर हमले की तरह पेश कर रहे हैं।
Visuals from historic Mahmud Gawan masjid & madrasa, Bidar, #Karnataka (5th October). Extremists broke the gate lock & attempted to desecrate. @bidar_police @BSBommai how can you allow this to happen? BJP is promoting such activity only to demean Muslims pic.twitter.com/WDw1Gd1b93
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) October 6, 2022
बीदर पहला मामला नहीं है, जब हिंदुओं की परंपराओं को इस्लाम पर हमले की तरह पेश किया गया है। यह आखिरी मामला भी नहीं होने जा रहा है। सवाल यह है कि इस दोगलई के दबाव में सिस्टम आखिर कब तक हिंदुओं को प्रताड़ित करता रहेगा और खुद हिंदू कब तक ऐसी प्रताड़नाओं को खामोशी से सहते रहेंगे? आखिर सिस्टम कब समझेगा कि परम्पराएँ, भावनाएँ बहुसंख्यकों की भी होती है।