कर्नाटक के मंगलुरु (Mangluru, Karnataka) में एक मस्जिद में मिले हिंदू मंदिरों (Hindu Temple) के अवशेषों को लेकर कोर्ट ने एक पक्षीय अस्थायी निषेधाज्ञा जारी की है। यह निषेधाज्ञा इसलिए जारी की गई है, ताकि एक पक्ष इस अवशेष को तोड़ या क्षतिग्रस्त ना कर सके।
यह आदेश तीसरे अतिरिक्त दीवानी न्यायाधीश और प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने शुक्रवार (22 अप्रैल 2022) को दिया। बता दें कि मंगलुरु के गंजिमट के पास मल्लीपेट में जुम्मा मस्जिद की खुदाई के दौरान उसके परिसर में मंदिर के अवशेष मिले हैं। इसकी जानकारी होने के बाद विश्व हिंदू परिषद ने काम रोकने की माँग की थी। विहिप के आवेदन के बाद उपायुक्त के.वी. राजेंद्र ने गुरुवार (21 अप्रैल 2022) को उसके मंदिर होने के दावों की जाँच का आदेश देते हुए अधिकारियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था।
धनंजय द्वारा दायर मूल मुकदमे में दायर दूसरे अंतरिम आवेदन पर आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “प्रतिवादी, उनके पुरुष, एजेंट, नौकर, अनुयायी या उनके माध्यम से या उनके तहत दावा करने वाले किसी भी व्यक्ति को अगली तारीख तक अनुसूचित संपत्ति में पाए गए मंदिर की तरह संरचना को नष्ट करने या नुकसान पहुँचाने से अगली सुनवाई तक रोका जाता है।”
इस मामले में अदालत ने जुम्मा मस्जिद को अंतरिम अर्जी पर आपात नोटिस जारी किया गया है। अदालत इस मामले में अगली सुनवाई 3 जून को करेगी। वहीं, पुलिस आयुक्त एन. शशि कुमार ने कहा कि शांति बनाए रखने के लिए घटनास्थल पर पुलिस बल तैनात किया जाएगा।
जीर्णोद्धार के लिए मस्जिद के पुराने ढांचे के एक हिस्से को हाल ही में हटाए जाने के दौरान, एक लकड़ी की नक्काशीदार संरचना मिली और विश्व हिंदू परिषद ने दावा किया कि यह संरचना एक पुराने मंदिर जैसी है। विहिप की याचिका के बाद उपायुक्त के.वी. राजेंद्र ने गुरुवार को दावों की जांच के आदेश दिए और अधिकारियों को यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया।
मस्जिद के अंदर से निकला मंदिर जैसा ढाँचा
बता दें कि गुरुवार (21 अप्रैल 2022) को मस्जिद के अंदर से मंदिर का डिजाइन निकलने के बाद अब लोगों का कहना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि इस स्थल पर एक हिंदू या जैन मंदिर मौजूद था, क्योंकि इसमें कलश, तोमर और स्तंभ दिखाई दे रहा है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेताओं ने जिला प्रशासन से दस्तावेजों के सत्यापन होने तक काम रोकने की अपील की थी।
इसके बाद दक्षिण कन्नड़ कमिश्नरेट ने अगले आदेश तक संरचना की यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। प्रशासन भू-अभिलेखों की जाँच कर रहा है और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। दक्षिण कन्नड़ उपायुक्त राजेंद्र केवी ने कहा था, “मुझे मामले की जानकारी क्षेत्र के अधिकारियों और पुलिस विभाग से मिली है। जिला प्रशासन पुराने भूमि अभिलेखों और स्वामित्व विवरण के संबंध में एंट्रीज को देख रहा है। हम बंदोबस्ती विभाग और वक्फ बोर्ड दोनों से रिपोर्ट लेंगे।”
अधिकारी ने कहा, “हम दावों की वैधता की जाँच करेंगे और बहुत जल्द उचित निर्णय लेंगे। तब तक, मैंने यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है और लोगों से निष्कर्ष पर नहीं पहुँचने का अनुरोध किया है। मैं लोगों से कानून-व्यवस्था और शांति बनाए रखने का अनुरोध कर रहा हूँ।”
कुतुबमीनार परिसर में मंदिर का दावा
हाल ही में इतिहासकार और पुरातत्वविद (आर्कियोलॉजिस्ट) केके मोहम्मद ने बड़ा खुलासा करते हुए दावा किया था कि दिल्ली के कुतुब मीनार परिसर में स्थित कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद का निर्माण 27 हिन्दू-जैन मंदिरों को तोड़कर किया गया था। उन्होंने बताया कि मंदिरों को तोड़कर निकाले गए पत्थरों से ही कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद बनाई गई। उस जगह पर अरबी में पाए गए अभिलेखों में इस बात का उल्लेख भी किया गया है।
केके मोहम्मद ने कहा कि कुतुब मीनार के पास जिन मंदिरों के अवशेष मिले हैं, उनमें गणेश की एक नहीं कई मूर्तियाँ हैं। इससे सिद्ध होता है कि वहाँ गणेश मंदिर थे। उन्होंने बताया कि बताया कि ताजूर मासिर नामक किताब में भी इसका जिक्र है। बता दें कि दिल्ली की एक अदालत में क़ुतुब मीनार के भीतर मंदिर होने की बात कहते हुए वहाँ हिंदुओं को पूजा का अधिकार दिलाने हेतु याचिका भी दाखिल की जा चुकी है।