Tuesday, February 11, 2025
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ग़लत तरीक़े से पैसे निकलने पर बैंक होंगे ज़िम्मेदार, SMS एलर्ट मात्र से नहीं चलेगा कामः केरल हाईकोर्ट

केरल हाई कोर्ट ने कहा, "अगर किसी उपभोक्ता को जालसाज़ द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन से घाटा होता है तो यह माना जाएगा कि बैंक ऐसा सिस्टम नहीं बना पाया जिसमें ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकें।"

केरल हाईकोर्ट ने बैंक उपभोक्तोओं को राहत देने वाला फै़सला सुनाया है। कोर्ट ने बैंको की ज़िम्मेदारी तय करते हुए कहा कि अगर उपभोक्ता के खाते से अनधिकृत तरीके से पैसा निकलता है तो इसके लिए सीधे तौर पर बैंक ज़िम्मेदार होंगे। न्यायाधीश पीबी सुरेश कुमार ने स्पष्ट कहा कि ऐसे मामलों में बैंक यह कहकर अपनी ज़िम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते कि उपभोक्ता ने SMS एलर्ट पर प्रतिक्रिया नहीं दी। बैंक खाते से किसी कस्टमर का पैसा अनधिकृत रूप से कोई न निकाल पाए इसे सुनिश्चित करना बैंक का दायित्व है।

स्टेट बैंक की याचिका रद्द करते हुए दिया आदेश

हाईकोर्ट ने कहा कि SMS एलर्ट उपभोक्ता के प्रति बैंकों की ज़िम्मेदारी ख़त्म होने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई उपभोक्ता हो सकते हैं जिन्हें SMS देखने की आदत न हो या उन्हें देखना न आता हो। केरल हाईकोर्ट ने यह आदेश स्टेट बैंक की याचिका रद्द करते हुए सुनाया है। इससे पहले बैंक ने निचली अदालत के फै़सले के ख़िलाफ़ हाईकोर्ट में याचिका दी गई थी। बता दें कि निचली अदालत ने एक मामले में सुनवाई करते हुए निर्देश दिए थे कि अनधिकृत विथड्रॉल के चलते ₹2.4 लाख गँवाने वाले उपभोक्ता को मुआवज़ा दिया जाए। उपभोक्ता ने यह रक़म ब्याज़ के साथ माँगी थी।

बैंक द्वारा SMS एलर्ट भेजने के तर्क़ को कोर्ट ने किया ख़ारिज

बैंक ने अपनी याचिका में यह दलील दी थी कि उसने उपभोक्ता को खाते से पैसा निकलने का SMS एलर्ट भेजा था। ऐसे में उस उपभोक्ता को तुरंत अपना खाता ब्लॉक कराने का अनुरोध करना चाहिए था लेकिन उपभोक्ता ने SMS एलर्ट पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी, इसलिए बैंक की इसमें कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती।

उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखे बैंक

बैंक की दलील पर सुनवाई करते हुए केरल हाईकोर्ट ने कहा कि जब एक बैंक अपने उपभोक्ता को सेवाएँ उपलब्ध करा रहा है, तो उसकी यह ज़िम्मेदारी बनती है कि वह अपने उपभोक्ता के हितों का ध्यान रखे। कोर्ट ने कहा, “अगर किसी ग़ैरआधिकारिक विड्रॉल के चलते उपभोक्ता को नुक़सान हो, जो उसने किया ही नहीं तो बैंक उसके लिए ज़िम्मेदार है।”

उच्च न्यायालय ने कहा, “यह बैंक की ही ज़िम्मेदारी है कि वह सुरक्षित इलेक्ट्रॉनिक बैंकिंग वातावरण का निर्माण करे। हर उस ग़लत हरक़त को रोकने के लिए क़दम उठाए जाएँ, जिससे बैंक के उपभोक्ताओं को नुक़सान होता हो।”

हाईकोर्ट ने कहा, “हम बैंक को केवल उसकी ज़िम्मेदारियों का अहसास दिला रहे हैं, कोई नई जिम्मेदारी या अधिकार नहीं दे रहे हैं। अगर किसी उपभोक्ता को जालसाज़ द्वारा किए गए ट्रांजैक्शन से घाटा होता है तो यह माना जाएगा कि बैंक ऐसा सिस्टम नहीं बना पाया, जिसमें ऐसी घटनाएँ रोकी जा सकें।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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