केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस्लामिक कट्टरपंथी संगठनों के टेरर फंडिंग के बारे में विवरण माँगा है। यह विवरण खासकर मध्य-पूर्व के देशों से आने वाली फंडिंग को लेकर है। गृह मंत्रालय ने मंगलवार (31 दिसंबर) को राज्यों व ख़ुफ़िया एजेंसियों से यह विवरण माँगा। ऐसी एक रिपोर्ट आई थी, जिसमें विदेशी सरज़मीं से इस तरह की फंडिंग का उदाहरण था। इस रिपोर्ट के आधार पर ही गृह मंत्रालय ने यह विवरण मँगाया है। इस संबंध में विभिन्न एजेंसियों ने बताया कि कट्टरपंथी संगठनों को संयुक्त अरब अमीरात, कतर और तुर्की से धन प्राप्त होता है।
दरअसल, गृह मंत्रालय की एक रिपोर्ट से ख़ुलासा हुआ है कि केरल में ऐसे लोगों को सलाना 40 लाख रुपए तक दिए जाते हैं, जो युवाओं को कट्टरपंथी बनाने के लिए तैयार करते हैं। केरल वर्षों से कट्टरता का केंद्र बना हुआ है और राज्य में कई समूह हैं, जो कट्टरपंथी इस्लाम का प्रचार करते हैं।
ख़बर के अनुसार, एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी ने बताया,
“19 सितंबर को कट्टरपंथी इस्लामी संगठन के एक वरिष्ठ सदस्य ने दुबई का दौरा किया, जहाँ उसे कट्टरपंथी विचारधाराएँ फैलाने के लिए भारतीय मुद्रा में 40 लाख रुपए देने की पेशकश की गई।”
इसका सीधा मतलब है कि वहाँ उस व्यक्ति को इतनी बड़ी राशि देने की बात की गई, ताकि वो बड़े स्तर पर युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा से जोड़ सके। उसे यह भी कहा गया कि वो अधिक से अधिक युवाओं की भर्ती करे। इसी तरह की एक और घटना भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के सामने आई, जिसमें उसी संगठन के सदस्य कतर और तुर्की के कुछ लोगों से मिले और ग़ैर-मुस्लिम समुदायों के ख़िलाफ़ जेहाद फैलाने के लिए धन की माँग की।
एक अधिकारी ने स्पष्ट किया कि केरल में कट्टरपंथी उग्रता है। और वहाँ कई युवा कट्टरपंथी इस्लामी समूहों द्वारा फँसाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया, “पहले इन समूहों को पहचानने की ज़रूरत है और बाद में इस तरह की अवैध गतिविधियों के ख़िलाफ़ कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।”
अधिकारी ने बताया, “एक दर्जन से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। NIA ने ISIS के संदिग्ध सदस्यों के ख़िलाफ़ ग़ैर-क़ानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत कई मामले दर्ज किए हैं।”
उन्होंने बताया कि केरल में संदिग्ध आतंकी संगठनों पर नकेल कसने के बाद से, कुछ कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों ने विदेशी धरती से धन प्राप्त करने के बाद भारत-विरोधी गतिविधियों में शामिल होना शुरू कर दिया है। गृह मंत्रालय को बताया गया कि केरल में कई ऐसे छोटे समूह हैं, जो मुस्लिम युवाओं को सक्रिय रूप से कट्टरपंथी बना रहे हैं। विदेशी (जो भारत विरोधी हैं) केरल के इन समूहों की पहचान करते हैं, फिर उन्हें बड़ी रकम की पेशकश करते हैं।
भारतीय ख़ुफ़िया ब्यूरो ने हमेशा से कट्टरपंथी समूहों के ख़तरे के बारे में चेतावनी दी है। अब पाकिस्तान में हुए एक अध्ययन में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि केरल का आतंकी संगठन ISIS से भी संबद्धता रखता है।
पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज के प्रबंध निदेशक अब्दुल्ला ख़ान द्वारा आयोजित ‘दक्षिण एशिया में विस्तार की संभावनाएँ’ शीर्षक से एक अध्ययन के मुताबिक़, भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान में विलायत-ए-हिन्द एक नया अध्याय है, जो जल्दी से शिक्षित युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। इसके अनुसार, भारतीय नागरिक, विशेष रूप से केरल के लोग इस्लामिक स्टेट को दूसरे समूह की तुलना में अधिक आकर्षक लगते हैं। केरल के 54 लोग पिछले तीन वर्षों में ISIS में शामिल हो चुके हैं।
जानकारी के अनुसार, लगभग 1000 वहाबी प्रचारक (कट्टर इस्लाम के प्रचारक) केरल राज्य में आए, अपनी विचारधारा को फैलाया, पानी की तरह पैसा बहाया और फिर वहाँ से चले गए। उन्होंने नई मस्जिदों के निर्माण पर भारी खर्च किया। उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि इन धार्मिक स्थलों से कट्टचरपंथी विचारधारा का प्रचार किया जाएगा।
केरल में जो नई मस्जिदें बन रही हैं, उनका निर्माण भी उसी तरह से हो रहा है जैसा कि सऊदी अरब में हुआ है। यह सिर्फ़ एक छोटा सा संकेत है कि राज्य के लोग वहाबी विद्वानों द्वारा प्रचारित कट्टरपंथी शैली का पालन करने के लिए कितने तैयार हैं।
इसके अलावा, सऊदी से केरल में धन की आमद देश के किसी अन्य हिस्से की तुलना में सबसे अधिक है। यह वही केरल है, जहाँ एक शख़्स ओसामा बिन लादेन की मौत पर उसका पोस्टर लिए विलाप करते हुए दिखा था और अजमल कसाब को फाँसी दिए जाने के बाद उसने प्रार्थना भी की थी। इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि बड़ी संख्या में युवा इस्लाम की इस कट्टरपंथी शैली से आकर्षित हो रहे हैं, लेकिन साथ में उन्होंने यह भी बताया कि कुछ बुजुर्ग हैं, जो इसका विरोध करने की कोशिश करते हैं।
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