गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में एयरलाइन कर्मचारी का यौन उत्पीड़न करने वाला आरोपित गिरफ्तार हो गया है। वह इसी अस्पताल का कर्मचारी था। उसकी पहचान दीपक कुमार के तौर पर हुई है। वह ICU में तैनात था। उस पर अब ‘डिजिटल रेप’ का आरोप लगा है। डिजिटल रेप सामान्य रेप से अलग आरोप माना जाता है।
आरोपित दीपक कुमार को शुक्रवार (18 अप्रैल, 2025) को गिरफ्तार किया गया था। उसे गुरुग्राम पुलिस ने कई CCTV और बाकी चीजों की जाँच करने के बाद पकड़ा है। दीपक कुमार बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है और उसने पाँच महीने पहले ही मेदांता अस्पताल में नौकरी चालू की थी। अब वह डिजिटल रेप के आरोप में गिरफ्तार हुआ है।
क्या होता है डिजिटल रेप?
आमतौर पर जब किसी शब्द के आगे डिजिटल लग जाता है, तो हम समझते हैं कि यह मामला तकनीक से जुड़ा होगा। तकनीक से ही जुड़े होने के साथ हम इसे विशेष तौर पर इंटरनेट से जुड़ा समझते हों। डिजिटल लेनदेन हो या डिजिटल मीटिंग, इसके ऐसे उदाहरण हैं। लेकिन यहाँ मामला थोड़ा अलग है।
डिजिटल रेप का तकनीक से कोई भी लेना-देना नहीं है। दरअसल, डिजिटल रेप यौन उत्पीड़न के एक प्रकार को कहते हैं। जब कोई व्यक्ति किसी महिला के गुप्तांगों में बिना सहमति के उंगली या अँगूठे आदि का प्रवेश करवाता है तो इस डिजिटल रेप की संज्ञा दी जाती है।
डिजिटल रेप शब्द में ‘डिजिटल’ का उपयोग उँगलियों या अँगूठे के उपयोग के लिए किया जाता है। दरअसल, यह शब्द अंग्रेजी के शब्द ‘डिजिट’ से आया है, जहाँ इसका अर्थ संख्या होता है। डिजिटल रेप को भारत में रेप का ही एक प्रकार माना जाता है, भले ही इसमें पुरुष के गुप्तांग का उपयोग ना हुआ हो।
क्या है डिजिटल रेप की भारत में सजा?
डिजिटल रेप को पहले भारतीय कानूनों में छेड़छाड़ की श्रेणी में रखा जाता था। इन्हें रेप का दर्जा नहीं दिया जाता था। हालाँकि, 2012 के बाद से कानूनों में बड़े बदलाव किए गए हैं। कानून के अनुसार, कोई व्यक्ति अगर किसी महिला की मर्जी के बगैर उसके गुप्तांग या फिर मुंह में तक किसी भी तरह की चीज का प्रवेश उसकी सहमति के बिना करवाता है, तो यह रेप ही माना जाएगा।
अब अगर कोई व्यक्ति डिजिटल रेप का दोषी पाया जाता है तो उस 5 साल तक की सजा जा हो सकती है। यह सजा कुछ मामलों में बढ़ भी सकती है। यह सजा के प्रावधान IPC के अलावा बच्चों को यौन अपराधों से बचाने के लिए बनाए गए कानून POCSO के उल्लंघन पर भी होती है।
‘डिजिटल रेप’ जैसे अपराधों को लेकर अब कोर्ट भी कड़ा रवैया अपनाते हैं। फरवरी, 2025 में दिल्ली की एक अदालत ने एक व्यक्ति को 2 वर्ष की एक मासूम से डिजिटल रेप करने के दोषी को 25 वर्ष की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने कहा था कि भले ही दोषी व्यक्ति ने पीड़ित के गुप्तांगो को लेकर कोई अपराध नहीं किया। कोर्ट ने ₹13.5 लाख का मुआवजा पीड़ित को दिया था।
गुरुग्राम का मामला डिजिटल रेप क्यों?
गुरुग्राम के अस्पताल में रेप का आरोप लगाने वाली एयरलाइन कर्मचारी ने बताया था कि उसके साथ ICU में यह हरकत हुई थी। पीड़िता ने पुलिस को बताया था कि ICU में भर्ती होने के दौरान वह कुछ देख नहीं पा रही थी लेकिन अवचेतन अवस्था में होने के चलते सब कुछ सुन रही थी।
पीड़िता ने बताया कि आरोपित ने पहले ICU में आकर वहाँ रखे सामान के विषय में जानकारी ली। पीड़िता के अनुसार, उसे यह जानकारियाँ वहाँ पर मौजूद 2 नर्स दे रही थीं। आरोपित ने इसके बाद पीड़िता के कमर पर लगाए गए बैंड का नाप पूछा। लेकिन कुछ देर बाद वह स्वयं ही नाप लेने के लिए आ गया।
पीड़िता ने बताया कि इसके बाद आरोपित ने चादर के नीचे से हाथ डाला और उसका यौन उत्पीड़न किया। चूंकि, आरोपित ने हाथ का से यह अपराध अंजाम दिया, इसलिए इसे डिजिटल रेप की श्रेणी में रखा गया है। यह पूरी घटना 6 अप्रैल, 2025 को हुई। पीड़िता ने स्वस्थ होने के बाद यह बात अपने पति और पुलिस को बताई। पुलिस ने इसके बाद दीपक कुमार को पकड़ा।