Saturday, July 27, 2024
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‘ये कीबोर्ड वॉरियर लोगों के दिमाग में जहर घोल रहा है’: कुणाल कामरा को SC में दिया जवाब

अपने प्रत्युत्तर में याचिकाकर्ता ने कामरा को 'कीबोर्ड वॉरियर' कहा है जो लोगों के दिमाग में जहर घोल रहा है। इसमें कामरा के ट्वीट को ‘अपमानपूर्ण ट्वीट’ कहा गया है, साथ ही उनके ट्वीट पर जोक का लेबल लगाने से भी आपत्ति जताई है।

वामपंथी गालीबाज स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा के ख़िलाफ़ चल रहे कोर्ट की अवमानना मामले में एक याचिकाकर्ता ने अपना प्रत्युत्तर सुप्रीम कोर्ट में जमा किया है। इसमें याचिकाकर्ता ने कुणाल कामरा द्वारा दायर किए गए हलफनामे को कामरा के अहंकार, घमंड, अज्ञानता और इगोटिज्म और पुरुषवादी रवैये को दिखाने वाला कहा। 

रिपोर्ट्स के अनुसार, मामले में याचिकाकर्ताओं में से एक लॉ छात्र श्रीरंग कटनेश्वर (Shrirang Katneshwarkar) ने अपनी प्रतिक्रिया कोर्ट में जमा करते हुए कहा कि कॉमेडियन कुणाल कामरा के पास 1.7 मिलियन फॉलोवर्स हैं, वह अपने फॉलोवर्स के दिमाग पर जहरीली बातें डाल सकते हैं। साथ ही न्यायपालिका में बने उनके विश्वास को झकझोर सकते हैं।

अपने प्रत्युत्तर में याचिकाकर्ता ने कामरा को ‘कीबोर्ड वॉरियर’ कहा है जो लोगों के दिमाग में जहर घोल रहा है। इसमें कामरा के ट्वीट को ‘अपमानपूर्ण ट्वीट’ कहा गया है, साथ ही उनके ट्वीट पर जोक का लेबल लगाने से भी आपत्ति जताई है। याचिकाकर्ता का मानना है कि कामरा के ट्वीट कोर्ट के मान को कम करते हैं और न्यायिक प्रणाली के प्रति लोगों के विश्वास को हिलाते हैं।

याचिकाकर्ता का कहना है, “कुणाल कामरा द्वारा दायर हलफनामे ने सुप्रीम कोर्ट को उनके कर्तव्यों को सिखाने की कोशिश की है, और उसे अपने ‘निंदनीय ट्वीट्स’ को मजाक / व्यंग्य / हास्य के रूप में सही नहीं ठहराना चाहिए।”

इसके अलावा याचिकाकर्ता का कामरा के लिए ये भी कहना है कि उनके पास सेंस ऑफ ह्यूमर की कमी है। उन्होंने अपने दिमाग की सिर्फ़ घृणा दिखाई है। उन्हें आत्मनिरीक्षण करना चाहिए और अपने पुरुषवादी रवैया में बदलाव करना चाहिए।

गौरतलब है कि ये प्रत्युत्तर कोर्ट द्वारा कुणाल के मामले को कुछ समय के लिए स्थगित किए जाने के बाद डाला गया है। 22 फरवरी को इससे पूर्व कुणाल कामरा के विवादित ट्वीट के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने कथित विवादित ट्वीट मामले में अवमानना की कार्यवाही को चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया था।

कामरा ने अदालत में दायर अपने हलफनामे में कहा था कि जिस तरह से सुप्रीम कोर्ट जनता के उसमें विश्वास को महत्व देता है, ठीक उसी तरह उसे जनता पर यह भी भरोसा करना चाहिए कि जनता ट्विटर पर सिर्फ कुछ चुटकुलों के आधार पर अदालत के बारे में अपनी राय नहीं बनाएगी।

बता दें कि 18 दिसबंर 2020 को शीर्ष अदालत ने स्टैंड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। उस दौरान अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल का पत्र कोर्ट की सुनवाई के बीच पढ़ा गया था, जिसमें कामरा के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने को लेकर सहमति दी गई थी और कहा गया था,

“लोग समझते हैं कि कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में कुछ भी कह सकते हैं। वह इसे अभिव्यक्ति की आजादी समझते हैं। लेकिन संविधान में यह अभिव्यक्ति की आजादी भी अवमानना कानून के अंतर्गत आती है। मुझे लगता है कि ये समय है कि लोग इस बात को समझें कि अनावश्यक और बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना उन्हें न्यायालय की अवमानना कानून, 1972 के तहत दंड दिला सकता है।”

अटॉर्नी जनरल ने अपने पत्र में कामरा के ट्वीट को बेहद आपत्तिजनक बताया था। साथ ही कहा था कि ये ट्वीट न केवल खराब हैं बल्कि व्यंग्य की सीमा को लाँघ रहे हैं और कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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