पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि सरकारी अभिलेखों में दर्ज किसी भी कब्रिस्तान अथवा मस्जिद का संरक्षण किया जाना चाहिए भले ही वो जगह लम्बे समय से प्रयोग में न आ रही हो। गुरुवार (21 नवंबर 2024) को उच्च न्यायालय ने यह फैसला वक्फ ट्रिब्यूनल के निर्णय को चुनौती देती एक याचिका पर दिया है।
लाइव लॉ के मुताबिक यह मामला पंजाब प्रदेश में कपूरथला के गाँव बुधो पंधेर का है। यहाँ की ग्राम पंचायत ने पंजाब वक्फ बोर्ड के एक निर्णय के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में बताया गया था कि गाँव की एक जमीन को वक्फ बोर्ड द्वारा अपनी सम्पत्ति घोषित कर दिया गया है और कब्ज़ा लेने का प्रयास किया जा रहा है। याचिका में वक्फ बोर्ड का आदेश रद्द करने की माँग की गई थी।
जिस विवादित जमीन के खिलाफ यह मुकदमेबाजी हुई, वह साल 1922 में महाराजा कपूरथला (जगतजीत सिंह) द्वारा सूबे शाह के बेटों निक्के और सलामत को दान की गई थी। निक्के और सलामत ने इस जमीन को तकिया, कब्रिस्तान और मस्जिद की जगह घोषित कर दी थी। साल 1947 में हुए विभाजन के बाद निक्के और सलामत पाकिस्तान चले गए। इसके बाद यह जमीन ग्राम पंचायत के नाम पर दर्ज कर दी गई थी। साल 1966 में इस जमीन का फिर से सर्वे हुआ था। तब इस जमीन को मस्जिद, कब्रिस्तान और तकिया के रूप में दिखाया गया था।
इस याचिका के जवाब में वक्फ बोर्ड ने अपना तर्क कोर्ट में रखा। वक्फ के मुताबिक जमीन राजस्व अभिलेखों में कब्रिस्तान के तौर पर दर्ज है भले ही उसका प्रयोग मुस्लिम समुदाय द्वारा लम्बे समय से नहीं किया गया है। ग्राम पंचायत की तरफ से अधिवक्ता सतिंदर खन्ना ने दलीलें पेश कीं जबकि वक्फ बोर्ड का पक्ष सीनियर एडवोकेट जी एन मलिक ने रखा। दोनों पक्षों ने अपनी-अपनी दलीलें और सबूत पेश किए, जिस पर उच्च न्यायालय ने 6 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
मामले की सुनवाई जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर और न्यायमूर्ति सुदीप्ति शर्मा की अदालत में हुई। 21 नवंबर को बेंच ने अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्व अभिलेखों में दर्ज मस्जिद, तकिया या कब्रिस्तान का संरक्षण होना चाहिए भले ही मुस्लिम समुदाय द्वारा वो कितने भी समय से प्रयोग में न लाई गई हो। अदालत के मुताबिक ऐसी जगहों का वक्फ के रूप में संरक्षण होना चाहिए। इसी के साथ वक्फ के फैसले के खिलाफ ग्राम पंचायत द्वारा दाखिल की गई याचिका ख़ारिज कर दी गई।