पूर्व कॉन्ग्रेस नेता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के पोते और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी (MANUU) के कुलपति फिरोज बख्त अहमद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। इसमें पूरे रमज़ान महीने के लिए 24 मई तक लॉकडाउन का विस्तार करने का आग्रह किया है। फिरोज बख्त अहमद ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर 3 मई को लॉकडाउन नहीं हटाने का अनुरोध किया है, क्योंकि उन्हें डर है कि रमजान महीने के दौरान कोरोना वायरस तेजी से फैल सकता है।
उन्होंने पीएम को लिखे गए अपने पत्र में लिखा, “24 मई, 2020 तक पूरे रमजान महीने के लिए लॉकडाउन का विस्तार करने के लिए सरकार को यह एक सुझाव है। आपसे अनुरोध है कि सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए रमजान माह समाप्त होने के दिन यानी 24 मई तक लॉकडाउन को नहीं हटाना चाहिए। अगर इसे 3 मई को हटाया जाता है, तो ऐसे समय में कोरोना भारत में अपने चरम पर पहुँच जाएगा। बेकाबू मुस्लिम (जैसा कि तबलीगी जमात के अनुयायियों के मामले में देखा गया है) बाजारों में भीड़ लगाना शुरू कर देंगे और प्रधानमंत्री के निर्देशों की अवहेलना करते हुए इफ्तार पार्टियों और नमाज सभाओं को आयोजित करके कोरोना को फैलाएँगे।”
उन्होंने अपने पत्र में आगे लिखा, “यह मेरा आपसे बहुत विनम्र निवेदन है। कानून-पालन करने वाले भारतीय मुस्लिम के रूप में, मैं भारत में क्वारंटाइन में रखे गए अपने समुदाय से संबंधित उन सभी लोगों की ओर से माफी माँगता हूँ, जो डॉक्टरों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों, पुलिस, सफाई कर्मचारियों आदि पर हिंसा करते हुए नजर आ रहे हैं। जब भी मैं थूकने जैसी अत्यधिक निंदनीय घटना, अस्पताल के कर्मचारियों (खासकर नर्सों) के साथ अभद्र व्यवहार, टॉयलेट की बोतलों को फेंकना और कोरोना वायरस के उपचार के लिए सहयोग ना देने जैसी बातों को देखता हूँ तो मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।“
इन दिनों तबलीगी जमात के कई शर्मनाक कृत्य सामने आ रहे हैं, मगर इसके बावजूद कुछ मीडिया गिरोह इनके बचाव के लिए खड़ी है और कहती है कि इसे हिन्दू-मुस्लिम से जोड़कर न देखा जाए। मगर हाल ही में भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद के पोते ने कहा कि उन्हें उनकी गतिविधियों के कारण मुस्लिम होने पर शर्म महसूस होती है।
उन्होंने यह भी कहा कि ये जमाती और कई और कई अन्य लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए गोल्डेन मंत्र-“जनता कर्फ्यू”, “लक्ष्मण रेखा” और “जान है तो जहान है” का उल्लंघन कर रहे हैं।उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि एक सच्चे “तबलीग” को इन तीनों निर्देशों को मस्जिदों से दिन में पाँच बार अनाउंस करना चाहिए था। इससे पहले, उन्होंने मुस्लिमों से अपील की थी कि वे उन राजनेताओं के बहकावे में न आएँ, जो सीएए विरोधी प्रोपेगेंडा के नाम पर भारत को तोड़ना चाहते थे।