महाराष्ट्र की मालेगाँव कोर्ट ने सड़क दुर्घटना में दोषी पाए गए एक मुस्लिम व्यक्ति को 21 दिनों तक दिन में 5 बार नमाज़ और मस्जिद में 2 पेड़ लगाने की सजा सुनाई है। सोमवार (27 फरवरी, 2023) को ये अनोखी सजा सुनाने वाले जज का नाम तेजवंत सिंह संधू है, जबकि सजा पाने वाले व्यक्ति का नाम रऊफ खान है। मामला साल 2010 का है, जब लगभग 13 साल पहले रऊफ पर एक व्यक्ति पर हमला कर के उसे सड़क दुर्घटना में घायल करने का आरोप लगा था।
‘लाइव लॉ’ के मुताबिक, 29 अप्रैल, 2010 को मालेगाँव के रहने वाले मोहम्मद शरीफ नाम के पीड़ित ने पुलिस में रउफ खान के खिलाफ शिकायत दी थी। तब मोहम्मद शरीफ ने बताया था कि 1 दिन पहले वह बाइक से सोनपुरा गया था। यहाँ बाइक गली में लगा कर वह किसी से बात कर रहा था। तभी अचानक उसे अपनी बाइक के गिरने की आवाज आई। जब मोहम्मद शरीफ वहाँ पहुँचा तब पाया कि रिक्शा चला रहे रऊफ ने उसकी गाड़ी को ठोकर मारी थी। इसी बात पर दोनों पक्षों में बहस शुरू हो गई।
FIR के मुताबिक, इसी बहसबाजी के दौरान रऊफ ने अपने साथियों लतीफ, अजीज और अयूब को बुला कर मोहम्मद शरीफ की पिटाई कर दी। पिटाई में शरीफ का एक दाँत भी टूट गया। मारपीट में शरीफ के पेट और आँखों पर भी चोटें आईं थीं। इसी के साथ आरोपितों द्वारा पीड़ित का पर्स और मोबाइल भी छीन लिया गया था। इस मारपीट के दौरान पीड़ित को गालियाँ और धमकियाँ मिलीं। मोहम्मद शरीफ ने इस घटना की शिकायत पुलिस में की तब आरोपित पर IPC की धारा 323, 325, 504 और 506 के तहत केस दर्ज हुआ।
आरोपित रऊफ मालेगाँव के ही सोनापुरा झोपड़पट्टी में पड़ने वाले क्रान्ति नगर का रहने वाला है। लगभग 13 साल तक हुई कोर्ट की बहस और दलीलों में यह बात भी सामने आई कि रऊफ ने खुद को इस्लाम का प्रबल अनुयायी माना। हालाँकि, उसने अदालत में कहा कि समय की कमी के चलते वह 5 बार नमाज़ नहीं पढ़ पाता। अदालत ने रऊफ को IPC 325, 504 और 506 के आरोप से बरी कर दिया लेकिन IPC 323 में उसे 21 दिन तक लगातार पाँचों टाइम की नमाज़ पढ़ने और मस्जिद में 2 पेड़ लगाने का दंड सुनाया।
A Magistrate Tejwant Singh Sandhu in Malegaon Court of Nashik Maharashtra, has convicted Rauf Khan in a case of road accident but instead of imprisonment, Sandhu followed #Sharia law & ordered him to offer namaaz (prayers) five times a day for 21 days.
— Prashant Umrao (@ippatel) March 1, 2023
मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी तेजवंत सिंह संधू के फैसले में मस्जिद का जिक्र इसलिए आया क्योंकि जिस जगह उसने पीड़ित की पिटाई थी की वह सोनपुरा मस्जिद के पास थी। अदालत के फैसले में पाँचों नमाज़ बाकायदा नाम के साथ दर्ज हैं, जिन्हे फज्र, असिर, जोहर, मगरिब और ईशा के नाम से दर्ज दिया गया है।