Friday, October 11, 2024
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53 साल पुराना केस, SC में अपील स्वीकार होने से पहले दुनिया छोड़ गया 108 साल का शख्स: दिल्ली कोर्ट में ‘तारीख पर तारीख’ चिल्लाते हुए तोड़फोड़

हम इस तथ्य का संज्ञान ले रहे हैं कि याचिकाकर्ता की उम्र 108 साल है और उच्च न्यायालय ने इस मामले को मेरिट के आधार पर नहीं लिया एवं मामले को वकील के अनुपस्थित होने के आधार पर खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट में अपनी अर्जी पर सुनवाई से पहले महाराष्ट्र के 108 वर्षीय सोपान नरसिंगा गायकवाड़ की मौत हो गई है। भूमि विवाद से जुड़ा यह मामला 1968 का है। 2015 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्जी खारिज कर दी थी। इससे पहले 27 साल तक यह मामला हाईकोर्ट में लंबित रहा। फिर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को इस केस पर सुनवाई की मँजूरी दी थी।

गायकवाड़ के वकील विराज कदम ने बताया कि सुनवाई के बाद पता चला कि उनके मुवक्किल की मौत कुछ दिन पहले ही हो चुकी है। अब उनके कानूनी उत्तराधिकारी यह मुकदमा लड़ेंगे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस ऋषिकेश रॉय ने इस मामले में नोटिस जारी कर दूसरी पार्टी से आठ हफ्तों में जवाब माँगा है।

याचिकाकर्ता के वकील विराज कदम ने बताया, ‘‘दुर्भाग्य से जो व्यक्ति निचली अदालत से उच्चतम न्यायालय तक यह मामला लाया वह सुनवाई पर शीर्ष अदालत की सहमति की खबर सुनने के लिए जिंदा नहीं है। 12 जुलाई को अदालत द्वारा मामले को लेने से पहले ही उसकी मौत हो गई, लेकिन ग्रामीण इलाके से सुनवाई के बाद उनके देहांत की जानकारी मिली। अब उनका प्रतिनिधित्व उनके कानूनी उत्तराधिकारी करेंगे।”

न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की पीठ ने 23 अक्टूबर 2015 और 13 फरवरी 2019 को आए उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत में अपील दायर करने में 1,467 दिनों और 267 दिनों की देरी को माफ करने के लिए दायर आवेदन पर नोटिस जारी किया है।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड ने कहा, ‘‘हम इस तथ्य का संज्ञान ले रहे हैं कि याचिकाकर्ता की उम्र 108 साल है और उच्च न्यायालय ने इस मामले को मेरिट के आधार पर नहीं लिया एवं मामले को वकील के अनुपस्थित होने के आधार पर खारिज कर दिया।” पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता ग्रामीण इलाके का है और हो सकता है कि वकील वर्ष 2015 में मामला खारिज होने के बाद उससे संपर्क नहीं कर सका हो।

वहीं, दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में जब एक शख्स को अपने केस में नई तारीख मिली तो वो गुस्सा हो गया। इस शख्स ने कंप्यूटर में लात मारनी और कुर्सियों को फेंकना शुरू कर दिया। इसके बाद उसने चिल्लाते हुए ‘दामिनी’ फिल्म के सनी देओल का डायलॉग ‘तारीख पे तारीख मिलती है, इंसाफ नहीं मिलता जज साब’ भी बोला।

कड़कड़डूमा कोर्ट रूम नंबर 66 में 17 जुलाई को ये मामला हुआ। शास्त्रीनगर के राकेश नाम के शख्स का यहाँ एक मामला चल रहा है। ये केस 2016 से चल रहा है। 17 जुलाई को मामले की तारीख थी, राकेश तारीख पर आया था। मामले की सुनवाई चल गई और जज ने अगली तारीख दे दी। इस पर राकेश आग बबूला हो गया। पुलिस ने राकेश को गिरफ्तार कर मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया, जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया। उसके खिलाफ धारा 353, 427 और 506 के तहत केस दर्ज किया गया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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