Friday, April 26, 2024
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महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी की प्रतिमा हटाने का स्थानीय लोगों ने किया विरोध, बंद के आह्वान के बाद क्षेत्र में तनाव

अधिकारी ने बताया कि इस घटना को लेकर संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। मलकापुर और वंबवाडे जैसे कुछ गाँवों ने मूर्ति को हटाने की निंदा करने के लिए बंद का आह्वान किया है। तनाव पर काबू पाने के लिए वंबवाडे गाँव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले के एक गाँव में कुछ लोगों ने कथित तौर पर प्रशासन की अनुमति के बिना छत्रपति शिवाजी महाराज की एक अर्ध-निर्मित प्रतिमा स्थापित कर दी, जिसे पुलिस और स्थानीय प्रशासन ने वहाँ से हटा दिया।

सहायक पुलिस निरीक्षक भालचंद्र देशमुख ने बताया, ‘‘कुछ अज्ञात लोगों ने सोमवार (अक्टूबर 12, 2020) तड़के शाहुवाड़ी तहसील के बंबावडे गाँव के एक चौराहे पर मराठा योद्धा सम्राट की प्रतिमा स्थापित की थी।’’

अधिकारी ने बताया कि कुछ स्थानीय संगठनों के सदस्यों और स्थानीय निवासियों ने प्रतिमा हटाए जाने का विरोध किया और कहा कि इसे यहीं होना चाहिए, लेकिन पुलिस ने उनको समझाया। उन्होंने कहा, ‘‘प्रतिमा को बिना अनुमति के स्थापित किया गया था, इसे बाद में सम्मान पूर्वक वहाँ से हटा दिया गया।’’

अधिकारी ने बताया कि इस घटना को लेकर संबंधित धाराओं के तहत एक मामला दर्ज किया गया है। मलकापुर और वंबवाडे जैसे कुछ गाँवों ने मूर्ति को हटाने की निंदा करने के लिए बंद का आह्वान किया है। विरोध के बाद तनाव पर काबू पाने के लिए वंबवाडे गाँव में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।

गौरतलब है कि इससे पहले फरवरी महीने में ऐसा ही एक मामला मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा में शिवाजी की प्रतिमा हटा दी गई थी। छिंदवाड़ा के सौंसर के मोहगॉंव तिराहे पर लगी इस प्रतिमा को जेसीबी से तोड़ने के मसले पर शिवसेना ने चुप्पी साधे रखी। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस घटना को लेकर कॉन्ग्रेस सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने पूछा था कि क्या छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना आदर्श मानने वाली शिवसेना ये अपमान सह पाएगी?

प्रशासन ने दावा किया था कि हिन्दू संगठनों ने बिना अनुमति शिवाजी की प्रतिमा की स्थापना कर दी थी। इसके बाद प्रशासन की टीम जेसीबी के साथ पहुँची और शिवाजी की प्रतिमा को हटा दिया गया। मंगलवार (फरवरी 11, 2020) को बड़ी संख्या में लोग पहुँचे और उन्होंने प्रशासन व सरकार के ख़िलाफ़ जम कर नारेबाजी की थी। इससे पहले कमलनाथ सरकार के दौरान ही महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की मूर्ति के साथ छेड़छाड़ हुई थी।

शिवराज सिंह ने कमलनाथ को निशाने पर लेते हुए कहा था, “छत्रपति शिवाजी महाराज का तुम अपमान करते रहो और हम चुप बैठे रहें यह हो नहीं सकता। कमलनाथ जी, जरूरत पड़ी तो अपने महापुरुषों के सम्मान में खून के बदले खून दे देंगे।” उन्होंने कहा था, “छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने औरंगजेब के छक्के छुड़ा दिए थे, जो भारत के गौरव का प्रतीक हैं, उनका अपमान किया गया। उनकी प्रतिमा को गिराने के लिए जेसीबी मशीन। देश अपने महापुरुषों का अपमान सहन नहीं करेगा।”

बीजेपी नेता ने एक ट्वीट में लिखा था, “पहले तो मूर्ति गिराकर छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान किया गया और उसके बाद पैसों का दम्भ भरा गया! सौंसर की जनता में इतना सामर्थ्य है कि वे जनभागीदारी से प्रतिमा को ससम्मान पुनर्स्थापित कर सकें।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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