इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की महाराष्ट्र इकाई ने राज्य में डॉक्टरों को सूचित किया है कि व्हाट्सएप ग्रुपों में राज्य सरकार के फैसलों के खिलाफ कोई ‘अपमानजनक’ टिप्पणी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि वो व्हाट्सएप ग्रुप में मैसेज भेज सकते हैं, अपनी प्रतिक्रियाएँ दे सकते हैं, मगर इसकी भाषा ‘गैर-अपमानजनक’ होनी चाहिए।
दरअसल, एक पत्र सामने आया है, जिसमें IMA की महाराष्ट्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष डॉ अविनाश भोंडवे और राज्य सचिव डॉ पंकज बंदरकर के दस्तखत हैं। इसमें डॉक्टरों से कहा गया है कि उन्हें महराष्ट्र साइबर सेल से ‘सूचना’ मिली थी कि व्हाट्सएप ग्रुपों में कुछ डॉक्टर महाराष्ट्र सरकार और उनके अधिकारियों के खिलाफ टिप्पणी कर रहे हैं।
So best CM @OfficeofUT is now censoring whatsapp groups using Maharashtra cyber cell? pic.twitter.com/ikevaXdvs0
— Amit Thadhani (@amitsurg) April 20, 2020
ऑपइंडिया द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह एक आधिकारिक पत्र है जो IMA की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष ने अपने व्हाट्सएप ग्रुपों में पोस्ट किया है। पत्र में कहा गया, “मुझे यकीन है, हम IMA के सदस्य समाज के प्रतिष्ठित लोग हैं और हम ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल नहीं होंगे। हम कोरोना वायरस की महामारी को नियंत्रित करने के लिए अपना अभियान जारी रखेंगे।” पत्र को संगठन के सभी पदाधिकारियों को संबोधित किया गया था और उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप पर सरकार की आलोचना के खिलाफ एहतियात बरतने के लिए कहा गया था।
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले ही मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल के कर्मचारी ने वीडियो बनाकर अस्पताल के अंदर PPE (Personal Protection Equipment) की कमी को उजागर करने की कोशिश की तो उनके खिलाफ कार्रवाई की गई। स्टाफ यह दिखाने की कोशिश कर रहा था कि PPE किट की कमी है, इसके बावजूद भी वो लोग अपनी जान को जोखिम में डालकर मरीजों का इलाज कर रहे हैं। उन्हें भी इस संक्रमण का खतरा है। आखिर वो भी तो इंसान ही हैं। मगर स्टाफ को PPE किट की बात को उजागर करना भारी पड़ गया।
कोरोना संकट से निपटने में नाकाम महाराष्ट्र सरकार
बता दें कि वुहान कोरोनावायरस संकट से निपटने के लिए महाराष्ट्र सरकार की काफी आलोचना हो रही है। आरोप लगाए गए हैं कि राज्य सरकार अपने प्रदेश में लॉकडाउन लागू कराने में बुरी तरह विफल रही है। हाल ही में, बांद्रा में एक मस्जिद के पास अफवाहों की वजह से प्रवासी मजदूरों का एक विशाल जमावड़ा इकट्ठा हुआ था, जो गलत सूचनाओं के कारण इकठ्ठा हुआ था। परिवार और स्वास्थ्य कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार अभी तक राज्य में कोरोना संक्रमण के कुल 4203 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 507 डिस्चार्ज हो गए हैं और 223 लोगों की मौत हो चुकी है।