महाराष्ट्र के मदरसों की लापरवाहियों ने बिहार की चिंता बढ़ा दी है। कुछ समय पहले तक बिहार सुशासन बाबू के विज्ञापन के लिए प्रसिद्ध था। अब कोरोना के फैलते प्रकोप के कारण सुर्खियों में है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार तक वहाँ पर एक ही दिन में 130 मामले सामने आए, जिसके बाद वहाँ कुल मरीजों की संख्या 879 हो गई है। चिंताजनक बात ये है कि मंगलवार को मिलने वाले 130 केसों में से 124 मरीज प्रवासी हैं यानी वे लोग जो राज्य में बाहर के प्रदेशों से हाल में लौटे।
ऐसे में इस बीच महाराष्ट्र के कुछ मदरसों से भी निकलकर कुछ छात्र विशेष ट्रेन से बिहार पहुँचे, जिनमें से कई छात्र रैंडमली जाँच में कोरोना संक्रमित पाए गए।
इन छात्रों का कहना है कि इन्हें महाराष्ट्र में स्क्रीनिंग करके ट्रेन में बैठाया गया। मगर सवाल उठता है कि जब बिहार लौटने के बाद इनमें संदिग्धता दिखने के कारण इन्हें तुरंत क्वारंटाइन कराया गया। तो, फिर महारष्ट्र से इन्हें यहाँ आने की अनुमति कैसे मिल गई।
गौरतलब है कि विशेष ट्रेनों को संचालित करने से पहले ये निर्देश दिए गए थे कि राज्य सरकारें इस बात का ध्यान दें कि यात्रियों की बाकायदा स्क्रीनिंग हो। तभी उन्हें ट्रेन से आने-जाने इजाजत दी जाए।
मगर, बावजूद इसके ऐसे मामले सामने आए जब बिहार के अधिकांश प्रवासी (छात्र व मजदूर) अपने साथ अपने घर कोरोना लेकर पहुँचे। इनमें महाराष्ट्र से लौटे मदरसों के छात्र भी शामिल हैं, जिनकी वजह से सहरसा जैसा ग्रीन जोन इलाका ऑरेंज जोन में बदल गया।
प्रवासियों के कारण ग्रीन जोन से ऑरेंज जोन में पहुँचा सहरसा
1 मई तक बिहार में ग्रीन जोन में शेखपुरा, अररिया, जमुई, कटिहार, खगरिया, किशनगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, सहरसा, समस्तीपुर, शिवहर, सीतामढ़ी और सुपौल क्षेत्र आते थे। लेकिन वर्तमान में बस जमुई ही एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ कोरोना का 1 मामला पाया गया है। अन्यथा हर इलाके में कोरोना जत्थे में पहुँच चुका है।
सहरसा जैसे इलाको में कोरोना केसों की बढ़ोतरी इसी का एक उदाहरण है। जहाँ 3 दिन में महज 10 कोरोना के केसों को रिकॉर्ड किया गया और अचंभे की बात ये थी कि दसों मामले महाराष्ट्र के नंदूरबार मदरसे से आए थे। जिनमें 5 सहरसा बस्ती के रहने वाले थे, 1 सोनबर्षा के सहमौरा, 1 सिमरी बख्तियारपुर के मदनपुरा का केस था। इसके अलावा अन्य तीन केस भी मदरसे से जुड़े थे।
यहाँ बता दें कि महाराष्ट्र के नंदूवार मदरसे से 6 मई को स्पेशल ट्रेन से कुल 994 छात्र बिहार लौटे। इनमें से 180 केवल सहरसा से थे। इन सभी को प्रशासन ने सहरसा में स्क्रीनिंग के बाद होम क्वारंटाइन में उनके अभिभावकों को सौंपा था।
मगर, जिला प्रशासन द्वारा कराए गए रैंडम जाँच में इनमें से 10 केस कोरोना पॉजिटिव निकल आए। जिलाधिकारी के मुताबिक राज्य में 40 रैंडम सैंपलिंग ली गई थी। इनमें से 10 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। जबकि 21 की नेगेटिव और 12 की रिपोर्ट्स का अभी इंतजार है।
अभी फिलहाल बता दें कि सहरसा के शहरी इलाके में पूरे 5 मामले आने के बाद जिला प्रशासन ने इसे सील कर दिया और आसपास के कई इलाकों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया।
अक्लकुंआ मदरसे से लौटे छात्रों में 7 कोरोना पॉजिटिव
इसी प्रकार महाराष्ट्र के अक्लकुंआ मदरसे से भी बीते दिनों कई छात्र बिहार लौटे। इनमें से 104 मदेहपुर के विभिन्न प्रखंडों के थे। इन्हें 5 मई को महाराष्ट्र से चलने वाली विशेष ट्रेन 6 नई को मदेहपुर लेकर पहुँची थी। जिसके बाद संदिग्ध लक्षणों को देखते हुए कई छात्रों को क्वारंटाइन कराना पड़ा।
7 मई को जब इनके सैंपल लिए गए, 9 मई को आई रिपोर्ट में 7 छात्र कोरोना पॉजिटिव पाए गए। जिसके बाद इलाके में कोरोना केसों की संख्या 2 से बढ़कर 9 हो गई। इनमें नरदह के 5, कुरसंडी के 1 और घैलाढ़ के 1 छात्र को कोरोना संक्रमित पाया गया।
इसी प्रकार मंगलवार तक पटना में 17, खगडिया, पश्चिम चंपारण एवं जहानाबाद में 16-16, रोहतास में 13, नालंदा में 12, मधुबनी में चार, मुजफ्फरपुर में तीन, गोपालगंज, औरंगाबाद सारण, नवादा, शेखपुरा एवं समस्तीपुर में दो-दो तथा बांका, पूर्णिया, भागलपुर, सिवान, कटिहार, भोजपुर, मुंगेर, जमुई एवं लखीसराय में एक-एक शख्स के संक्रमित होने की पुष्टि हुई ।
बिहार में कोरोना केसों की संख्या
प्रभात खबर की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार में जिलेवार तौर पर कोरोना वायरस संक्रमण के मामले अब तक सबसे अधिक मुंगेर में 116 में सामने आए हैं। इसके बाद पटना में 80, रोहतास में 72, नालंदा में 63, बक्सर में 56, बेगूसराय में 40, सिवान में 34, कैमूर में 32, मधुबनी में 30, पश्चिम चंपारण एवं खगडिया में 27—27, भागलपुर में 26, गोपालगंज में 22, जहानाबाद में 21, भोजपुर में 21, दरभंगा में 18, औरंगाबाद एवं नवादा में 15-15, पूर्वी चंपारण में 14, कटिहार, मुजफ्फरपुर एवं अरवल में 12—12, समस्तीपुर में 11, सहरसा, सारण एवं शेखपुरा में 10-10, मधेपुरा एवं किशनगंज में 9-9, गया में 1, सीतामढी एवं बांका में 7-7, लखीसराय एवं सुपौल में 5-5, अररिया, वैशाली एवं पूर्णिया में 4-4, शिवहर में 3 तथा जमुई में 1 मामला प्रकाश में आया है । बिहार में अब तक कोरोना वायरस के संदिग्ध 37430 नमूनों की जाँच की जा चुकी है और 383 मरीज ठीक हुए हैं।
यहाँ बता दें कि बिहार एक ऐसा राज्य है जहाँ से अधिकांश लोग कभी काम के सिलसिले में तो कभी शिक्षा के कारण प्रवसन करते रहते हैं। ऐसे में कोरोना के समय में जब हर जगह लॉकडाउन की गाज गिरी है और सभी काम ठप्प हो गए हैं, तो मजदूर/छात्र वर्ग बड़ी तादाद में वापस घर वापसी कर रहे हैं। इसलिए अन्य राज्यों के मुकाबले वहाँ अभी भी बड़े तादाद में प्रवासी मजदूरों और छात्रों के आने का सिलसिला जारी है।
ऐसे में प्रशासन की चिंता इन सबकी जाँच को लेकर बनी हुई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक अब तक राज्य से निकलकर अन्य राज्यों में काम करने गए 1 लाख 20 हजार से ज्यादा प्रवासी 104 विशेष ट्रेनों से लाए जा चुके हैं। बुधवार को भी वहाँ 24 ट्रेनें करीब 30, 348 लोगों को लेकर राज्य में पहुँचेगें। इनके अलावा राज्य में 160 ट्रेनों को प्रवासियों को राज्य में लाने के लिए शिड्यूल किया गया है। इस प्रकार 284 ट्रेनों से करीब 3,31, 623 लोग बिहार आएँगे।