Monday, October 7, 2024
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‘पीरियड के दौरान पेड़ लगाओगी तो सड़ जाएँगे..’: महाराष्ट्र में शिक्षक ने आदिवासी छात्राओं को वृक्षारोपण से रोका, जाँच के आदेश

छात्रा ने अपनी शिकायत में कहा है कि शिक्षक ने पिछले सप्ताह स्कूल परिसर में आयोजित वृक्षारोपण अभियान के दौरान मासिक धर्म वाली लड़कियों को पेड़ लगाने से रोक दिया था।

महाराष्ट्र के नासिक जिले में पीरियड्स की वजह से छात्राओं से भेदभाव का मामला सामने आया है। जहाँ एक सरकारी आवासीय स्कूल की आदिवासी छात्रा ने आरोप लगाया है कि एक पुरुष शिक्षक ने पीरियड की वजह से उसे और अन्य लड़कियों को पौधरोपण अभियान में भाग लेने से रोक दिया। वहीं अब आदिवासी विकास विभाग ने इस मामले में जाँच के आदेश दिए हैं। महाराष्ट्र के महिला आयोग ने भी इस घटना का संज्ञान लिया है और कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र के नासिक जिले के त्र्यंबकेश्वर ब्लॉक के देवगाँव में लड़कियों के लिए संचालित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक आवासीय स्कूल की यह घटना है। जहाँ 12वीं कक्षा की छात्रा ने आरोप लगाया कि शिक्षक ने उसे और अन्य आदिवासी लड़कियों से कहा था कि अगर पीरियड्स वाली लड़कियाँ पेड़ लगाती हैं तो वो नहीं उगेंगे और जल जाएँगे। छात्रा का कहना है कि शिक्षक ने अपनी विकृत मानसिकता के कारण ऐसा किया।

बता दें कि स्कूल में घाटी इस घटना को जब छात्रा ने अपने घर में बताया तो सब लोग शिक्षक के ऊपर नाराजगी जताने लगे। इसके बाद छात्रा के परिजनों ने आदिवासी विकास विभाग के पास इस मामले की शिकायत दर्ज करवाई। इसके बाद मामला आदिवासियों से जुड़ा होने की वजह से तूल पकड़ लिया और अपर आयुक्त ने दोषी शिक्षक पर कार्रवाई करने के आदेश दिए। इसके बाद इस मामले में महाराष्ट्र राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया।

गौरतलब है कि स्कूल में 500 छात्राएँ हैं। वहीं छात्रा ने अपनी शिकायत में कहा है कि शिक्षक ने पिछले सप्ताह स्कूल परिसर में आयोजित वृक्षारोपण अभियान के दौरान मासिक धर्म वाली लड़कियों को पेड़ लगाने से रोक दिया था। शिक्षक ने छात्राओं से कहा कि वे पेड़ों के पास न जाएँ क्योंकि पिछले साल लगाए गए पौधे मासिक धर्म के कारण नहीं बढ़े थे।

इसके बाद छात्रा के परिजनों ने श्रमजीवी संगठन के नासिक जिला सचिव भगवान मधे से संपर्क किया। मधे ने कहा कि लड़की पुरुष शिक्षक का विरोध नहीं कर सकती क्योंकि वह उसका कक्षा शिक्षक है और उसे धमकी दी थी कि मूल्यांकन के 80 प्रतिशत अंक स्कूल अधिकारियों के हाथ में हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, आदिवासी विकास विभाग (टीडीडी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले में शिकायत मिलने की पुष्टि की है। इस मामले में जानकारी देते हुए अतिरिक्त आयुक्त संदीप गोलेत ने कहा कि छात्राओं, शिक्षकों, अधीक्षक और प्राचार्य सहित सभी के बयान लिए जाएँगे और जाँच की जाएगी।

वहीं बुधवार को नासिक जिले की अतिरिक्त कलेक्टर और टीडीडी परियोजना अधिकारी वर्षा मीणा ने इसी सिलसिले में स्कूल में आदिवासी छात्राओं से मुलाकात की और उनकी समस्याओं के बारे में पूछा। संबंधित अधिकारी ने कहा कि मामले की जाँच की जा रही है और जल्द ही इस पर कुछ ना कुछ निर्णय लिया जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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