Tuesday, April 23, 2024
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प्रतापगढ़ किले में अफजल खान की जिस अवैध कब्र को बचाने में लगी थी उद्धव सरकार, अब उसे ध्वस्त करने का काम शुरू: बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के कट्टर दुश्मन और बीजापुर के अत्याचारी अफजल खान की कब्र के आसपास कई अवैध संरचनाओं का निर्माण किया गया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित कई हिंदू संगठनों ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की थी।

महाराष्ट्र पुलिस (Maharashtra Police) ने गुरुवार (10 नवंबर 2022) को सतारा स्थित फोर्ट प्रतापगढ़ (महाबलेश्वर) (Fort Pratapgarh, Mahabaleshwar) में अफजल खान की कब्र के पास अवैध निर्माण को हटाने के लिए अभियान शुरू किया। पुलिस ने कहा कि बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) द्वारा जारी आदेशों के तहत कार्रवाई की गई है।

स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, सतारा, पुणे, सोलापुर, कोल्हापुर और सांगली ग्रामीण जिलों के लगभग 1,800 पुलिसकर्मियों के वाई पुलिस उप-मंडल कार्यालय पहुँचने के बाद सुबह लगभग 6 बजे अतिक्रमण विरोधी अभियान शुरू हुआ। अधिकारी बुधवार (9 नवंबर 2022) की शाम को कार्यालय पहुँचे और इन्हें सुबह तड़के फोर्ट प्रतापगढ़ में तैनात कर दिया गया।

इसके लिए प्रतापगढ़, महाबलेश्वर, वाई, कराड और सतारा जिलों में भारी सुरक्षा व्यवस्था की गई है और इलाके में धारा 144 लागू की गई है। सतारा के कलेक्टर रुचिश जयवंशी, पुलिस अधीक्षक समीर शेख, वाई के प्रांतीय अधिकारी राजेंद्र जाधव, पुलिस उपाधीक्षक डॉ शीतल जानेवे खराडे, महाबलेश्वर की तहसीलदार सुषमा पाटिल चौधरी और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौके पर मौजूद हैं। मीडिया को भी परिसर में घुसने से रोक दिया गया है।

छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj) के कट्टर दुश्मन और बीजापुर के अत्याचारी अफजल खान की कब्र के आसपास कई अवैध संरचनाओं का निर्माण किया गया है। विश्व हिंदू परिषद (VHP) सहित कई हिंदू संगठनों ने अवैध अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई की माँग की थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने 2017 में महाराष्ट्र सरकार को अफजल खान की कब्र के आसपास अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का निर्देश दिया था।

शिवाजी महाराज ने अफजल को बाघनख से मार डाला था

बीजापुर सल्तनत का जनरल अफजल खान 10 नवंबर 1659 को महाराष्ट्र में महाबलेश्वर के पास स्थित किला प्रतापगढ़ में आया था। इसके आधार से कुछ मीटर ऊपर छत्रपति शिवाजी महाराज से मिलने आए अफजल के स्वागत के लिए एक शामियाना बनाया गया था। इस दौरान उसने शिवाजी महाराज को गले लगाने का नाटक करते हुए उन्होंने उन्हें मारने की कोशिश की।

उसके इरादों से वाकिफ 19 वर्षीय छत्रपति ने बाघ के पंजा रूपी हथियार से अफजल खान की पेट को फाड़ दिया। अफजल मौके पर ही गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। अफजल खान की उचित अंत्येष्टि के अधिकार का सम्मान करते हुए उसे उसी स्थान पर दफना दिया गया और उसके ऊपर एक पत्थर रख दिया गया।

दो दशक पहले तक किला परिसर में अफजल खान की कब्र पर किसी का ध्यान नहीं गया था। वर्ष 2000 के आसपास कुछ मुस्लिमों द्वारा कब्र पर दावा करने और उस पर मजार बनाने के फैसले के बाद इसे प्रमुखता मिली। धीरे-धीरे एक दशक में कब्र पर चारों तरफ से एक आर्केड के साथ एक स्थायी संरचना खड़ी कर दी गई। कहा जाता है कि एस्बेस्टस शीट्स की छत से ढके इंटीरियर में कमरे बने हैं और यहाँ घुमंतू मुस्लिम मौलाना को शरण दिया जाता है।

यह अवैध निर्माण ‘हजरत मोहम्मद अफजल खान मेमोरियल ट्रस्ट’ के नाम से किया गया था और इसके तहत किले के लगभग 5,500 वर्ग फुट जगह पर कब्जा कर लिया था। इसके अलावा, वर्ष 2004 में विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने ASI नियंत्रित इस जगह की भूमि पर अवैध कब्जे के खिलाफ आपत्ति उठाई। VHP ने कहा कि अगर कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन किया जाएगा। इसके बाद महाबलेश्वर पुलिस ने किले और मकबरे के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी थी।

बाद में समस्त हिंदू अघाड़ी के संस्थापक-अध्यक्ष और प्रतापगढ़ उत्सव समिति के मुख्य कार्यकारी मिलिंद एकबोटे द्वारा अफजल खान की कब्र के आसपास वन भूमि पर अवैध निर्माण के खिलाफ ​​याचिका दायर की गई थी। जनहित याचिका में कहा गया है कि किले की तलहटी में मूल मकबरा 5 वर्ग फुट आकार का था, लेकिन अब इसे 1,000 वर्ग फुट के अवैध विकास से घेर लिया गया है। इसके साथ ही वन विभाग के स्वामित्व वाले इस क्षेत्र में कई अन्य संरचनाओं द्वारा किले पर कब्जा कर लिया है।

बॉम्बे हाईकोर्ट ने तब राज्य सरकार को अफजल खान की कब्र के आसपास अवैध निर्माण को हटाने का निर्देश दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के जस्टिस एससी धर्माधिकारी ने कहा था, “अफजल खान की कब्र के आसपास के अतिक्रमण को हटा दें या वन अधिकारियों को स्थायी रूप से जंगल में भेज दें, अगर वे अपना कर्तव्य नहीं निभा सकते हैं।” सतारा जिले के किला प्रतापगढ़ की तलहटी में अफजल खान की कब्र में हाल के वर्षों में वास्तव में तेजी से बदलाव हो रहे थे। इस्लामवादियों ने इस स्थान पर मेलों का आयोजन भी शुरू कर दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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