महाराष्ट्र के पालघर ज़िले के वाडा थाना क्षेत्र में एक शख़्स ने अपने ही भाई की बेरहमी से हत्या कर दी और फिर उसकी लाश को शौचालय की टंकी में डाल दिया। तीन साल बाद उसी टंकी से उसका कंकाल मिलने से हत्या की गुत्थी सुलझ गई है। जानकारी के अनुसार, आरोपित को पुलिस ने केरल से गिरफ़्तार कर लिया है। पता चला है कि दोनों भाई नौकरी के सिलसिले में असम से महाराष्ट्र गए थे।
ख़बर के अनुसार, वाडा थाने के उसर इलाक़े में फकरुद्दीन ख़ान चितवाला का एक फॉर्म हाउस है, जहाँ अमिनूल हक मोहम्मद मुनताज अली वॉचमैन के तौर पर नौकरी करता था। उसी फॉर्म हाउस के बगल में एक और फॉर्म हाउस है जहाँ उसका चचेरा भाई सुई मंसूर मोहम्मद अकबर अली काम करता था।
दोनों भाई साथ में ही रहते थे, खाना-पीना भी साथ ही था। एक दिन अचानक किसी बात को लेकर उनके बीच आपसी झगड़ा हो गया। विवाद इस हद तक बढ़ गया कि मंसूर ने गुस्से में अपने ही भाई की हत्या कर दी। हत्या की बात छिपाने और सज़ा के डर से उसने अमिनूल की लाश को ठिकाने लगाने के बारे में सोचा।
ख़ुद को बचाने के लिए उसने भाई की लाश को शौचालय की टंकी में डाल दिया। अमिनूल के लापता होने पर उसके चाचा ने 28 दिसंबर 2016 को वाडा पुलिस स्टेशन में शिक़ायत दर्ज कराई। इस मामले की सूचना मिलने के बाद से ही पुलिस को मंसूर पर शक़ था। अपनी जाँच को उसने मंसूर पर ही केंद्रित कर रखा था। पुलिस को जाँच के दौरान यह भी पता चला कि मृतक की उम्र 17 साल थी। पुलिस ने 17 मार्च 2017 को अमिनूल के लापता होने के बजाए अपहरण का मामला दर्ज किया और केस पालघर के एटीएस को सौंप दिया।
ख़बर के अनुसार, पालघर के पुलिस अधीक्षक गौरव सिंह ने आतंकवाद और नक्सली दस्ते के प्रभारी मानसिंह पाटिल को जाँच के लिए निर्देशित किया था। आख़िरकार, हत्या की इस गुत्थी को सुलझा लिया गया।