उत्तर प्रदेश के एंटी टेररिस्ट स्क्वॉड (एटीएस) द्वारा लोगों का इस्लाम में धर्मान्तरण कराने के मामले में गिरफ्तार किए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी की एक और करतूत सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक, सिद्दीकी ने नोएडा, मुजफ्फरनगर समेत कई जगहों पर जमीन खरीदा था। बाद में उसे कम दाम में अपने ही करीबियों को बेच दिया। इस जमीन को उसने ट्रस्ट के नाम पर खरीदा था।
दरअसल, धर्मान्तरण रैकेट चलाने के मामले में गिरफ्तार किए गए मौलाना कलीम सिद्दीकी की संपत्तियों की जाँच भी एटीएस कर रही है। जैसे-जैसे एटीएस की जाँच का दायरा बढ़ रहा है, वैसे-वैसे खुलासे हो रहे हैं। इसी तरह से मुजफ्फरनगर में कलीम सिद्दीकी ने साल 2019 में ट्रस्ट के नाम पर साढ़े 9 लाख रुपए की जमीन खरीदा था। इस जमीन को उसने इसी साल अप्रैल में 2 लाख में अपने बेटे को बेच दिया था। शेष राशि का का भुगतान किस्तों में 2024 तक करना है। इसके अलावा उसने दिल्ली, मेरठ और नोएडा में भी जमीनें खरीद रखी हैं।
इस बीच एटीएस को पता चला है कि सिद्दीकी ने नोएडा में भी एकड़ में जमीन खरीदा था। फिलहाल, उसके लेनदेन और ट्रस्ट की छानबीन शुरू कर दी गई है। मौलाना कलीम सिद्दीकी का एक और सक्रिय साथी है, जो उसके फाइनैंशियल लेनदेन का हिसाब रखता था। एटीएस लगातार उसे भी तलाश रही है। कलीम के करीबी उसको ट्रस्ट का प्रबंधक सरफराज अली ने पूछताछ में उसके बारे में खुलासा किया है। ऐसे में जाँच एजेंसी सरफराज को नए सिरे से इंटेरोगेट करना चाहती है। शुक्रवार (8 अक्टूबर 2021) को स्पेशल कोर्ट ने उसकी 6 दिन की पुलिस रिमांड मंजूर की थी।
गौरतलब है कि सिद्दीकी के करीबी सहयोगी माने जा रहे सरफराज अली जाफरी को इस्लामी धर्मान्तरण मामले में ATS ने गुरुवार (7 अक्टूबर 2021) को गिरफ्तार किया था। उसे अमरोहा जिले से गिरफ्तार किया गया। उसकी गिरफ्तारी पर ATS के आईजी जीके गोस्वामी ने खुलासा किया था कि मौलाना सिद्दीकी से पूछताछ के दौरान सरफराज अली जाफरी के बारे में जानकारी मिली थी। उन्होंने कहा था, “मौलाना कलीम सिद्दीकी के ग्लोबल पीस सेंटर में जाफरी काम करता था। वह रिवर्ट, रिहैब और दावा व्हाट्सएप ग्रुप का भी मेंबर था। इसी के जरिए उसके गिरोह के लोगों ने धार्मिक नफरत फैलाने के साथ ही लोगों को लालच देकर उन्हें इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया।”
वहीं मौलाना कलीम सिद्दीकी को मेरठ से आतंक निरोधी दस्ते (एटीएस) ने 22 सितंबर 2021 को गिरफ्तार किया था। पुलिस ने बताया था कि मौलाना जामिया इमाम वलीउल्लाह ट्रस्ट चलाता है, जो कई मदरसों को फंड देता है। इसके लिए उसे विदेशों से भारी फंडिंग मिलती है।