दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार (1 जुलाई, 2024) को पर्यावरण एक्टिविस्ट पाटकर को 5 महीने जेल की सज़ा सुनाई है। ‘नर्मदा बचाओ आंदोलन’ के नाम पर जनता को भड़काने के लिए कुख्यात रहीं मेधा पाटकर के खिलाफ 2001 में दिल्ली के उप-राज्यपाल VK सक्सेना ने आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया था। अदालत ने कहा कि मेधा पाटकर की उम्र और उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें अधिक सज़ा नहीं दी जा रही है।
हालाँकि, अगले 1 महीने तक ये सज़ा निलंबित रहेगी। इस दौरान वो ऊपरी अदालतों का रुख कर सकती हैं। साकेत कोर्ट के मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट राघव शर्मा ने ने इसके अलावा विनय कुमार सक्सेना की छवि को नुकसान पहुँचाने की एवज में मेधा पाटकर को उन्हें 10 लाख रुपए भुगतान करने का भी आदेश दिया। 2001 में जब ये मामला आया था, तब VK सक्सेना अहमदाबाद स्थित NGO ‘नेशनल काउंसिल फॉर सिविल लिबर्टीज’ के अध्यक्ष थे।
25 नवंबर, 2000 को जारी किए गए एक प्रेसनोट की वजह से ये मामला शुरू हुआ था, जिसका शीर्षक था – ‘राष्ट्रभक्त का असली चेहरा’। इसमें मेधा पाटकर ने लिखा था, “हवाला लेनदेन से दुःखी VK सक्सेना मालेगाँव आए और NBA की तारीफ़ करते हुए 40,000 रुपए का चेक सौंपा। लोक समिति ने जल्दबाजी में इसकी रसीद भी भेज दी। जो ईमानदारी और रिकार्ड्स में चीजें रखने की नीति को दर्शाता है। लेकिन, चेक को कैश में तब्दील नहीं किया जा सका और ये बाउंस हो गया। जाँच में पता चला कि ऐसा कोई बैंक खाता मौजूद ही नहीं है।”
#WATCH | Delhi: Narmada Bachao Andolan activist Medha Patkar says, "The truth can never be defeated…We have not tried to defame anyone, we only do our work…We will challenge the court's judgement…" https://t.co/8KDuq5ufK8 pic.twitter.com/hDelxBLe4G
— ANI (@ANI) July 1, 2024
मेधा पाटकर ने इस प्रेस नोट में VK सक्सेना को डरपोक कहा था और लिखा था कि वो राष्ट्रभक्त नहीं हैं। उन्हें दोषी ठहराते हुए अदालत ने कहा कि उनके कृत्य जानबूझकर किया गया था और ये दुर्भावनापूर्ण था। जज ने कहा कि VK सिंह की छवि को धूमिल करने के लिए ऐसा किया गया, इससे उनकी साख को नुकसान पहुँचा है। मेधा पाटकर अपने दावों को लेकर कोर्ट में कोई भी साक्ष्य पेश करने में नाकाम रहीं। मेधा पार्टनर ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वो सिर्फ अपना काम कर रही थीं, किसी को बदनाम नहीं। उन्होंने कहा कि वो ऊपरी अदालत में जाएँगे, सत्य को पराजित नहीं किया जा सकता।