Thursday, October 10, 2024
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जेल में बंद सपा के हिस्ट्रीशीटर MLA रफीक अंसारी की जमानत याचिका खारिज: 101 गैर-जमानती वारंट और कुर्की के बावजूद कोर्ट में नहीं हुए थे पेश

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने रफीक अंसारी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने नामांकन के दौरान दिए गए अपने शपथ पत्र में खुद पर दर्ज मुकदमे की बात छिपाई थी। आखिरकार 27 मई 2024 को मेरठ की नौचंदी पुलिस ने रफीक अंसारी को लखनऊ से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

मेरठ की जिला अदालत ने समाजवादी पार्टी के हिस्ट्रीशीटर विधायक रफीक अंसारी की जमानत याचिका ख़ारिज कर दी है। सोमवार (10 जून) को उनकी 2 जमानत अर्जियों पर सुनवाई के बाद मेरठ की जिला अदालत के एडीजे 9 ने यह फैसला सुनाया। 101 गैर जमानती वारंट जारी होने के बावजूद रफीक अंसारी अदालत में पेश नहीं हो रहे थे। यह वारंट 32 साल पुराने के एक केस में जारी हुए थे, जिसमें मुस्लिम समुदाय की 2 जातियाँ आपस में भिड़ गईं थीं। रफीक 27 मई 2024 से जेल में बंद हैं।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इलाहबाद हाईकोर्ट से गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद 27 मई को समाजवादी पार्टी के विधायक रफीक अंसारी को पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी लखनऊ से हुई थी। उसके बाद उन्हें मेरठ जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। न्यायिक हिरासत के 14 दिन पूरे होने के बाद रफ़ीक अंसारी के वकीलों ने मेरठ जिला सत्र न्यायालय में 2 अलग-अलग जमानत अर्जियाँ दाखिल की थीं। इन दोनों अर्जियों की सुनवाई अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश 9 बृजेशमणि त्रिपाठी की अदालत में हुई।

अदालत रफीक अंसारी के वकीलों द्वारा पेश की गई दलीलों से संतुष्ट नहीं हुई। दोनों जमानत अर्जियाँ ख़ारिज कर दी गईं। जिला अदालत के फैसले के बाद अब सपा विधायक को जेल में ही रहना होगा। रफीक अंसारी के वकील अब जमानत अर्जी दाखिल करने के लिए इलाहबाद हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं। हालाँकि, उच्च न्यायलय में फिलहाल गर्मी की छुट्टियाँ चल रही हैं, जिसकी वजह से सुनवाई में देरी हो सकती है। इस बीच समाजवादी पार्टी के नेताओं ने जेल में रफीक अंसारी से मिलकर उनका हालचाल जाना।

बताते चलें कि सपा विधायक रफीक अंसारी जिस मामले में जेल में बंद हैं, वह साल 1992 का है। तब हापुड़ रोड पर माँस की दुकानों को लेकर मुस्लिम पक्ष के अंसारी और कुरैशी जातियों के लोग आपस में भिड़ गए थे। इस दौरान हिंसक हो गई भीड़ ने आगजनी के साथ तोड़फोड़ भी की थी। इस हिंसा की 2 अलग-अलग FIR मेरठ के लिसाड़ी गेट और नौचंदी थानों में दर्ज हुई थी। तब पुलिस ने रफीक अंसारी के साथ हाजी बुंडू को भी नामजद आरोपित बनाया था।

रफीक और हाजी बुंडू सहित कुल 22 लोगों के खिलाफ पुलिस ने साल 1995 में अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। इन सभी पर IPC की धारा 147, 427 और 436 के तहत कार्रवाई की गई थी। इस केस में रफीक अंसारी अदालत में हाजिर नहीं हो रहे थे। रफीक के खिलाफ साल 1997 में पहला गैर-जमानती वारंट जारी हुआ था। तब से अब तक उनके खिलाफ अलग-अलग मौकों पर 101 गैर-जमानती वारंट जारी हो चुके थे। इस दौरान रफीक के खिलाफ CRPC की धारा 82 के तहत कुर्की की भी कार्रवाई की गई थी।

कुर्की के बावजूद रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए। इसके बाद हाईकोर्ट ने डीजीपी को रफीक अंसारी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। इस मामले से पहले भी रफीक अंसारी के खिलाफ वारंट जारी हुए हैं। 30 जनवरी 2020 को रफीक अंसारी के खिलाफ मेरठ की एक अदालत ने 13 पुराने एक मामले में गिरफ्तारी का वारंट जारी किया था। दरअसल, साल 2007 में नगर निगम के एक ठेकेदार ने आरोप लगाया था कि रफीक अंसारी ने उनके ऊपर चाकू से हमला किया है। इस मामले में चार साल बाद 2011 में चार्जशीट दाखिल हुई थी। हालांकि, रफीक की गिरफ्तारी नहीं हुई।

साल 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा ने रफीक अंसारी पर आरोप लगाया था कि उन्होंने नामांकन के दौरान दिए गए अपने शपथ पत्र में खुद पर दर्ज मुकदमे की बात छिपाई थी। आखिरकार 27 मई 2024 को मेरठ की नौचंदी पुलिस ने मेरठ शहर से वर्तमान विधायक रफीक अंसारी को लखनऊ से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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