रिपब्लिक टीवी के एक स्टिंग में चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। चैनेल के अनुसार 1990 में अयोध्या में मुलायम सिंह सरकार की पुलिस ने अनगिनत हिन्दू कारसेवकों को मौत के घाट उतार दिया था। स्टिंग में यहाँ तक दावा किया गया है कि मारे गए कारसेवकों का हिन्दू रीति से अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया था बल्कि आँकड़े छिपाने के लिए उनको दफना दिया गया था।
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— Republic (@republic) February 2, 2019
स्टिंग के वीडियो में तत्कालीन जन्मभूमि थाना प्रभारी SHO वीर बहादुर सिंह को यह कहते सुना जा सकता है कि अधिकांश लोगों को दफ़न करने का आदेश दिया गया था। मारे गए कारसेवकों में से कुछ को ही जलाया गया था। उस समय की मुलायम सिंह सरकार ने बहुत कम कारसेवकों के मारे जाने का दावा करने का षड्यंत्र रचा था।
स्टिंग में यह भी कहा गया कि उस समय मुलायम सरकार ने साज़िशन केवल 16 कारसेवकों के मारे जाने का दावा किया था लेकिन यह संख्या सैकड़ों में थी। रिपब्लिक टीवी के अनुसार सरकार ने गलत संख्या बताने के लिए ही कुछ कारसेवकों को जलाने की बजाय दफना दिया था।
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30 अक्टूबर और 2 नवम्बर 1990, आज़ादी के बाद के इतिहास कि वह दो काली तारीखें है, जब रामजन्मभूमि पर खड़े निहत्थे कारसेवकों पर सेक्युलर स्टेट ने गोली चलवाई थी।
2016 में मुलायम ने यह ख़ुद स्वीकार किया था कि कारसेवकों पर गोली चलवाना, मुस्लिमों की भावनाओं की रक्षा के लिए ज़रूरी था। हालाँकि उन्होंने बाद में यह भी कहा था, “मुझे अफ़सोस है कि मैंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया।” मुलायम सिंह के अनुसार मुस्लिम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कारसेवकों पर गोली चलवाना ज़रूरी था इसलिए उस समय ऐसा करना पड़ा। मुलायम सिंह उस समय मुस्लिमों का भरोसा जीतना चाहते थे इसलिए उन्होंने ऐसा निर्णय लिया था।
पूर्वाग्रह से ग्रसित मीडिया का ये दृढ़ एजेंडा रहा है कि हिन्दुओं के प्रति जघन्य से जघन्य अत्याचार को भी छिपा ले जाने को अपनी महानता समझते हैं। कितना भयानक है कि जहाँ बुरी तरह से हिन्दुओं को मारा गया था, उस पर भी ये सभी तथाकथित स्वतंत्र पत्रकार मौन रहे। कमाल की बात ये है कि देश में ऐसे राजनेता आज भी सेक्युलरिज़्म के मसीहा बने हुए हैं।