Saturday, November 16, 2024
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मुंबई पुलिस अधिकारी और पूर्व शिवसेना नेता सचिन वाजे आधी रात को गिरफ्तार: 12 घंटे पूछताछ के बाद NIA की कार्रवाई

मुंबई पुलिस के विवादित अधिकारी और पूर्व शिवसेना नेता सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया है। एंटीलिया के बाहर SUV में मिले बम के मामले में ये कार्रवाई हुई। अब NIA मंसूख हिरेन की कथित हत्या का मामला भी...

मुंबई पुलिस के विवादित अधिकारी सचिन वाजे को NIA ने गिरफ्तार कर लिया है। एशिया के सबसे अमीर कारोबारी मुकेश अंबानी के मुंबई स्थित बहुमंजिला आवास एंटीलिया के बाहर मिली संदिग्ध कार और उसमें बरामद किए गए बम बनाने के सामान के मामले में ये कार्रवाई हुई है। उस कार के मालिक मनसुख हिरेन भी कुछ दिनों बाद मृत पाए गए थे और परिजनों ने सचिन वाजे पर उनकी हत्या में शामिल होने का आरोप लगाया है।

सचिन वाजे से शनिवार (मार्च 13, 2021) को 12 घंटे तक पूछताछ की गई और फिर देर रात उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके खिलाफ IPC की धारा-120B (आपराधिक षड्यंत्र), 286 (किसी विस्फोटक पदार्थ के बारे में उपेक्षापूर्ण आचरण), 465 (कूटरचना), 473 (कूटरचना करने के आशय से कूटकृत मुद्रा को बनाना या कब्जे में रखना) और 506(2) (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया गया है।

सचिन वाजे शनिवार को सुबह 11 बजे NIA के दफ्तर पहुँचे, जहाँ उनसे पूछताछ हुई। उससे पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर एक संदेश पोस्ट कर के आरोप लगाया था कि उनके साथी ही उन्हें गलत मामलों में फँसा रहे हैं। उन्होंने लिखा था कि अब दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ गया है। NIA को सचिन वाजे के खिलाफ कई मजबूत सबूत मिले हैं, जिसके बाद गिरफ्तारी की कार्रवाई की गई।

NIA अगर किसी मामले की जाँच कर रहा होता है तो उसके पास शक्ति है कि वो उससे जुड़े अन्य मामलों की भी जाँच करे। ऐसे में, NIA जल्द ही मंसूख हिरेन की कथित हत्या का मामला भी अपने हाथ में ले सकता है। सचिन वाजे ने आरोपों को निराधार बताते हुए मार्च 3, 2004 का दिन याद किया और दावा किया कि तब CID के उनके साथियों ने उन्हें ‘गलत मामले में’ गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंने कहा कि इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है।

सचिन वाजे को आज NIA द्वारा अदालत में पेश कर के उनकी कस्टडी माँगी जाएगी। सचिन वाजे कई वर्षों तक शिवसेना के नेता रहे हैं। वाजे ने अपने व्हाट्सएप्प स्टेटस में लिखा था, “मेरे साथी अधिकारी मुझे झूठा फँसाना चाहते हैं। तब शायद मेरे पास 17 साल की आशा, धैर्य, जीवन और सेवा भी थी। अब मेरे पास न तो 17 साल का जीवन होगा और न ही सेवा और न ही जीने के लिए धैर्य।” इसके 1 घंटे बाद ही वो NIA दफ्तर पहुँचे थे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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