Monday, June 5, 2023
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नागालैंड में ‘मूल निवासी सर्टिफिकेट’ बँटेंगे, असम के NRC से मिलती-जुलती कवायद

अंतिम सूची के आधार पर बने आरआईआईएन को ऑनलाइन इनर-लाइन परमिट प्रणाली के साथ भी एकीकृत किया जाएगा। इस प्रणाली का प्रयोग गैर-निवासियों को नगालैंड में प्रवेश और यात्रा की अनुमति देने वाले दस्तावेज इनर-लाइन परमिट को जारी करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है।

नगालैंड ने भी अपने यहाँ असम के नागरिकता रजिस्टर राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से मिलती-जुलती कवायद करने जा रहा है। अपने मूल, जनजातीय निवासियों की पहचान के लिए वह एक नगालैंड मूलनिवासी रजिस्टर (आरआईआईएन) बनेगा, जिससे मूल नगाओं, और बाहरियों व नकली मूल निवासियों में अंतर किया जा सके। इसके आधार पर मूल निवासियों को मूल निवासी होने के प्रमाण व पहचान पत्र जारी किए जाएँगे। इसका उपयोग नगालैंड में बाहरियों की आवाजाही के लिए लागू परमिट (इनर लाइन परमिट) व्यवस्था में भी होगा।

घर-घर होगी गिनती, जिला प्रशासन करवाएगा सत्यापन

द हिन्दू में छपी खबर के अनुसार राज्य सरकार ने सभी डिप्टी कमिश्नरों को आदेश दिया है कि लोगों के नाम सहित इस काम के लिए लगने वाली टीमों की सूची अधिसूचना जारी होने के एक सप्ताह के अंत तक तैयार हो जाएँ। टीमों के बारे में जानकारी सार्वजनिक करने के अलावा हर ग्राम समिति के अध्यक्ष (विलेज काउन्सिल चेयरमैन), ग्राम विकास बोर्ड सचिव (विलेज डेवलपमेंट बोर्ड सेक्रेटरी) वार्ड अधिकारियों, कबीलों के ‘होहो’ (हर नगा दल या कबीले की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था), चर्च और गैर-सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) को भी सूचित किए जाने के, सर्वे टीमों को आदेश होगा कि वे हर एक घर में जाएँगी, और वहाँ रह रहे मूल निवासियों की सूची बनाएँगी।

हर परिवार के सदस्य को अपने गाँव में ही गणना में जोड़ा जाएगा और गाँव-घर के बाहर रह रहे परिवार के सदस्यों को भी मूल, पारिवारिक गाँव के ही अप्रवासी निवासियों के तौर पर सूचीबद्ध किया जाएगा। सूची का स्वरूप हर व्यक्ति के ‘स्थाई निवास’ और ‘वर्तमान निवास’ को अलग-अलग लिखने का होगा। इन सूचियों को गाँवों और वार्डों में प्रकाशित कर जिला प्रशासन के पर्यवेक्षण में इसका सत्यापन गाँव और वार्ड के अधिकारी करेंगे। हर सूची पर उसके बाद गाँव या वार्ड के अधिकारी भी टीम के सदस्यों के साथ हस्ताक्षर करेंगे।

10 जुलाई से काम शुरू हो जाएगा

अगस्त में असम में प्रकाशित होने जा रहे एनआरसी के अंतिम ड्राफ्ट के एक महीने से भी कम समय पहले 10 जुलाई से इसकी पर्यवेक्षण टीमें हर गाँव और शहरी वार्ड को कवर करने निकल पड़ेंगी। शनिवार (29 जून) को राज्य के गृह आयुक्त आर रामकृष्णन ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी है। इस अधिसूचना में एक मास्टर लिस्ट तैयार करने और नकली मूल-निवासी सर्टिफिकेटों की जाँच करने का लक्ष्य रखा गया है

11 सितंबर को पहली सूची, 10 दिसंबर तक प्रक्रिया समाप्त

अस्थायी सूचियों को 11 सितंबर को राय सरकार और जिलों की वेबसाइटों पर डालने के अलावा गाँवों और वार्डों में भी प्रकाशित किया जाएगा। 10 अक्टूबर (एक महीने) तक इस पर आपत्ति जताने का समय दिया जाएगा, और डिप्टी कमिश्नर आपत्तियों का निपटारा आधिकारिक रिकॉर्डों और सबूतों के आधार पर करेंगे। अंतिम सूची बनाने से पहले हर आपत्तिकर्ता को अपनी बात रखने का पूर्ण अवसर दिया जाएगा। सभी आपत्तियों के निपटारे के बाद मूल निवासियों को पहचान प्रमाण पत्र दिए जाएँगे। अधिकारियों के मुताबिक यह सब प्रक्रियाएँ समाप्त करने के लिए 10 दिसंबर तक का समय दिया गया है। अंतिम सूचियाँ जिले और राज्य स्तर पर प्रकाशित करने के अलावा गाँवों और वार्डों में भी प्रसारित की जाएँगी।

अंतिम सूची के आधार पर बने आरआईआईएन को ऑनलाइन इनर-लाइन परमिट प्रणाली के साथ भी एकीकृत किया जाएगा। इस प्रणाली का प्रयोग गैर-निवासियों को नगालैंड में प्रवेश और यात्रा की अनुमति देने वाले दस्तावेज इनर-लाइन परमिट को जारी करने के लिए प्रयुक्त किया जाता है। “आरआईआईएन के एक बार पूरा होने के बाद और कोई मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी नहीं होंगे। केवल मूल निवासियों के पैदा होने वाले बच्चों को उनके जन्म प्रमाण पत्र के साथ मूल निवासी प्रमाण पत्र जारी कर दिए जाएँगे और आरआईआईएन को तदनुसार नवीनीकृत कर लिया जाएगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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