सोमवार को दिल्ली के कई इलाकों में इस्लामिक पत्थरबाजों ने नागरिकता कानून के विरोध के बहाने गोलियाँ, पत्थरबाजी और आगजनी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया। इस बीच एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब शेयर किया गया जिसमें हाथ में बन्दूक लिए लाल कमीज पहने मोहम्मद शाहरुख को एक के बाद एक कई राउंड फायरिंग करते हुए देखा गया।
दिनभर चले पत्थरबाजी और फायरिंग के नाटक के बीच एक पुलिसकर्मी रतन लाल को अपनी जान गँवानी पड़ी और एक पुलिस अधिकारी को गंभीर हालातों में अस्पताल भर्ती किया गया। लेकिन इस फायरिंग और दंगाई मोहम्मद शाहरुख की पहचान की चर्चा के बीच एक जाँबाज पुलिसकर्मी खो गया और उन पर चर्चा नहीं की गई।
दंगाई शाहरुख ने कल दिल्ली के मौजपुर में तकरीबन 8 राउंड फायरिंग की। उग्रवादी मोहम्मद शाहरुख जब बन्दूक से फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहा था, तब एक जाँबाज पुलिसकर्मी को उसकी बन्दूक के सामने आकर उसे रोकने का प्रयास करते हुए देखा गया। बावजूद इसके शाहरुख गोलियाँ बरसता रहा।
लेकिन हेड कॉन्स्टेबल नीरज दहिया एक दीवार की तरह दंगाई शाहरुख के सामने डटकर खड़े नजर आए। इसके बाद भी जब पुलिसकर्मी फायरिंग कर रहे शाहरुख के सामने से नहीं हटा तो शाहरुख के समर्थन में उसके पीछे से पत्थरबाजों की एक बड़ी तादाद आती है और नीरज दहिया को पीछे हटाने की कोशिश करती है।
Unabated rioting in #Delhi. Vehicles on fire, petrol pump torched, shops vandalised & here is a protester brandishing his gun & firing in the air while pointing it a cop #DelhiPolice. All this justified in the name of ‘peaceful’ #CAA_NRC_Protests ? #Bhajanpura @IndiaAheadNews pic.twitter.com/vdTYoks6Js
— Sourav Sanyal (@SSanyal) February 24, 2020
अब याद करिए जब गत दिसंबर के माह सीएए के विरोध में दंगा भड़काने वालों पर पुलिस की कार्रवाई की गई। देश के ‘इंटरनेट उदारवादियों’ की फ़ौज ने दंगे में हुए नुकसान और उसके परिणाम की चर्चा को किनारे रखकर फौरन अपने नायक तलाश लिए।
लेफ्ट-लिबरल गैंग ने हिजाब लगाई दो लड़कियों की तस्वीर खूब शेयर की। दिखाया गया कि हिजाब वाली यह लड़कियाँ दंगा कर रहे एक कथित छात्र को पुलिस की पिटाई से बचाने की कोशिश कर रही थीं। तुरंत बरखा दत्त की इन ‘Sheroes’ की पहचान निकाली गई और देखते ही देखते लदीदा सखलून और आयशा रेन्ना जामिया के विरोध प्रदर्शन का चेहरा बन गईं।
हालाँकि, बरखा दत्त की इन Sheroes का गुब्बारा ज्यादा दिन चला नहीं और जल्द ही उनके जिहादी उद्देश्य उनके सोशल मीडिया एकाउंट्स के जरिए जनता के सामने आ गए। और इसके बाद लेफ्ट-लिबरल गैंग अपनी व्यक्तिगत छवि को बचाने के लिए खुद को इनसे पीछा छुड़ाते हुए भी देखा गया।
लेकिन हम अपने नायक चुनने में लेफ्ट-लिबरल गिरोह जितने होशियार और तत्पर नहीं हैं। जेएनयू से ही इसका उदाहरण देख सकते हैं। उमर खालिद और कन्हैया कुमार को देखते ही देखते कुछ लोगों ने राष्ट्रीय चेहरा बना दिया। स्वरा भास्कर और अनुराग कश्यप जैसे रोजगार के लिए तरसते लोगों को ट्विटर पर दिन-रात सरकार विरोधी पोस्ट करने का रोजगार दे दिया गया। लेकिन बन्दूक के सामने प्रहरी की भाँति खड़े इस पुलिस कर्मी की पहचान अभी तक सबके सामने नहीं आ सकी है। नीरज दहिया ने जो किया, वह बेहद हीरोइक और वीरतापूर्ण कार्य है।
फिलहाल सोशल मीडिया पर हेड कॉन्स्टेबल नीरज दहिया को खूब प्रसंशा मिल रही है। यह आवश्यक भी है। क्योंकि हम देख चुके हैं कि सोशल मीडिया के प्रभाव से ही आज देश को टुकड़ों में बाँटने का सपना देखने वाले लोग पलक झपकते ही नायक बना दिए जाते हैं, जबकि महान वैज्ञानिक नम्बी नारायण और नीरज दहिया जैसे कर्तव्यपरायण देशभक्त गुमनामी में जीते नजर आते हैं।
Head Constable Neeraj Dhaiya (man in blue jacket) bravely faced the man who aimed pistol at him and fired multiple shot close to his head. pic.twitter.com/NTBbY7SabU
— Saurabh Trivedi (@saurabh3vedi) February 24, 2020
इस तस्वीर को ध्यान से देखिए और निहारते रहिए। कल के दंगों में सामने आई इस तस्वीर में नजर आ रहे पुलिसकर्मी की पहचान पर स्केच जारी नहीं किए जा रहे हैं। फर्ज को छोड़ दीजिए और एक बार के लिए हम खुद को उस पुलिसकर्मी की जगह पर खड़े कर के देखें, एक मानसिक रूप से विक्षिप्त युवा शाहरुख लगातार फायरिंग करते हुए हमारी ओर बढ़ रहा है। क्या हम ऐसी स्थिति में होते कि उसी पुलिस कर्मी जैसी दृढ़ता के साथ शाहरुख की ओर बढ़ते? जवाब हम सब जानते हैं।