उत्तराखंड के देहरादून क्षेत्र में अवैध मजारों पर कुछ समय पहले हमारी रिपोर्ट के बाद हमने इसी प्रदेश के एक अन्य हिस्से रामनगर का दौरा किया। यहाँ पर वन्य जीवों के लिए जिम कार्बेट नेशनल पार्क सबसे चर्चित स्थान माना जाता है जहाँ लाखों की संख्या में टूरिस्ट आते हैं। हैरानी की बात ये रही कि ये जगह भी अवैध मजारों से अछूती नहीं रही।
रामनगर-रानीखेत मार्ग पर पक्की मजार
हमने यह दौरा जून 2022 में किया था। दिल्ली से हम मुरादाबाद के रास्ते अपने निजी वाहन से रामनगर पहुँचे। रामनगर बाजार से हम रानीखेत रोड पर आगे बढ़े। बीच-बीच में जंगली जानवरों से सावधानी के बोर्ड लगे दिखाई दिए। जंगलों के बीच गुजरती इस सड़क पर लगभग 5 किलोमीटर आगे जाने के बाद एक जगह सड़क मुड़ी दिखाई दी। उस मुड़ी सड़क पर एक बड़ी सी मजार बनी थी जिसे बाकायदा एक घरनुमा आकार से कवर कर दिया गया था। हमने उतर कर उस मजार के किसी संरक्षक से बात करनी चाही लेकिन मौके पर कोई नहीं दिखा।
उत्तराखंड के रामनगर रानीखेत मार्ग पर बाघों के आश्रय के बीच भूरे शाह शेर अली जुल्फकार दादामियां की मजार.
— Rahul Pandey (Journalist) (@STVRahul) August 7, 2022
विश्व प्रसिद्ध जिम कार्बेट पार्क से सटी हुई.
जहां इंसान भी नहीं रह सकता वहां भी मजार ?
शेर अली की मजार शायद शेरों के लिए होगी
क्यों भाईजानों ?@pushkardhami @NainitalSsp pic.twitter.com/cChBQkDDNC
इस मजार पर एक बड़ा सा पोस्टर लगा था जिस पर सबसे ऊपर 786 लिखा था। बाद में लिखा था, “भूरे शाह शेर अली जुल्फकार दादमियाँ का उर्स”। पोस्टर में उर्स में ज्यादा से ज्यादा लोगों के शामिल होने की अपील की गई थी।
झिरना इलाके के प्रतिबंधित क्षेत्र में मजार
ऑपइंडिया की टीम ने अगले दिन जिम कार्बेट नेशनल पार्क में प्रवेश किया। यहाँ पर बाघ, तेंदुए, हाथी, हिरन जैसे कई अन्य जीव अच्छी संख्या में पाए जाते हैं। पार्क के इंट्री गेट के अंदर किसी भी को रहने की अनुमति नहीं है। अंदर केवल वन विभाग के ही लोग आ और जा सकते हैं। हमने नेशनल पार्क के झिरना क्षेत्र में प्रवेश किया। लगभग 1 किलोमीटर की दूरी पर हमें एक और मजार दिखी। यह मजार सड़क से एकदम सटा कर बनाई गई है। इस मजार पर बाकायदा रंग रोशन किया गया था और चादर भी चढ़ाई गई थी। इस जगह पर हमारे गाईड ने हमें वाहन से उतरने से साफ़ मना कर दिया क्योंकि वो इलाका बाघों का क्षेत्र माना जाता है। ऐसे में मन में सवाल आया कि फिर इस मजार पर रंग-रोशन कौन करता है ?
इस मजार के बारे में जब हमने अपने गाईड और ड्राइवर से पूछा तब वो इसके इतिहास के बारे में नहीं बता सके। सबसे हैरानी की बात ये थी कि मजार के नीचे बाकायदा पत्थरों को सेट किया गया था और उस पर किसी के द्वारा चादर भी चढ़ाई गई थी।
घने जंगल के बीच मजार
जंगल में लगभग 45 मिनट अंदर चल कर जब दूर-दूर केवल वन विभाग वालों की चौकियों के टॉवर भर दिखाई दे रहे थे उस समय एक और मजार दिखाई पड़ी। हमारे गाइड ने हमें बताया कि वह स्थान बाघों का सबसे सघन इलाका माना जाता है। हमने उस स्थान पर कुछ हिरन दिखाई दिए। कुछ ही दूरी पर एक तेंदुआ भी सड़क पार करता दिखाई दिया था। ऐसे में उस स्थान पर किसी मजार का होना मेरे साथ सफारी करने आए बाकी लोगों को भी अजीब लगा।
हमने बाकी जीप चालकों इस मजार के बारे में जानकारी ली पर वो इस बारे में कुछ नहीं बता पाए। हालाँकि स्थिति के हिसाब से इस मजार पर लोगों की आवाजाही कम लगी। मजार का रख रखाव भी कुछ दिनों से नहीं हुआ दिखाई पड़ा। लेकिन मजार पक्की सीमेंट की थी और उसके आस-पास का बड़ा चौकोर क्षेत्र भी सीमेंट से बना दिखाई दिया।
2011 की जनगणना के आँकड़ों के मुताबिक, नैनीताल जिले में मुस्लिमों की कुल आबादी 12.65% है। वहीं जिम कॉर्बेट क्षेत्र में टूर ऑपरेटर रमेश ने हमें बताया कि यहाँ पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अच्छा-ख़ासा कारोबार जमा लिया है। जंगल सफारी करवाने के लिए अधिकतर वाहन मुस्लिम समुदाय के लोगों के हैं।