भारत और विदेशों के विभिन्न विश्वविद्यालयों के 150 से अधिक शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा JEE (मुख्य) और NEET में यदि और देरी हुई तो छात्रों का भविष्य प्रभावित होगा।
बुधवार (अगस्त 26, 2020) को लिखे गए इस पत्र में कहा गया है, ”युवा और छात्र राष्ट्र का भविष्य हैं लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण, उनके करियर पर अनिश्चितताओं के बादल छा गए हैं। प्रवेश और कक्षाओं के बारे में बहुत सारी आशंकाएँ हैं, जिन्हें जल्द से जल्द हल करने की आवश्यकता है।” पत्र में कहा गया है कि हर साल की तरह इस साल भी लाखों छात्रों ने अपनी कक्षा 12 की परीक्षाएँ दी हैं और अब प्रवेश परीक्षाओं का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।
इसके साथ ही, पत्र में यह भी लिखा गया है, “सरकार ने जेईई-मेन्स के लिए तारीखों की घोषणा की है और परीक्षा आयोजित करने में किसी भी तरह की देरी के कारण छात्रों के लिए कीमती वर्ष की बर्बादी होगी। हमारे युवाओं और छात्रों के सपनों और भविष्य से किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जा सकता है। हालाँकि, कुछ हमारे छात्रों के भविष्य के साथ खेलने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे अपने स्वयं के राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें और सरकार का विरोध कर सकें।”
More than 100 academics have appealed to PM in favour of conducting JEE and NEET exams.#JEE_NEET pic.twitter.com/W909oxL9Dj
— All India Radio News (@airnewsalerts) August 26, 2020
कई विश्वविद्यालयों के वीसी ने लिखा पत्र
इस पत्र में हस्ताक्षरकर्ताओं में दिल्ली विश्वविद्यालय से श्री प्रकाश सिंह, इग्नू के प्रोफेसर सीबी शर्मा, लखनऊ विश्वविद्यालय, जेएनयू, बीएचयू, महात्मा गाँधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी, बिहार के वीसी प्रोफेसर संजीव शर्मा, गुजरात के वीसी अमी उपाध्याय, केरल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के प्रो-वीसी प्रोफेसर जयप्रसाद, आईआईटी दिल्ली और विदेशी विश्वविद्यालयों जैसे लंदन विश्वविद्यालय, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, द हिब्रू विश्वविद्यालय और बेन गुरियन विश्वविद्यालय, इज़राइल में कार्यरत भारत के शिक्षाविद शामिल हैं।
उन्होंने कहा, “हम दृढ़ता से मानते हैं कि केंद्र सरकार पूरी तरह से सावधानी बरतते हुए जेईई और एनईईटी परीक्षा का सफलतापूर्वक आयोजन करेगी, ताकि छात्रों के भविष्य का ध्यान रखा जा सके और 2020-21 के लिए अकादमिक कैलेंडर तैयार किया जा सके।”
NEET और JEE यानी, मेडिकल और इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं के लिए 14 लाख से अधिक एडमिट कार्ड बुधवार को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) द्वारा जारी किए जाने के बाद डाउनलोड किए गए। वहीं, गैर-भाजपा शासित राज्यों ने परीक्षाओं को स्थगित करने के लिए संयुक्त रूप से उच्चतम न्यायालय जाने का फैसला किया।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने बुधवार (अगस्त 26, 2020) को केंद्र सरकार को घेरते हुए कहा कि छात्रों की समस्याओं और NEET-JEE परीक्षा के मुद्दे को नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिना ध्यान दिए ही निपटा दिया है। इस बैठक के बाद 7 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इन परीक्षाओं के आयोजन के सम्बन्ध में सुप्रीम कोर्ट का रुख करने का फैसला लिया है।
वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कॉन्ग्रेस शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों, कॉन्ग्रेस समर्थित सरकारों के मुख्यमंत्रियों और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की एक बैठक को संबोधित करते हुए, सोनिया गाँधी ने कहा, “हमें केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम करना होगा और साथ ही उनसे लड़ना होगा। छात्रों की समस्याओं और NEET और JEE परीक्षा के मुद्दों को केंद्र द्वारा अनजाने में निपटा दिया गया है।”
इस कॉन्फ्रेंसिंग में मौजूद सभी मुख्यमंत्रियों ने केंद्र सरकार से परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ाने का आग्रह किया है। ममता बनर्जी के अलावा इस बैठक में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे भी शामिल थे।
NEET की परीक्षा आगामी 13 सितंबर को है, जबकि इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा जेईई मेंस 1-6 सितंबर से निर्धारित है। करीब 9.53 लाख उम्मीदवारों ने जेईई-मेन्स के लिए पंजीकरण किया है और 15.97 लाख छात्रों ने एनईईटी के लिए पंजीकरण किया है। इन परीक्षाओं को पहले से ही कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर दो बार टाला जा चुका है।