केरल के अलाप्पुझा में गुरुवार (26 मई 2022) को पुलिस कट्टरपंथी इस्लामिक संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) की रैली में हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाने वाले नाबालिग लड़के का पता लगाने में कामयाब रही। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में अलाप्पुझा में पीएफआई कार्यकर्ता के कंधों पर बैठे बच्चे का हिंदू विरोधी नारे लगाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था। इस घटना का वीडियो सामने के बाद अलाप्पुझा से पुलिस की टीम नाबालिग लड़के और उसके माता-पिता के बारे में जानकारी जुटाने के लिए कोच्चि पहुँची थी। पुलिस नाबालिग के माता-पिता के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए उन्हें ट्रैक कर रही थी, ताकि वह यह पता लगा सकें कि उनके बच्चे को हिंदू विरोधी भड़काऊ नारे लगवाने के लिए किसने उकसाया था।
केरल उच्च न्यायालय ने भी पीएफआई की रैली में भड़काऊ नारे लगाने के मामले में आपत्ति जताई है। अदालत ने कहा कि ‘इस देश में क्या हो रहा है?’ न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन ने कहा कि अगर रैली के किसी सदस्य ने भड़काऊ नारे लगाए हैं, तो इसके लिए रैली का आयोजन करने वाले लोग भी जिम्मेदार थे। पुलिस अधिकारी इस मामले से संबंधित सभी व्यक्तियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे। अदालत ने रैली के खिलाफ एसडी कॉलेज, अलाप्पुझा के पूर्व प्रोफेसर आर रामराजा वर्मा द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया है।
दरअसल, 21 मई को अलाप्पुझा में पीएफआई द्वारा आयोजित ‘गणतंत्र बचाओ रैली’ के दौरान एक व्यक्ति के कंधे पर बैठे एक लड़के का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया था, जिसमें वह हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगा रहा था। वीडियो में लड़का कह रहा है, ‘हिंदुओं को अपने अंतिम संस्कार के लिए चावल रखना चाहिए और ईसाइयों को अपने अंतिम संस्कार के लिए अगरबत्ती रखनी चाहिए।” वह लड़का कहता है, “चावल तैयार रखो। यम (मृत्यु के देवता) आपके घर आएँगे। यदि आप सम्मानपूर्वक रहते हैं, तो आप हमारे स्थान पर रह सकते हैं। अगर नहीं, तो हम नहीं जानते कि क्या होगा।”
इस बीच, मामले की जाँच कर रहे एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि कोच्चि शहर की पुलिस ने अलाप्पुझा पुलिस के साथ जानकारी साझा की है। कोच्चि के पुलिस कमिश्नर सीएच नागराजू ने कहा कि उन्होंने नाबालिग के बारे में कई अहम सबूत इकट्ठा किए हैं, जिसका फिलहाल खुलासा नहीं किया जा सकता है। पुलिस ने एक साजिश के बारे में भी संकेत दिया है। उन्होंने बताया कि नाबालिग को नारे लगाने के लिए पहले से ट्रेंनिंग दी गई थी। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमने इस तरह के भड़काऊ नारे लगाने के लिए लड़के को प्रशिक्षित करने वाले लोगों की पहचान करने के लिए एक विस्तृत जाँच शुरू की है।”
खबर है कि केरल पुलिस ने नाबालिग बच्चे को कंधे पर उठाकर ले जाने वाले अंसार नजीब को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ के दौरान, नजीब ने दावा किया कि उसे नहीं पता कि वह बच्चा कौन था, उसने तो रैली में उसे केवल अपने कंधों पर उठाया था। पुलिस ने इस मामले में पीएफआई अलाप्पुझा के जिला अध्यक्ष पीए नवास के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है।
केरल में पीएफआई की रैली में लगाए गए भड़काऊ नारे
कथित तौर पर, 1,000 से अधिक पीएफआई समर्थकों और सदस्यों की भीड़ ने सड़कों पर उतरकर हिंदुओं और ईसाइयों के खिलाफ नारे लगाए थे। भीड़ ने हिंदुओं और ईसाइयों को देश में शांति से नहीं रहने पर गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी भी दी थी। कट्टरपंथी लोगों की भीड़ ने धमकी देते हुए कहा था कि वे 2002 के गुजरात दंगों को नहीं भूले हैं और संघ परिवार केरल को गुजरात समझने की गलती न करें।
इसके अलावा, भीड़ ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद की विवादित इमारत में फिर से ‘सुजुद’ (एक तरह की प्रार्थना) करने की कसम खाई। साथ ही उन्होंने ज्ञानवापी विवादित ढाँचे में ‘सुजूद’ को जारी रखने का फैसला किया है, जो वाराणसी में काशी विश्वनाथ मंदिर को तोड़कर बनाया गया है। उन्होंने कहा कि वे पाकिस्तान या बांग्लादेश नहीं जा रहे हैं। अगर वे वहाँ जाते हैं, तो वे संघ परिवार को भी अपने साथ ले जाएँगे।
PFI का दावा, RSS पर लगाए गए नारे
इस बीच, पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष सीपी मुहम्मद बशीर ने दावा किया कि ये नारे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के खिलाफ लगाए गए थे ना कि हिंदुओं के खिलाफ। उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी आरएसएस रूपी आतंकवाद से लड़ना और उसका विरोध करना जारी रखेगी। इससे पहले वीडियो सामने आने के बाद, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के प्रवक्ता रउफ पट्टांबी (PFI spokesperson Rauf Pattambi) ने कहा था कि नारे संगठन के सम्मेलन में नहीं बल्कि एक रैली के दौरान लगाए गए थे, जिसमें हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। उन्होंने कहा कि नारे हिंदुओं या ईसाइयों के खिलाफ नहीं थे, बल्कि हिंदुत्व के आतंकवादियों और फासीवादियों के खिलाफ थे।
रऊफ पट्टांबी ने यह भी कहा था, “कई लोगों ने हिंदुत्व आतंकवाद के खिलाफ नारे लगाए। इस लड़के ने भी नारे लगाए। हमें नारों की कुछ पंक्तियों पर खेद है, जिस पर हम गौर करेंगे। उनके नारे हिंदुओं या ईसाइयों के खिलाफ नहीं थे, बल्कि नरसंहार की योजना बना रहे हिंदुत्व आतंकवादियों के खिलाफ थे।”
पीएफआई का हिंसा फैलाने का इतिहास
पीएफआई का हिंसा करने का काफी पुराना इतिहास है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के मद्देनजर हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों और देश भर में हिंसा की जाँच के दौरान, पीएफआई की भूमिका संदिग्ध रही है और पीएफआई के कई सदस्यों को दंगों में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। इसके अलावा 2020 में कट्टरपंथी इस्लामी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ने देश के विभिन्न हिस्सों में दंगों और हिंसा के लिए उकसाने के आरोपित किसानों के विरोध को अपना समर्थन दिया और प्रदर्शनकारियों को संविधान के संरक्षण के लिए संघर्ष करने के लिए कहा था।
पीएफआई और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठन विभिन्न राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की फंडिंग के लिए कुख्यात हैं। दिसंबर 2019 में CAA के विरोध प्रदर्शनों के दौरान गृह मंत्रालय के साथ शेयर की गई एक खुफिया रिपोर्ट ने कुछ ‘राजनीतिक दलों’ की तरफ इशारा किया था और SIMI जैसे कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों पर प्रतिबंध लगा दिया था।