Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजPFI ने ईशनिंदा में काटा हाथ, पत्नी ने की आत्महत्या: बाएँ हाथ से लिख...

PFI ने ईशनिंदा में काटा हाथ, पत्नी ने की आत्महत्या: बाएँ हाथ से लिख डाली आत्मकथा, प्रोफेसर को मिला केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार

जोसेफ़ की आत्मकथा को इंग्लिश में भी 'ए थाउजेंड कट्स' नाम से प्रकाशित किया गया है। प्रोफेसर जोसेफ ने 'भ्रान्तनु स्तुति' नाम से दूसरी किताब भी प्रकाशित की है। यह किताब उनके द्वारा तैयार किए गए प्रश्न पत्र में उसी पागल आदमी पर आधारित है।

केरल (Kerala) में जिस प्रोफेसर का दायाँ हाथ कट्टरपंथियों ने काट दिया था, उन्होंने बाएँ हाथ से अपनी आत्मकथा लिख कर इनाम जीता है। प्रोफेसर का नाम टी जे जोसेफ है। उनकी आत्मकथा को केरल साहित्य अकादमी द्वारा 2020 की बेस्ट बायोग्राफ़ी घोषित किया गया है। मलयालम में ‘अट्टूपोकथा ओरमाकल’ नाम से लिख गई अपनी आत्मकथा में प्रोफेसर ने हाथ काटे जाने के पहले के अपने जीवन की चर्चा की है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के कट्टरपंथियों ने ईशनिंदा के कथित आरोप में प्रोफेसर का दायाँ हाथ 4 जुलाई 2010 को काट दिया था। तब प्रोफेसर जोसेफ लडुक्की जिले के थोडूपुझा क्षेत्र में आने वाले न्यूमैन कॉलेज में पढ़ाते थे। उन पर परीक्षा के लिए एक प्रश्न पत्र में इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के नाम का प्रयोग करने पर कट्टरपंथी नाराज हो गए थे।

वह प्रश्न पत्र एक पागल और भगवान के बीच हुई बातचीत को लेकर था। प्रश्न प्रसिद्ध लेखक पीटी कुंजू मोहम्मद की किताब से लिया गया था। विवाद बढ़ने पर प्रोफेसर जोसेफ ने सफाई भी दी थी। उन्होंने कहा था कि पेपर में पागल आदमी का कोई नाम नहीं था और मोहम्मद नाम किताब के लेखक पीटी कुंजू मोहम्मद के चलते आया था।

हालाँकि, उनकी सफाई का चरमपंथियों पर कोई असर नहीं पड़ा था। मुख्य हमलावर का नाम नजीब था। साल 2015 में इस केस में PFI के 13 सदस्यों को NIA कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

जब प्रोफेसर जोसेफ पर हमला हुआ तब उनकी उम्र 52 साल की थी। हमले से हुए घाव से उन्हें उबरने में काफी समय लगा, लेकिन उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा और लम्बे समय तक बाएँ हाथ से लिखने की प्रैक्टिस करते रहे। आखिरकार लगभग 10 साल की मेहनत के बाद उन्होंने बाएँ हाथ से लिखकर अपनी बायोग्राफी प्रकाशित की।

अपनी इस बायोग्राफी में प्रोफेसर टी जे जोसेफ ने बताया है कि कैसे उस समय कॉलेज प्रशासन से लेकर उनके तमाम सहयोगियों और यहाँ तक कि चर्च ने भी उनका साथ छोड़ दिया था और उसी डिप्रेशन में उनकी पत्नी ने भी आत्महत्या कर ली थी। उ

उन्होंने बताया था, “कॉलेज के प्रिंसिपल और मैनेजमेंट ने शुरुआती समय में मेरा साथ दिया, लेकिन समय के साथ उनके मत बदल गए। ये जानने के बावजूद कि मैं निर्दोष हूँ, कॉलेज ने मुझ पर ईशनिंद का आरोप मढ़ा, मुझे सस्पेंड किया गया और बाद में नौकरी से निकाल दिया गया। चर्च ने मेरे परिवार को बहिष्कृत किया।”

जोसेफ़ की आत्मकथा को इंग्लिश में भी ‘ए थाउजेंड कट्स’ नाम से प्रकाशित किया गया है। प्रोफेसर जोसेफ ने ‘भ्रान्तनु स्तुति’ नाम से दूसरी किताब भी प्रकाशित की है। यह किताब उनके द्वारा तैयार किए गए प्रश्न पत्र में उसी पागल आदमी पर आधारित है। फिलहाल प्रोफसर विदेश दौरे पर बताए जा रहे हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बांग्लादेशियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर झारखंड पुलिस ने हॉस्टल में घुसकर छात्रों को पीटा: BJP नेता बाबू लाल मरांडी का आरोप, साझा की...

भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर हेमंत सरकार की पुलिस ने उन्हें बुरी तरह पीटा।

प्राइवेट सेक्टर में भी दलितों एवं पिछड़ों को मिले आरक्षण: लोकसभा में MP चंद्रशेखर रावण ने उठाई माँग, जानिए आगे क्या होंगे इसके परिणाम

नगीना से निर्दलीय सांसद चंद्रशेखर आजाद ने निजी क्षेत्रों में दलितों एवं पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू करने के लिए एक निजी बिल पेश किया।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -