राजस्थान में पुलिसकर्मियों की आत्महत्या का सिलसिला थम नहीं रहा। अब पोकरण में कॉन्स्टेबल मायाराम मीणा ने फॉंसी लगाकर खुदकुशी कर ली है। 10 दिन के भीतर राज्य में पुलिसकर्मी के सुसाइड करने की यह चौथी घटना है।
23 मई को SHO विष्णुदत्त विश्नोई, 26 मई को जसविंदर सिंह और 29 मई को हेड कॉन्स्टेबल गिरिराज सिंह ने आत्महत्या कर ली थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जैसलमेर के पोकरण में रविवार (31 मई, 2020) को कॉन्स्टेबल मायाराम मीणा ने उसी होटल में ख़ुदकुशी की जहाँ वह ठहरे हुए थे। मायाराम पावर ग्रिड में ड्यूटी पर तैनात थे। सुसाइड की सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पोकरण पुलिस पहुँची और पूरे मामले का जायजा लिया।
हालाँकि आत्महत्या के कारणों का अभी खुलासा नहीं हो पाया है। एक अन्य घटना में बीकानेर के सेरुणा थाना प्रभारी गुलाम नबी की आज हार्ट अटैक से मौत हो गई।
उल्लेखनीय है कि चुरू जिले के राजगढ़ थाना प्रभारी विश्नोई की आत्महत्या के बाद से ही राजस्थान की सियासत गरम है। इस मामले की सीबीआई जॉंच की मॉंग जोर पकड़ती जा रही है। इस मामले में कॉन्ग्रेस विधायक कृष्णा पूनिया पर सवाल उठ रहे हैं। उन पर पुलिसकर्मियों की झूठी शिकायतें उच्चाधिकारियों से करने का आरोप है।
विश्नोई ने दो सुसाइड नोट छोड़े थे। एक एसपी को सम्बोधित था तो दूसरा माता-पिता को। सुसाइड नोट में विश्नोई ने लिखा था कि उनके चारों तरफ इतना दबाव बना दिया गया कि वो झेल नहीं सके। उन्होंने ख़ुद के तनाव में होने की बात कही। वकील को मैसेज भेज कर उन्होंने लिखा कि उन्हें गन्दी राजनीति के भँवर में फँसा दिया गया है।
इसके अलावा, 26 मई काे श्रीगंगानगर में गार्ड कमांडर जसविंद्र की आत्महत्या का मामला सामने आया था। इसके बाद दौसा के सैंथल में गिरिराज सिंह ने शुक्रवार आत्महत्या कर ली थी। इस मामले में भी दबाव की आशंका जताई गई थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार हेड कॉन्स्टेबल गिरिराज सिंह ने रात के लगभग 8:00 बजे अपने क्वार्टर में गमछे का फंदा बना कर फाँसी लगाई थी। वे घर में अकेले ही रहते थे। सुसाइड की खबर तब लगी जब सैंथल थाने का स्टाफ उन्हें खाना देने पहुॅंचा।