राजस्थान पुलिस लोगों के निशाने पर है। कारण ये है कि वो एक ऐसे मुस्लिम कट्टरपंथी को बचा रही है, जिसने एक महिला की गर्दन पर इनाम रखा है। वो एक ऐसे मुस्लिम कट्टरपंथी को बचा रही है, जो अजमेर के ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती दरगाह का खादिम है। वो एक ऐसे मुस्लिम कट्टरपंथी को बचा रही है, जिसके ऊपर पहले से 13 मामले दर्ज हैं और जो हिस्ट्रीशीटर है। अब भला क्यों न उस पर इस्लामी कट्टरवादियों का साथ देने का आरोप लगाया जाए?
राजस्थान पुलिस का एक नया वीडियो वायरल हुआ है। इसमें वो सलमान चिश्ती से कहते दिख रही है, “बेफिकर रह, सब बात हो गई है।” आखिर एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी से पुलिस के इस प्रेम का क्या कारण हो सकता है? यही कि राजस्थान में मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए कुख्यात कॉन्ग्रेस पार्टी की सरकार है? यही कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की पूरी सियासत ही हर एक घटना के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को जिम्मेदार ठहराने पर टिकी हुई है।
राजस्थान पुलिस का वायरल वीडियो: सलमान चिश्ती से कहा – बोल देना नशे में था
राजस्थान पुलिस का एक नया वीडियो वायरल हो रहा है, जिसके बाद उस पर इस्लामी कट्टरवादियों से मिले होने के आरोप लगाए जा रहे हैं। इसमें राजस्थान पुलिस सलमान चिश्ती को गिरफ्तार कर के ले जा रही है। साथ ही ‘आ जाओ’ की आवाजें आ रही हैं। वीडियो में कोई कहता है, “हम साथ में ही हैं, चिंता मत कर।” इसमें पुलिस वाले ‘चलो-चलो, बेफिकर रह’ भी कह रहे हैं। साथ ही पूछते हैं, “कौन सा नशा कर रखा था वीडियो बनाते समय?”
इसके बाद पुलिस वाले सलमान चिश्ती को सलाह देते हैं कि बोल देना, नशे में था। राजस्थान पुलिस ने अपने बयान में भी कहा था कि खादिम भड़काऊ बयान देने वक्त नशे में था। अजमेर पुलिस बार-बार जोर दे रही है कि वो नशे में था। भाजपा नेता तजिंदर पाल सिंह बग्गा ने इसे सीएम अशोक गहलोत का हिन्दू विरोधी चेहरा का सबूत करार दिया। उन्होंने वीडियो साझा करते हुए बताया कि खादिम सलमान चिश्ती कह रहा है कि वो नशा नहीं करता, लेकिन इसके बावजूद राजस्थान पुलिस उससे कहती है, “बोल देना नशे में था, ताकि बचाया जा सके।”
Congress will go to any length to appease their vote bank!!
— Priti Gandhi – प्रीति गांधी (@MrsGandhi) July 6, 2022
Salman Chisti who issued a bounty on Nupur Sharma head while being led away by Rajasthan Police was quietly being "tutored" by them to say that he was intoxicated – “Bol nashe me tha, bach jaye ga”.
So shameful! pic.twitter.com/Xzu4xfHEm8
एक महिला की गर्दन पर इनाम रखने वाले व्यक्ति के साथ राजस्थान पुलिस की इस मिलीभगत के बाद कॉन्ग्रेस के मुस्लिम तुष्टिकरण पर भी सवाल उठ रहे हैं। अजमेर में ख्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती के दरगाह के खादिमों का शासन चलता है या फिर कानून का? एक और खादिम सैयद सरवर चिश्ती खुलेआम भारत को हिला देने की धमकी दे रहा है और कह रहा है कि अजमेर के दुकानदार खाते दरगाह की हैं और नूपुर शर्मा के समर्थन में दुकानें बंद रखते हैं, उनके साथ क्या सलूक हो। इन भड़काऊ बयानों पर क्या कार्रवाई होगी, जब गर्दन काटने वाले बयान को भी हल्के में लिया जा रहा।
‘नशे की हालत’ में क्यों अटकी है राजस्थान पुलिस? खादिम अपराध करेगा तो सज़ा क्यों नहीं पाएगा?
धमकी वाला वीडियो वायरल होने और काफी दबाव के बाद आखिरकार अजमेर पुलिस ने मंगलवार (5 जुलाई ,2022) रात उसे उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) विकास सांगवान ने भड़काऊ बयान देने के आरोप में उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आपत्तिजनक वीडियो सामने आने के बाद उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया था। गिरफ्तारी के बाद उससे पूछताछ की जा रही है। उन्होंने भी कहा, “ऐसा लगता है कि वीडियो बनाते समय वह नशे की हालत में था।”
उल्लेखनीय है कि वीडियो वायरल होने के बाद सलमान चिश्ती के खिलाफ अजमेर के अलवर गेट थाने में मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद एएसपी विकास सांगवान ने कहा था कि उसकी तलाश की जा रही है। कश्मीर में उसका लोकेशन मिलने की बात कही जा रही है। एफआईआर के बाद भी एएसपी ने कहा था, “वीडियो में सलमान चिश्ती नशे की हालत में नजर आ रहा है।” ये हाल उस पुलिस का है, जहाँ गर्दन कट चुकी है जिहाद के नाम पर हाल ही में। उदयपुर की घटना से देश उबरा नहीं है।
जहाँ कुछ ही दिन पहले नूपुर शर्मा को बहाना बना कर ही किसी आम हिन्दू का सिर कलम कर दिया गया हो, वहाँ इसी तरह की धमकी को गंभीरता से न लिया जाना और इस पर कार्रवाई की बजाए धमकीबाज का बचाव करना उस पुलिस के बारे में क्या कहता है? पुलिस को पता है, कल को किसी और की भी गर्दन कट जाती है तो राज्य की कानून-व्यवस्था देखने वाले गृह मंत्रालय सँभालने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ये कह कर इतिश्री कर लेंगे कि प्रधानमंत्री और केंद्रीय गृह मंत्री देश को सम्बोधित करें। फिर पुलिस कहेगी ये मजहब का मामला नहीं, जबकि गर्दन काटने वाला मजहब की बातें करते हुए ऐसा करेगा।
मीम का फैक्ट चेक करने वाली पुलिस से और भला क्या उम्मीद करे जनता?
ध्यान दीजिए, ये वही राजस्थान पुलिस है जिसकी रुचि गर्दन काटने की धमकी देने वालों को बचाने में तो है ही, साथ-साथ मीम का फैक्ट चेक करने में भी है। आखिरकार बहुत समय जो है इनके पास। जिस राजस्थान के जैसलमेर में पिछले 5 दशक से एक मौलवी गाजी फकीर की सामानांतर सत्ता चल रही हो और जिसका बेटा अशोक गहलोत सरकार में मंत्री हो, उस राजस्थान में पुलिस इस्लामी कट्टपंथियों पर कार्रवाई कैसे करेगी? जिस राजस्थान की सीमा आतंकी मुल्क पाकिस्तान से लगती हो, उस संवेदनशील इलाके में पुलिस का इस तरह का व्यवहार ‘टुकड़े-टुकड़े’ गिरोह को उत्साहित ही करेगा।
राजस्थान पुलिस और मीम पर आते हैं अब। इससे अंदाज़ा लगता है कि ये पुलिस कितनी गंभीर है, कितनी सजग है और इसके पास कितना दिमाग है। कन्हैया लाल का गला काटने वाले मोहम्मद रियाज अख्तर और मोहम्मद गौस की गिरफ़्तारी के बाद एक पत्रकार ने दोनों हत्यारों की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि राजस्थान की जेल में इन्हें बिरयानी परोसी जाएगी, अगर उत्तर प्रदेश होता तो? राजस्थान पुलिस फटाक से इसका फैक्ट चेक करने उतर गई।
राजस्थान पुलिस ने लिखा कि ये तथ्य गलत हैं, आरोपित बख्शे नहीं जाएँगी। सबसे बड़ी बात तो ये कि इसे उसने ‘फेक न्यूज़ अलर्ट’ की श्रेणी में डाल दिया। साथ ही ‘Fake’ का ठप्पा भी लगा दिया। असल में ये एक कहावत की तरह लिखा गया था। 26/11 मुंबई हमलों में पकड़े गए आतंकी अजमल कसाब ने कई वर्षों तक जेल में बिरयानी खाई और उसे 4 साल बाद फाँसी हुई, इसीलिए धीमी न्यायिक व्यवस्था और जेल में अपराधियों-आतंकियों को मिले वाली सुविधाओं को निशाना बनाते हुए बिरयानी वाला तंज कसा जाने लगा।
किसी के विचार को, किसी के तंज को या फिर किसी के द्वारा भविष्य के लिए लगाई गई किसी अटकल को राजस्थान पुलिस ही फैक्ट-चेक कर सकती है। अब भविष्य में उस जेल में कभी बिरयानी बनती है जिसमें दोनों हत्यारों को रखा गया है, तो क्या राजस्थान पुलिस झूठी नहीं हो जाएगी? अगर मैं कहता हूँ कि राजस्थान पुलिस की कार्रवाई ऊँट के मुँह में जीरा के बराबर है, तो क्या वो मेरा फैक्ट-चेक कर के ये बोलेगी कि ये फेक न्यूज़ है, हमारी कार्रवाई ऊँट के मुँह में जीरा नहीं, कद्दू के बराबर है?
कन्हैया लाल के बार-बार आग्रह के बावजूद नहीं दी सुरक्षा: लापरवाह राजस्थान पुलिस, हिन्दू का हो गया सिर कलम
मीम का फैक्ट चेक करने वाली और एक महिला की गर्दन उड़ाने की धमकी देने वाले को बचाने वाली राजस्थान पुलिस ने अगर कन्हैया लाल की शिकायत और आग्रह पर जरा सा भी ध्यान दिया होता तो एक निर्दोष टेलर का सिर कलम नहीं हुआ होता। ये आरोप हमारे नहीं, कन्हैया लाल के परिजनों और इस घटना के चश्मदीद के हैं। कन्हैया लाल की शिकायत पर पुलिस ने जैसा रवैया दिखाया था उसके कारण चश्मदीद राजकुमार को प्रशासन की ओर से किए गए सुरक्षा के वादों पर भी नहीं भरोसा हो रहा है।
राजकुमार ने बताया था, “मास्टर जी (कन्हैया लाल) ने जब अपनी जान को खतरा बताया था तब पुलिस ने उन्हें 2 दिन की सुरक्षा दी थी। बाद में पुलिस ने CCTV लगवाने की सलाह देते हुए सुरक्षा हटा ली थी।” इसके बाद कन्हैया लाल ने 16 जून को दुकान में कैमरे भी लगवा लिए थे। हत्यारों ने दुकान में घुसने से पहले ही CCTV का कनेक्शन काट दिया था। अब उन्हें अपनी जान का ख़तरा सता रहा है, क्योंकि उनका कहना है कि राजस्थान पुलिस ने कुछ ऐसा ही भरोसा कन्हैया लाल को भी दिया था।
मीडिया रिपोर्ट्स से तो यहाँ तक पता चला था कि कन्हैया लाल की पत्नी का कहना था कि उनका पूरा परिवार खतरे में है, लेकिन घर के बाहर एक कॉन्स्टेबल तक की तैनाती नहीं है। कन्हैया लाल की पत्नी जसोदा देवी ने मुख्य सचिव उषा देवी से परिवार की सुरक्षा की गुहार लगाई थी। वहीं आरोपित रियाज के आसींद स्थित घर के बाहर राजस्थान पुलिस ने कड़ा पहरा लगा रखा था। रियाज के परिवार के अन्य सदस्यों के घर के बाहर भारी पुलिस बल की तैनाती थी।
याद रखिए, ये वही राजस्थान पुलिस है जिसने कन्हैया लाल को सुरक्षा देने की बजाए उलटा उन्हें गिरफ्तार कर लिया था और धमकियों के बाद ‘सुलह’ करवाने का दवा किया था। उनकी हत्या के बाद परिजन जिस श्मशान घाट में अंतिम संस्कार करने जा रहे थे, वहाँ ले जाने में भी राजस्थान पुलिस ने आनाकानी की। पड़ोसी कन्हैया लाल की फोटो बाँट रहे थे, उनकी रेकी हो रही थी और इतने गंभीर मामले में कार्रवाई की बजाए ये पुलिस ‘समझौता’ करा रही थी।
जब राजस्थान में हो रहे थे हिन्दू विरोधी दंगे, तब राजस्थान पुलिस ने पीड़ित हिन्दुओं को ही बनाया निशाना
राजस्थान में हाल ही में एक के बाद एक दंगे हुए, लेकिन पुलिस सोई रही और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कहते रहे कि यहाँ तो कुछ हुआ ही नहीं है। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने इस तरफ इशारा भी किया कि दंगों की आग में जलते राजस्थान में सीएम गहलोत ने वास्तविकता स्वीकार नहीं की। करौली में दंगे हुए, भीलवाड़ा में मुस्लिम भीड़ पर उत्पात मचाने के आरोप लगे और जोधपुर भी सांप्रदायिक दंगों की आग में जला, लेकिन एक SIT का गठन कर इतिश्री कर ली गई।
करौली में हिन्दू नववर्ष की शोभा यात्रा पर हमले के बाद जिस तरह से हिंसा हुई, उसके बाद राजस्थान पुलिस पर उलटा हिन्दुओं पर ही कार्रवाई के आरोप लगे। स्थानीय लोगों ने बताया था कि कैसे रामनवमी से 2 दिन पहले करौली के DM और SP ने सभी धर्मों के प्रतिनिधियों की एक सभा बुलाई और इस सभा में हिन्दुओं के लिए तमाम नियम और प्रतिबंध लगा दिए गए, शोभा यात्रा का रूट बदलवा दिया गया। एक हिन्दू ने बताया कि SP बार-बार कह रहे थे कि अगर रामनवमी जुलूस में 5 से अधिक लोग शामिल हुए तो जूते से मारूँगा।
ये भाषा है हिन्दुओं के लिए राजस्थान पुलिस की, जो मुस्लिम धमकीबाज को बचाने में दिन-रात एक कर रही है। भाजपा सांसद ने देखा कि मुस्लिमों की छतों पर पत्थर जमा के, लेकिन FIR चुन-चुन कर हिन्दुओं पर करने के आरोप लगे। हिन्दुओं का कहना है कि उन पर झूठे चार्ज लगाने के कारण कइयों की पढ़ाई-नौकरी बंद है तो कई घर से भाग कर रहने को मजबूर हैं। हिन्दू बच्चों के माता-पिता डरे हुए हैं और हिंदुत्व की बात करने वालों को निशाना बनाए जाने के आरोप लगे हैं।
जोधपुर में एक बार नहीं, कई बार दंगे हुए। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह जिले में जून के पहले हफ्ते में ईंट-पत्थर जम कर चले। इससे पहले 2 मई को (ईद के मौके पर) भी जोधपुर में अल्लाह-हू-अकबर के नारों के साथ हिंसा हुई थी। स्वतंत्रता सेनानी बिस्सा जी की प्रतिमा पर कट्टरपंथी मुस्लिम इस्लामी झंडे लगा रहे थे, जिसका विरोध करने पर मुस्लिम भीड़ ने तलवार, सरिया, लाठी और तेजाब की बोतलों के साथ हमला बोल दिया।
करौली, जोधपुर और भीलवाड़ा के बाद अब राजस्थान के हनुमानगढ़ में साम्प्रदायिक तनाव की घटना हुई। वहाँ मंदिर के पास खड़ी लड़कियों से छेड़छाड़ से मना करने पर उनके ऊपर हमला किया गया। इससे पहले राजस्थान के भीलवाड़ा में हिंदू युवक की हत्या को अंजाम दिया गया था। अगले दिन हनुमानगढ़ में VHP नेता पर हमला हुआ। इन घटनाओं के दौरान पुलिस क्या कर रही थी? कितने दंगाइयों को पकड़ा गया? या फिर कार्रवाई के बिना दंगाइयों और जिहादियों का मनोबल बढ़ता चला गया?
इस्लामी जिहादियों पर कार्रवाई के लिए समय कहाँ? पत्रकारों की प्रताड़ना में लगी है राजस्थान पुलिस
राजस्थान की पूरी की पूरी सरकारी मशीनरी किस तरह हाथ धो कर ‘न्यूज़ 18’ के पत्रकार अमन चोपड़ा के पीछे पड़ी थी, ये हमने देखा। अदालत से राहत मिलने के बावजूद उनके घर पहुँच कर उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास किया गया। मीडिया चैनल के दफ्तर में राजस्थान पुलिस ने धावा बोल दिया। अलवर में मंदिर गिराए जाने पर शो करने पर उनके साथ ये सब हुआ। नोएडा तक पहुँच गई उनके लिए राजस्थान पुलिस। 6 घंटे पूछताछ के नाम पर खाना-चाय तक उन्हें नहीं लेने दिया गया। काश, इतना समय और संसाधन इस पुलिस ने दंगाइयों को पकड़ने में लगाया होता तो एक के बाद एक दंगे और हत्याएँ नहीं होतीं!
वहीं अगर अपराधी एक मौलवी हो तो राजस्थान में क्या होता है? उदयपुर में कन्हैया लाल की हत्या से पहले जिस मौलाना नदीम ने राजस्थान में भड़काऊ बयानबाजी की थी, उसे गिरफ्तारी के बाद सिर्फ 24 घंटों में जमानत मिल गई। समझिए, अदालत में किस तरह से राजस्थान पुलिस ने इस केस को रखा होगा। राजस्थान पुलिस ने भड़काऊ बयान देने के 28 दिन बाद दबाव में उसे गिरफ्तार किया था। उसने कहा था, मेरे नबी की शान में एक लफ्ज भी बोला तो याद रखो कि जुबान काट ली जाएगी। हाथ उठाओगे तो हाथ काट लिए जाएँगे। ऊँगली उठाओगे तो ऊँगली काट ली जाएगी। अगर निगाहें भी उठीं तो निकाल कर बाहर फेंक देंगे।”