Tuesday, May 20, 2025
Homeदेश-समाजपत्थर चलाए, आग लगाई... नेताओं ने भी उगला जहर... राम मंदिर के लिए लक्ष्य...

पत्थर चलाए, आग लगाई… नेताओं ने भी उगला जहर… राम मंदिर के लिए लक्ष्य से 1000+ करोड़ रुपए ज्यादा मिला समर्पण

1100 करोड़ रुपए आने की उम्मीद थी... आ गए 2100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा। यह तभी संभव हो पाया जब दिव्यांग राजेश जैसों ने भी दिल खोल कर समर्पण दिया और कहा - "मेरी आंखें नहीं हैं। मैं मंदिर नहीं देख सकता, लेकिन एक ईंट की कीमत चुका सकता हूँ।"

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए देश भर के लोगों ने दिल खोल कर निधि समर्पण अभियान में हिस्सा लिया, अपना-अपना योगदान दिया। 44 दिन तक चलने वाले राम मंदिर निधि समर्पण अभियान से कुल 1100 करोड़ रुपए आने की उम्मीद की गई थी, आ गए 2100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा

राम मंदिर निधि समर्पण अभियान 15 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति के अवसर पर शुरू किया गया था। यह 27 फरवरी 2021 को संत रविदास जयंती के मौके पर समाप्त हुआ। इन 44 दिनों में इस अभियान को लेकर देशवासियों के मन में उत्साह अलग ही लेवल पर रहा। हर जगह लोगों ने दिल खोल कर समर्पण दिया।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविन्ददेव गिरी के अनुसार 27 फरवरी 2021 तक 2100 करोड़ रुपए से ज्यादा आ गए हैं। 27-28 फरवरी को शनिवार-रविवार होने और बैंकों के बंद होने के कारण यह राशि और भी ज्यादा होगी, जिसकी सही जानकारी सोमवार यानी 1 मार्च 2021 को आ पाएगी, जब सारे चेक क्लियर होकर उनकी राशि खाते में आ जाएगी।

कोषाध्यक्ष गोविन्ददेव गिरी ने बताया कि भारत में इस अभियान की सफलता को देख कर अब विदेशों में भी समर्पण निधि अभियान चलाने की तैयारी की जा रही है। इस बीच श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने ‘दान’ शब्द पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दाता (श्रीराम) को ‘दान देना’ ठीक नहीं, यह समर्पण भाव है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राम मंदिर किसी एक व्यक्ति का नहीं बल्कि राष्ट्र का मंदिर है और यह सबकी समर्पण निधि से मिल कर तैयार किया जा रहा है।

अगले जन्म में आंखें देना, ताकि देख सकूँ रामजी का भव्य मंदिर

राजेश दिव्यांग हैं। लेकिन राम मंदिर के लिए श्रद्धा औरों से कम नहीं। दूसरों से माँग कर अपना भरण-पोषण करने वाले राजेश राम मंदिर के नाम पर 100 रुपए देते हुए कहते हैं – “मेरी आंखें नहीं हैं। मैं मंदिर नहीं देख सकता, लेकिन एक ईंट की कीमत चुका सकता हूँ। मैं प्रभु श्रीराम से प्रार्थना करता हूँ कि मुझे अगले जन्म में आंखें देना, ताकि मैं रामजी का भव्य मंदिर देख सकूँ।”

राम मंदिर को लेकर जहाँ एक ओर लगभग सभी देशवासियों में उत्साह रहा, वहीं कुछ ऐसे भी थे, जिन्होंने इसके खिलाफ षड्यंत्र रचे, हिंसा की, लोगों को भड़काने का काम किया।

सबसे पहले रॉबर्ट्र वाड्रा का जिक्र। राम मंदिर को लेकर ये जनाब क्या कह गुजरे, देखिए:

अब चलते हैं दक्षिण भारत। यहाँ भी मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले नेताओं की कमी नहीं। कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अयोध्या श्री राम मंदिर समर्पण निधि अभियान पर सवाल उठाए। कुमारस्वामी ने आरोप लगाते हुए कहा था कि राम मंदिर निधि समर्पण अभियान के कार्यकर्ता कर्नाटक में राम मंदिर के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रहे हैं, लेकिन जो पैसा नहीं दे रहा है उसका नाम लिख रहे हैं।

कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता सिद्धारमैया ने मंदिर निर्माण के लिए दान को लेकर कहा, “अगर वे चंदा माँगने आएँगे तो मैं बोल दूँगा कि अयोध्या में विवादित राम मंदिर के लिए चंदा नहीं दूँगा। मैं कहीं दूसरी जगह बन रहे राम मंदिर के लिए दान दे दूँगा। भले ही मामला सेटल हो गया है लेकिन विवाद हमेशा बरकरार रहेगा।”

अब बात हिंसा की। ऐसे लोगों की, जो राम के नाम से या हनुमान चालीसा सुन कर आवेशित हो जाते हैं, पत्थर बरसाते हैं, आग लगाते हैं:

उज्जैन के बेगमबाग में हिंदू संगठनों की रैली पर जम कर पत्थरबाजी की गई थी। हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए रैली निकाल रहे थे। इस रैली को टॉवर क्षेत्र से महाकाल क्षेत्र स्थित भारत माता मंदिर तक जाना था। तभी रास्ते में ही बेगमबाग क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के कुछ असामाजिक तत्वों ने रैली पर पथराव शुरू कर दिया।

गुजरात के गाँधीधाम के किदाना गाँव में हिन्दू कार्यकर्ता अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने निकले थे। तभी भगवान श्रीराम के रथ के पास एक समुदाय के कुछ लोग जमा हो गए और उन्होंने वहाँ आगजनी शुरू कर दी। इस दौरान हिंसक भीड़ ने एक ऑटो और 2 बाइकों को भी आग के हवाले कर दिया।

मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के चाँदन खेड़ी गाँव में हिंदूवादी संगठन के लोगों पर पथराव की घटना हुई। इस घटना में करीब 12 लोग घायल हुए। संगठन द्वारा अयोध्या के राम मंदिर के लिए धन संग्रह करने रैली निकाली जा रही थी। इसी दौरान कुछ कार्यकर्ता हनुमान चालीसा का पाठ करने लगे। तभी पास की मस्जिद से कुछ ही देर में पत्थर बरसने लगे

बेंगलुरु जिले के गुराप्पनापलया (Gurappanapalya) इलाके में हिन्दू संगठन और भाजपा के कार्यकर्ता चंदा इकट्ठा करने के लिए एक गाड़ी से निकले थे। गाड़ी पर श्रीराम का पोस्टर और संगठन के झंडे लगे हुए थे। जब गाड़ी पेट्रोल लेने के लिए रुकी तो कुछ लोगों ने हमला कर दिया। विरोध किए जाने पर उन लोगों ने गाड़ी पर पत्थरबाजी शुरू कर दी।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इस्लामी हिंसा ने शरणार्थी बनाया, मिशनरी ताक़तों ने मार डाला… जब त्रिपुरा के बागबेर में हुआ हिन्दुओं का नरसंहार, चर्चों के पैसे से पलता...

NLFT एक ईसाई उग्रवादी संगठन था। इसका समर्थन कई चर्चों और विदेशी मिशनरी नेटवर्क से होता था। वे त्रिपुरा को एक स्वतंत्र ईसाई मुल्क बनाना चाहते थे।

अगर ज्योति मल्होत्रा मुसलमान होती… आज शोर मचाने वाले ‘इकोसिस्टम’ ही डाल रहा होता पर्दा, खेल रहा होता विक्टिम कार्ड

वामपंथी और इस्लामी कट्टरपंथी ज्योति के नाम की आड़ में प्रोपेगेंडा चला रहे हैं, दावा कर रहे हैं कि अगर ज्योति मुस्लिम होती तो नरेटिव अलग होता।
- विज्ञापन -