राम मंदिर मामले पर ऐतिहासिक फ़ैसले के बाद, अब चीफ़ जस्टिस ऑफ़ इंडिया (CJI) को चार अन्य प्रमुख मामलों में फ़ैसला सुनाना है। वैसे अब तक अयोध्या भूमि विवाद मामले को ही सबसे बड़ा माना जा रहा था, लेकिन इस पर फ़ैसला सुना दिए जाने के बाद अब बाक़ी चार मामलों में फ़ैसले का इंतज़ार किया जा रहा है। दरअसल, इनकी सुनवाई CJI रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने की थी और फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था। अगले सप्ताह इन मामलों में फ़ैसला आना है।
बता दें कि अयोध्या विवाद की सुनवाई करने वाली सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच की अगुवाई चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने की थी। CJI के अलावा इस बेंच में जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर शामिल थे।
ये मामले कौन से हैं, इन्हें विस्तार से समझते हैं…
1. सबरीमाला में महिलाओं का प्रवेश-
कोर्ट ने पिछले साल 28 सितंबर को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10 से 50 वर्ष की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को लिंग आधारित भेदभाव ठहराते हुए रद्द किया था। हालाँकि, ये फैसला 4-1 के बहुमत से था। जिसमें जस्टिस इंदू मल्होत्रा ने बहुमत से असहमति जताई थी। लेकिन फैसला आने के बाद अयप्पा अनुयायी इस फैसले का भारी विरोध करने लगे। नतीजतन इसके ख़िलाफ़ 55 पुनर्विचार याचिकाओं सहित कुल 65 याचिकाएँ कोर्ट में दर्ज हुईं। जिस पर सुनवाई करते हुए बीती 6 फरवरी को CJI गोगोई, जस्टिस आरएफ नरीमन, जस्टिस एएम खानविल्कर, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने 45 से अधिक समीक्षा याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया था।
2. राहुल गाँधी द्वारा अवमानना किए जाने पर माफी माँगने का मामला
कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी के ‘चौकीदार चोर है’ बयान पर उनके खिलाफ लंबित अवमानना मामले में उन्हें माफी दिए जाने पर भी फैसला आना बाकी है। जिसमें भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी ने उन्हें माफी न देने की अपील कोर्ट से की है और कहा है कि इसके लिए केवल माफी काफी नहीं है बल्कि उन्हें सजा दी जानी चाहिए।
3. राफेल सौदे पर पुनर्विचार
दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राफेल फाइटर जेट सौदे में आपराधिक जाँच से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ याचिकाएँ दायर हुई थीं। CJI गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इस साल मई में इन पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। अब सीजेआई को रिटायरमेंट से पहले इस पर फैसला सुनाना है।
4. आरटीआई के दायरे में सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई का ऑफिस ‘लोक प्राधिकार’ है या नहीं
एक दशक से सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित पड़े इस मामले पर भी फैसला आने की पूरी संभावना है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री ने 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की थी और CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अप्रैल 2019 के मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें इस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति रवींद्र भट ने फैसला सुनाया था कि CJI का कार्यालय RTI जाँच के लिए खुला है।
ग़ौरतलब है कि CJI रंजन गोगोई की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने अयोध्या की जिस जमीन को लेकर विवाद था वहॉं मंदिर निर्माण का आदेश दिया है। साथ ही मस्जिद निर्माण के लिए सरकार को सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ ज़मीन देने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से 3 महीने के भीतर इसके लिए एक योजना तैयार करने को कहा है।