दिल्ली में हिन्दू-विरोधी दंगों के मामले में गिरफ़्तार की गई सफूरा ज़रगर जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में कॉन्ग्रेस के छात्र संगठन ‘नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) की जनरल सेक्रेटरी थीं। वो NSUI के जामिया यूनिट की महासचिव थीं। अप्रैल 2018 में सफूरा द्वारा ट्वीट किए गए एक फोटो में वो NSUI का बैनर लेकर खड़ी दिख रही हैं। उसमें उन्होंने NSUI के नेशनल सेक्रेटरी गुलजेब अहमद को भी टैग कर रखा है।
वहीं जनवरी 2017 को ट्वीट किए गए एक अन्य फोटो में भी सफूरा ज़रगर ने NSUI को टैग कर रखा है। मूल रूप से जम्मू कश्मीर से सम्बन्ध रखने वाली सफूरा ज़रगर मई 2018 तक कॉन्ग्रेस के NSUI के जामिया यूनिट की जनरल सेक्रेटरी थी। उसी महीने टीम को भंग कर दिया गया था लेकिन तब तक वो पद पर बनी रही थीं। सफूरा ज़रगर NSUI के विभिन्न कार्यक्रमों को अटेंड करती थीं और इसके नेताओं से मिलती थीं।
बता दें कि सफूरा ज़रगर को दिल्ली में हुए हिन्दू-विरोधी दंगों में संलिप्तता के लिए पुलिस द्वारा गिरफ़्तार किया जा चुका है। अदालत में उसकी जमानत याचिका ख़ारिज होने के बाद वामपंथी गैंग ने उसके गर्भवती होने की बात उठाते हुए हंगामा मचाया। हालाँकि, तिहाड़ जेल में 2013-18 के बीच 24 बच्चों का जन्म हुआ है, जिसके लालन-पालन की उचित व्यवस्था की गई। साथ ही झूले, खिलौने और शिक्षा तक की व्यवस्था की जाती है। उन बच्चों को उचित मेडिकल केयर दिया जाता है।
सफूरा ज़रगर ने दिल्ली दंगों के दौरान जाफराबाद मेट्रो के पास मेन रोड को जाम करने में अहम भूमिका निभाई थी। पुलिस का कहना है कि उसने महिलाओं और बच्चों को भड़का कर हिंसा करवाया था। हाल ही में इस मामले में दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट दायर कर आम आदमी पार्टी के (अब निलंबित) पार्षद ताहिर हुसैन को आरोपित बनाया है। सफूरा ज़रगर “दिल्ली तेरे खून से, इंकलाब आएगा” नारा लगाती भी देखी गई थी। उस समय वहाँ अरुंधति रॉय भी मौजूद थी।
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— Safoora Zargar (@SafooraZargar) April 9, 2018
सफूरा ज़रगर जामिया कॉर्डिनेशन कमिटी की कोऑर्डिनेटर भी थीं। सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शन और हिंसा में उसका अहम रोल था। जामिया मिलिया इस्लामिया में हो रहे सीएए प्रदर्शनों में कॉन्ग्रेस के कई बड़े नेता शामिल हुए थे। वहाँ गेस्ट स्पीकर्स की व्यवस्था करने में सफूरा ज़रगर का अहम किरदार था। शशि थरूर से लेकर सलमान खुर्शीद तक जैसे कॉन्ग्रेस नेताओं ने जामिया में हो रहे प्रदर्शनों में शिरकत की थी।
शशि थरूर ने जनवरी 2020 में जामिया में प्रदर्शन को सम्बोधित करते हुए कहा था कि असहमति का अधिकार हमारे देश में सबसे ज्यादा क़ीमती है।उन्होंने जामिया और जेएनयू में हिंसक दंगाइयों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा था कि यहाँ छात्रों के साथ बेशर्मी से दुर्व्यवहार किया गया है। साथ ही उन्होंने पुलिस द्वारा लाइब्रेरी में घुस कर छात्रों की पिटाई करने का आरोप लगाया था। उन्होंने सीएए को एनआरसी से भी जोड़ कर देखा था। उनके साथ दिल्ली कॉन्ग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा भी जामिया गए थे।
Happy bday @amritadhawan10 di! More power to you!@NSUIJMI @LaraibNeyazi @MohdSalimUmar3 @nsui pic.twitter.com/YRDVtNULrO
— Safoora Zargar (@SafooraZargar) January 9, 2017
वहीं वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने तो एक छोटे से बच्चे से आज़ादी का नारा लगवाया था। फ़रवरी 2020 में जामिया मिलिया इस्लामिया पहुँचे सलमान खुर्शीद के सामने अपनी माँ की गोद से ही बच्चे ने नारा लगाया था ‘हम छीन के लेंगे’, जिस पर खुर्शीद व अन्य ने चिल्ला कर जवाब दिया था- ‘आज़ादी’। विवाद होने के बाद उन्होंने पूछा था कि क्या आज़ादी हमारे देश में एक बुरा शब्द हो गया है। क्या लोगों के पास फ्री स्पीच का अधिकार नहीं?
इससे पहले अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सफूरा ज़रगर की जमानत याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि ऑन रिकॉर्ड बातों को ध्यान में रखते हुए, ये नहीं कहा जा सकता कि अभियुक्त के ख़िलाफ़ कोई प्रथम दृष्टया मामला नहीं है। इससे पहले भी दो बार सफूरा जरगर की याचिका को खारिज की जा चुकी है। इससे पूर्व पटियाला कोर्ट ने जरगर की बेल याचिका को खारिज करते हुए उसकी न्यायिक हिरासत की अवधि 25 जून तक बढ़ा दी थी।
उससे पहले 23 अप्रैल को मेट्रोपोलिटियन मजिस्ट्रेट वसुंधरा छौंकर ने सफूरा को आरोपों को मद्देनजर राहत देने से मना कर दिया था। सफूरा जरगर के खिलाफ यूएपीए के तहत मामला चल रहा है। उसपर आरोप है कि उसने जाफराबाद-सीलमपुर में 50 दिनों के हंगामा की साजिश रची थी और वहाँ महिलाओं-बच्चों को बिठाने के लिए पूरा जोर लगाया था। कॉन्ग्रेस के फिरोज खान ने सफूरा को रिहा करने की माँग की थी।