उत्तर प्रदेश के संभल में हर साल आयोजित होने वाले सालार मसूद गाजी मेले की अनुमति देने से प्रशासन ने इनकार कर दिया है। संभल के ASP श्रीश चन्द्र दीक्षित ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी लुटेरे आक्रान्ता की याद में कोई मेला आयोजित नहीं किया जाएगा। उन्होंने या भी स्पष्ट कर दिया है कि अगर कोई ऐसा करने का प्रयास करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी।
संभल में हर साल नेजा मेला आयोजित किया जाता था। यह मेला आक्रान्ता महमूद गजनवी के भांजे सालार मसूद गाजी की याद में मनाया जाता था। इस बार भी मुस्लिम इसे इसी प्रकार आयोजित करना चाहते थे। हालाँकि, प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया।
प्रशासन ने मुस्लिमों से कहा है कि इस मेले को ‘सदभावना मेला’ नाम से आयोजित किया जाए। प्रशासन ने यह भी कहा है कि इस बात पर सहमति पिछले वर्ष पर बन गई थी। संभल की SDM वंदना मिश्रा ने भी स्पष्ट कर दिया था कि सालार मसूद नाम से कोई भी अनुमति नहीं दी जाएगी।
सम्भल: क्रूर आक्रांता सैयद सालार मसूद गाजी के नाम पर हर वर्ष लगने वाले नेजा मेला की पुलिस ने नहीं दी इजाजत.
— Shivam Pratap Singh (@journalistspsc) March 17, 2025
ASP बोले: कोई कुरीति सालों से चली आ रही है तो उसे बदलने की जरूरत है. गजनवी के भांजे मसूद गाज़ी ने भारत में क्रूरता की थी, ऐसे लुटेरे-हत्यारे की याद में नहीं होगा कोई मेला. pic.twitter.com/Q0ccGY5gQZ
इसके बाद मुस्लिमों का प्रतिनिधिमंडल संभल के ASP श्रीश चन्द्र दीक्षित से मुलाक़ात की। उन्होंने सालार महमूद की सच्चाई बयान करते हुए अनुमति से मना किया और कहा कि यदि ऐसा हुआ तो पुलिस कार्रवाई करेगी। उनका मुस्लिमों के साथ बातचीत का एक वीडियो भी वायरल हो रहा है।
इसमें ASP दीक्षित कहते हैं, “इतिहास गवाह है कि वह महमूद गजनवी का सेनापति था, उसने सोमनाथ को लूटा था, पूरा देश यह जानता था। किसी लुटेरे की याद में यहाँ कोई मेले का आयोजन नहीं होगा। अगर किसी ने यह करने का प्रयास किया तो कठोर कार्रवाई होगी निश्चिंत रहिएगा।”
ASP आगे कहते हैं, “किसी भी लुटेरे के प्रति आप कहेंगे, कि यह बहुत अच्छा है तो यह बिलकुल नहीं माना जाएगा। अगर आप लोग अभी तक कर रहे थे तो यह कुरीति थी और आप अज्ञानता में यह कर रहे थे। अगर जानबूझ कर रहे थे तो आप देशद्रोही थे।”
मुस्लिम इस बीच दावा करते रहे कि यह मेला लगातार चलता आया है। इसके बाद ASP ने स्पष्ट कर दिया कि सारे ऐतिहासिक तथ्य सालार मसूद की क्रूरता साबित करते हैं। उन्होंने मुस्लिमों से पूछा कि सोमनाथ को लूटा था या नहीं और गजनवी का सेनापति था या नहीं।
ASP ने कहा, “उसने सोमनाथ को लूटा था और इस देश के प्रति अपराध किया था। इस देश के प्रति अपराध करने वाले को कहीं बख्शा नहीं जाएगा… लुटेरे की याद में कोई नेजा (झंडा-निशान) नहीं गड़ेगा। अगर ये झंडा गड़ गया तो आप देशद्रोही हैं।”
गाजी सैयद सालार मसूद का इतिहास: इस्लामी आक्रांता, जिसे दिखाया गया संत
गाजी सैयद सालार मसूद का भी भारत में आना एक तरह की साजिश का हिस्सा था। इस्लामी आक्रांताओं का गुणगान करने वाले वामपंथियों की मानें तो हिन्दू उसे प्यार से ‘बाले मियाँ’ और ‘हठीला’ कहते थे, बाल श्रीकृष्ण से उसकी तुलना करते थे।
उसने ज़ुहरा बीबी नाम की एक लड़की से शादी की थी। दावा किया जाता है कि उसने उस लड़की का अंधापन ठीक कर दिया था। हालाँकि, आपको भारत में आए सूफियों और फकीरों के बारे में कई ऐसी कहानियाँ मिलेंगी, जहाँ उन्होंने किसी लड़की या उसके परिवार पर इस तरह का ‘चमत्कार’ कर के उससे शादी की हो। इतिहासकार एना सुवोरोवा ने तो गाजी मियाँ की तुलना श्रीकृष्ण और श्रीराम तक से कर दी है और कहा है कि हिन्दू उसे इसी रूप में देखते थे।
बहराइच ही नहीं, बल्कि कई स्थानों पर उसके मजार बनवाए गए और साथ ही उसके मकबरे को सारे धर्मों के मेल वाला स्थल घोषित करने की माँग होती रही है। सालार मसूद बचपन से ही एक योद्धा के रूप में प्रशिक्षण ले रहा था और इस्लाम के प्रति कट्टरता का भाव उसके मन में भरता ही जा रहा था। मीरत-ए-मसूदी में उसका इतिहास मिलता है। इसमें बताया गया है कि महमूद गजनवी को सोमनाथ का मंदिर ध्वस्त करने की सलाह गाजी ने ही दी थी।
अपनी युद्धकला और इस्लाम के प्रचार-प्रसार की ललक के कारण महमूद गजनवी बचपन से ही उसकी बात मानता था। इसीलिए, जब उसने भारत पर आक्रमण की अनुमति माँगी और यहाँ इस्लाम को फैलाने की बात की तो उसे इजाजत दे दी गई। मात्र 16 वर्ष की उम्र में उसने सिंधु नदी को पार कर के मुल्तान पर अपना कब्ज़ा जमा लिया और 18 महीने बाद वो दिल्ली आ धमका। मामा गजनी की फ़ौज की सहायता से वो 6 महीने तक दिल्ली में रहा। उसने 1034 में एक युद्ध में बहराइच के महाराजा सुहेलदेव ने मार गिराया था।