सरकारी विभाग में संविदा पर दी जाने वाली नौकरियों में अब अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दी जाएगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 45 दिन या उससे अधिक समय तक की संविदा पर होने वाली सरकारी नियुक्तियों में यह व्यवस्था की जाएगी।
केंद्र सरकार ने आगे कहा है कि अस्थायी पदों पर इस आरक्षण व्यवस्था को सख्ती से लागू करने के निर्देश जारी किए गए हैं। केंद्र ने बताया कि बताया कि इस संबंध में ज्ञापन संख्या 41034/4/2022-स्था. (आरईएस-I) दिनांक 21.11.2022 कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है।
मंत्रालय ने कहा, “…सभी मंत्रालयों/विभागों से यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जाता है कि 45 दिनों या उससे अधिक समय तक चलने वाली सभी अस्थायी नियुक्तियों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण दिया जाएगा। इन निर्देशों को सभी संबंधितों को सख्त अनुपालन के लिए सूचित किया जाता है।”
ऑफिस मेमोरेंडम में आगे अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण पर संसदीय समिति की एक रिपोर्ट का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया कि सभी विभागों द्वारा अस्थायी नौकरियों में आरक्षण के निर्देशों का अक्षरश: पालन नहीं किया जा रहा है। इसके अलावा, 1968 और 2018 में इस संबंध में जारी कार्यालय ज्ञापन जारी किया गया था।
दरअसल, सरकार की अस्थायी नौकरियों में अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण की माँग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक रिट याचिका दाखिल की गई थी। इस याचिका की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने अदालत को इसकी जानकारी दी।
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस एसवीएन भट्टी वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने याचिका का निपटारा करते हुआ कहा कि यदि इस कार्यालय ज्ञापन का उल्लंघन होता है तो याचिकाकर्ता या पीड़ित पक्ष कानून के अनुसार उचित उपाय का सहारा लेने के लिए स्वतंत्र होंगे।
केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह बात ऐसे समय में कही है, जब बिहार में नीतीश कुमार और लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव की गठबंधन सरकार ने हाल ही में जाति आधारी आँकड़े जारी किए हैं। हालाँकि, इन आँकड़ों पर लोगों द्वारा सवाल उठाए जा रहे हैं।