Saturday, July 27, 2024
Homeदेश-समाजकश्मीरी पंडितों और कश्मीर के हिन्दुओं के पुनर्वास के लिए J&K में अलग केंद्र...

कश्मीरी पंडितों और कश्मीर के हिन्दुओं के पुनर्वास के लिए J&K में अलग केंद्र शासित प्रदेश बने: पनुन कश्मीर

"पुराने क्षेत्रों में लौटने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि कश्मीर में हिंदू निवास स्थानों को नष्ट कर दिया गया है। कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी हिंदुओं के लिए अलग केंद्र शासित एक भूराजनीतिक अनिवार्यता बन गया है।"

विस्थापित कश्मीरी पंडितों का एक संगठन है ‘पनुन कश्मीर’। इस संगठन की माँग है कि कश्मीर के हिन्दुओं के लिए कश्मीर घाटी में अलग केंद्र शासित प्रदेश का निर्माण किया जाए। ‘पनुन कश्मीर’ ने रविवार (नवंबर 1, 2020) को अपनी वापसी और पुनर्वास के लिए घाटी में एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने की माँग दोहराई

‘पनुन कश्मीर’, कश्मीर का वह हिस्सा है, जहाँ घनीभूत रूप से कश्मीरी पंडित रहते थे। लेकिन 1989 से 1995 के बीच कत्लेआम का एक ऐसा दौर चला कि पंडितों को कश्मीर से पलायन होने पर मजबूर होना पड़ा।

इस नरसंहार में 6000 कश्मीरी पंडितों को मारा गया। 750000 पंडितों को पलायन के लिए मजबूर किया गया। 1500 मंदिर नष्ट कर दिए गए। 600 कश्मीरी पंडितों के गाँवों को इस्लामी नाम दिया गया। इस नरसंहार को भारत की तथाकथित धर्मनिरपेक्ष सरकार मूकदर्शक बनकर देखती रही। आज भी नरसंहार करने और करवाने वाले खुलेआम घूम रहे हैं।

समूह ने एक बयान में कहा कि ‘पनुन कश्मीर’ का अलग केंद्र शासित प्रदेश ‘भारतीय राष्ट्रीय हितों’ की रक्षा के लिए एक भूराजनीतिक अनिवार्यता बन गया है। इसमें कहा गया है कि समुदाय के उनके पुराने क्षेत्रों में लौटने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि ‘कश्मीर में हिंदू निवास स्थान को नष्ट कर दिया गया।’

पिछले साल फरवरी में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए घातक पुलवामा हमले में पाकिस्तान की मिलीभगत का जिक्र करते हुए, ‘पनुन कश्मीर’ ने कहा कि केंद्र के लिए इस आतंकी प्रवेश का जवाब देना अनिवार्य है। उन्होंने कहा, “हम माँग करते हैं कि भारत सरकार पाकिस्तान को एक आतंकवादी राज्य घोषित करे और इसे मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए ज़िम्मेदार ठहराए।”

पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादियों द्वारा छेड़े गए छद्म युद्ध के द्वारा आज कश्मीरी पंडित अपनी पवित्र भूमि से बेदखल हो गए हैं और अब अपने ही देश में शरणार्थियों का जीवन जी रहे हैं। पिछले 26 वर्षों से जारी आतंकवाद ने घाटी के मूल निवासी कहे जाने वाले लाखों कश्मीरी पंडितों को निर्वासित जीवन व्यतीत करने पर मजबूर कर दिया है।

विस्थापित कश्मीरी पंडित कहते हैं कि कश्मीर एक सुलझा हुआ मुद्दा है और पाकिस्तान के साथ चर्चा उन क्षेत्रों को खाली करने को लेकर होनी चाहिए, जिस पर उसने ‘अवैध’ तरीके से कब्जा कर रखा है और उन लोगों को पकड़ कर जेल में डालना चाहिए, जो अलगाववाद और आतंकवाद का समर्थन करते हैं। 

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘तुम कोटा के हो ब#$द… कोटा में रहना है या नहीं तुम्हें?’: राजस्थान विधानसभा में कॉन्ग्रेस विधायक ने सभापति और अधिकारियों को दी गाली,...

राजस्थान कॉन्ग्रेस के नेता शांति धारीवाल ने विधानसभा में गालियों की बौछार कर दी। इतना ही नहीं, उन्होंने सदन में सभापति को भी धमकी दे दी।

अग्निवीरों को पुलिस एवं अन्य सेवाओं की भर्ती में देंगे आरक्षण: CM योगी ने की घोषणा, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ सरकारों ने भी रिजर्वेशन...

उत्तर प्रदेश के सीएम योगी और एमपी एवं छत्तीसगढ़ की सरकार ने अग्निवीरों को राज्य पुलिस भर्ती में आरक्षण देने की घोषणा की है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -