दिल्ली के शाहीन बाग़ में आम आदमी पार्टी की जीत के बाद जश्न मनाया गया। हालाँकि, ये जश्न केजरीवाल की जीत को लेकर कम और भाजपा की हार को लेकर ज्यादा था। भाजपा को चिढ़ाते हुए बैनर-पोस्टर लहराए गए। एक ऐसा पोस्टर भी लहराया गया, जिसमें भाजपा को धमकी दी गई है। धमकी भरे अंदाज में उस पोस्टर को शाहीन बाग़ के प्रदर्शनकारियों ने लहराया। ये तो शरजील के बयानों के बाद से ही स्पष्ट है कि मुद्दा सीएए और एनआरसी नहीं है, मुद्दा हिंदुत्व भाजपा का विरोध है। इसके लिए उन्हें बहाना चाहिए, जो सीएए के रूप में उन्हें मिल गया।
इस पोस्टर में लिखा हुआ है- “अरे ओ सुन ले, तू हमें करंट क्या लगाएगा? अब तू दिल्ली से ही नहीं, हिंदुस्तान से भी जाएगा।” शाहीन बाग़ वालों से जब मीडिया ने सवाल पूछा तो वो गुजरात दंगे की बातें करने लगे। भाजपा के प्रति अपने नफरत का इजहार करने लगे। इससे फिर ये साबित हुआ कि इनका आंदोलन किस मकसद से चल रहा है। इसका असली एजेंडा क्या है। हालाँकि, मीडिया ने इसे छिपाने की भरसक कोशिश की। फिर भी, एक सजग वर्ग ने इसे जनता के सामने रखा। दरअसल, इस पोस्टर के जरिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर निशाना साधा गया।
शाह ने 26 जनवरी को बाबरपुर विधानसभा क्षेत्र में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ईवीएम का बटन इतने गुस्से के साथ दबाना कि बटन यहाँ दबे, करंट शाहीन बाग के अंदर लगे। उससे तीन दिन पहले जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में भी उन्होंने कुछ ऐसा ही बयान दिया था। शाह ने कहा था, “बटन इतनी ताकत से दबाना कि इसके करंट से 8 फरवरी को शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी वो जगह छोड़ने पर मजबूर हो जाएँ।’आम आदमी पार्टी की जीत के बाद अमानतुल्लाह ख़ान समेत कई नेताओं ने शाह के इस बयान पर तंज कसा।
#Shaheenabagh में आप के जीत के बाद एक विवादित पोस्टर लहराया गया! जब यही सवाल #ShaheenBaghProtests वालों से पूछा गया तो वो गुजरात दंगों का ज़िक्र करते हुए बीजेपी के प्रति अपनी नफ़रत का इजहार करने लगे! मुद्दा CAA और NRC नहीं है कुछ और है! #DelhiResults #AAPSweep pic.twitter.com/2hBeinxA2z
— Deepak Chaurasia (@DChaurasia2312) February 12, 2020
जब मुस्लिमों के रहनुमाओं से इस बारे में पूछा गया तो वो बात बनाते नज़र आए। ‘न्यूज़ नेशन’ के शो में पत्रकार दीपक चौरसिया ने मुस्लिम प्रतिनिधियों से पूछा तो एक ने कहा कि शाहीन बाग़ में रोज लाखों लोग आते हैं, कैसे पता चलेगा कि पोस्टर प्रदर्शनकारियों ने ही लहराए हैं? वहीं दूसरे ने कहा कि वो इसकी निंदा करते हैं लेकिन साथ ही इस प्रदर्शन को पिछले 100 साल का सबसे बड़ा आंदोलन भी करार दिया। शाहीन बाग़ के मास्टरमाइंड शरजील इमाम ने AMU में इससे पहले नार्थ-ईस्ट को शेष भारत से अलग करने की बातें की थी।