देशद्रोह के आरोप में जेल में बंद शरजील इमाम को इलाहबाद हाईकोर्ट ने एक मामले में जमानत दे दी है। यह जमानत अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में CAA कानून के खिलाफ भड़काऊ भाषण देने के मामले में मिली है। जमानत शनिवार (27 नवम्बर 2021) को मंजूर की गई है। यह आदेश जस्टिस सुमित्र दयाल सिंह की बेंच ने दिया है।
शरजील इमाम ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) में यह भाषण 16 दिसंबर 2019 को दिया था। तब अलीगढ़ पुलिस ने उसके खिलाफ देशद्रोह के तहत केस दर्ज किया था। शरजील इमाम फ़िलहाल तिहाड़ जेल में बंद है। इस से पहले दिल्ली की साकेत कोर्ट ने सीएए-एनआरसी के विरोध में शरजील इमाम द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण मामले में उसकी जमानत याचिका ख़ारिज कर दी थी।
Allahabad High Court grants bail to Sharjeel Imam in sedition case filed in Aligarh#SharjeelImam #allahabadhighcourt #Sedition
— Bar & Bench (@barandbench) November 27, 2021
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बेल के बाद भी जेल में ही रहेगा शरजील
शरजील इमाम फ़िलहाल अभी जेल में ही रहेगा। उस पर अभी दिल्ली दंगों की साजिश रचने और जामिया में हुई हिंसा से जुड़े मामले भी विचाराधीन हैं। पिछले माह दिल्ली की एक अदालत में शरजील इमाम ने अपने खिलाफ दर्ज मुकदमों को किसी बादशाह का फरमान बताया था। इसी के साथ उसने बताया था कि वो कोई आतंकी नहीं है।
शरजील इमाम का नाम शाहीन बाग़ प्रदर्शन के मुख्य आयोजकों में भी लिया जाता है। वह JNU का पूर्व छात्र है। 2013 में उसने जेएनयू में आधुनिक इतिहास से पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। इसी के साथ उसने एमटेक की पढ़ाई आईआईटी बॉम्बे से पूरी की। वह मूल रूप से वह बिहार के जहानाबाद स्थित गाँव काको का निवासी है। शरजील इमाम पर मणिपुर, असम और अरुणाचल प्रदेश में भी केस दर्ज हैं।
गौरतलब है कि शरजील इमाम को 28 जनवरी को बिहार के जहानाबाद के काको से गिरफ्तार किया गया था। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में भड़काऊ भाषण देते हुए उसने कहा था:
“अब वक्त आ गया है कि हम गैर-मुस्लिमों से बोलें कि अगर हमारे हमदर्द हो तो हमारी शर्तों पर आकर खड़े हो। अगर वो हमारी शर्तों पर खड़े नहीं होते तो वो हमारे हमदर्द नहीं हैं। अगर 5 लाख लोग हमारे पास ऑर्गेनाइज्ड हों तो हम नॉर्थ-ईस्ट और हिंदुस्तान को परमानेंटली काट कर अलग कर सकते हैं। परमानेंटली नहीं तो कम से कम एक-आध महीने के लिए असम को हिंदुस्तान से काट ही सकते हैं। मतलब इतना मवाद डालो पटरियों पर, रोड पर कि उनको हटाने में एक महीना लगे। जाना हो तो जाएँ एयरफोर्स से।”