Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाजRTI से ऊपर नहीं CJI, पब्लिक अथॉरिटी बनना है तो पारदर्शिता ज़रूरी: रंजन गोगोई...

RTI से ऊपर नहीं CJI, पब्लिक अथॉरिटी बनना है तो पारदर्शिता ज़रूरी: रंजन गोगोई की पीठ का फैसला

पीठ में शामिल जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सम्पत्ति की जानकारी जजों की 'निजी' जानकारी नहीं हो सकती। वहीं जस्टिस रमना ने कहा कि पारदर्शिता का मतलब जजों की निजता खत्म हो जाना या उन्हें सर्विलांस के दायरे में ले आना नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने अपने जाने की वेला में भारत के सीजेआई ऑफ़िस को सूचना के अधिकार (आरटीआई) के अंतर्गत घोषित कर दिया है। उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसके खिलाफ उन्हीं का संस्थान एक समय हाई कोर्ट में न केवल प्रतिवादी बन कर उपस्थित हुआ था, बल्कि शीर्ष अदालत में इस फैसले को चुनौती भी देने वाला खुद सुप्रीम कोर्ट ही था।

2010 में दिल्ली हाईकोर्ट ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण और याचिकाकर्ता व आरटीआई कार्यकर्ता एससी अग्रवाल की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के विरोध को दरकिनार करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट की तीन-सदस्यीय पीठ ने सीजेआई के कार्यालय को सूचना के अधिकार के दायरे के बाहर मानने से इनकार कर दिया था। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने अपने अधिकारी के ज़रिए अपील की और मामला रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने अगस्त 2016 में अपने नेतृत्व की पाँच सदस्यों वाली संविधान पीठ को सुपुर्द कर दिया। इसमें जस्टिस रंजन गोगोई के अलावा जस्टिस एनवी रमना, डीवाई चंद्रचूड़, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना थे।

इसी बेंच ने आज का फैसला दिया है। फैसला लिखने वाले जज संजीव खन्ना ने कहा कि पारदर्शिता से न्यायिक स्वतंत्रता कमज़ोर नहीं होती। न्यायिक स्वतंत्रता जवाबदेही के साथ ही चलती है। यह जनहित में है कि बातें बाहर आएँ। जस्टिस रमना ने इसमें यह जरूर जोड़ा कि पारदर्शिता का मतलब जजों की निजता खत्म हो जाना या उन्हें सर्विलांस के दायरे में ले आना नहीं है। आरटीआई का इस्तेमाल न्यायपालिका पर नज़र रखने के लिए हो सकता है।

जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सम्पत्ति की जानकारी जजों की ‘निजी’ जानकारी नहीं हो सकती और न्यायपालिका का कामकाज औरों से अलग राह पर नहीं हो सकता अगर वे संवैधानिक कुर्सी पर हैं और लोकसेवा का कार्य कर रहे हैं।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -